
न्यायालय ने अपने फैंसले में लिखा है कि परिवादी घनश्याम दास लखेरा अभियुक्त के विरूद्ध परक्रा य लिखित अधिनियम की धारा 138 के तहत शंका से परे आरोप प्रमाणित करने में असफल रहा है। न्यायालय के फैंसले का आधार यह है कि वह अपने आपको श्री बांकड़े जी स्टील ट्रेडर्स फर्म का एक मात्र प्रोपराईटर होने के संबंध में कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया है।
वहीं बिल पर न तो परिवादी और न ही अभियुक्त के हस्ताक्षर हैं ऐसी दशा में अभियुक्त के विरूद्ध कोई उवधारणना नहीं की जा सकी और उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। इस मामले में अभियुक्त की ओर से अभिभाषक आलोक श्रीवास्तव और निखिल सक्सैना आदि अभिभाषकों ने पैरवी की।
इस मामले में परिवादी घनश्याम दास लखेरा ने परिवाद प्रस्तुत किया कि अभियुक्त उत्कर्ष शर्मा ठेकेदार हैं तथा उसकी दुकान से सीमेंट आदि सामान उधार ले जाता था। इस कारण दोनों के मध्य पहचान होकर अच्छे संबंध हैं।
अभियुक्त ने अपने ठेकेदारी के कार्य हेतु दिनांक 29 जुलाई 2015 को जेपी सीमेंट के 50 हजार रूपए कीमत के सीमेंट के कट्टे बिल न बर 51 के माध्यम से उठाये थे और उक्त उधारी की राशि 50 हजार रूपए के एवज में एक्सिस बैंक शाखा शिवपुरी के खाता क्रमांक 9140100559332267 का चैक क्रमांक 096950 दिनांक 2 अगस्त 2015 का एकाउन्ट पेयी फर्म श्री बाकड़े जी स्टील ट्रेडर्स के नाम से प्रोपराईटर/ परिवादी को प्रदान किया।
इस चैक को परिवादी घनश्याम दास लखेरा ने अपने खाता धारी बैंक, बैंक ऑफ इंडिया शाखा शिवपुरी में भुगतान हेतु जमा किया। लेकिन अभियुक्त के खाते में पर्याप्त निधि न होने के कारण उक्त चैक डिस्ऑनर होकर वापस 29 अगस्त 2015 को लौट आया इसके बाद परिवादी श्री लखेरा ने दिनांक 7 सित बर 2015 को सूचना पत्र प्रेषित किया। जो 10 सित बर 2015 को प्राप्त हो गया।
इसके बाद भी अभियुक्त ने परिवादी को उधार ली गई राशि प्रदान नहीं की। इस पर परिवादी ने परिवाद पत्र धारा 138 निगोसीएबल इंस्ट्यूमेंट एक्ट के तहत न्यायालय में अभियुक्त के विरूद्ध प्रस्तुत किया।