न्यू इंडिया इंश्योरेंस को 269683 रूपए का भुगतान करना होगा: कोर्ट

शिवपुरी। न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने उपभोक्ता संतोष शर्मा के बीमा दावे को इस आधार पर निरस्त कर दिया था कि उसके द्वारा घटना दिनांक अपने मारूति इको वाहन का उपयोग व्यवसायिक प्रयोजन के लिए किया जा रहा था। जबकि उसका वाहन प्रायवेट टेक्सी के रूप में पंजीकृत था। हालांकि इस मामले में न्यू इंडिया इंश्योरेंश कंपनी उपभोक्ता फोरम के समक्ष सिद्ध नहीं कर पाई कि वाहन का उपयोग व्यवसायिक प्रयोजन के लिए किया जा रहा था। 

उपभोक्ता फोरम शिवपुरी के अध्यक्ष एके वर्मा और सदस्य श्रीमती अंजू गुप्ता ने फैंसले में कहा कि यदि यह मान भी लिया जाए कि वाहन का उपयोग व्यवसायिक उद्देश्य हेतु किया जा रहा था तो भी इस आधार पर बीमा दावे को पूरी तरह अस्वीकार या निरस्त नहीं किया जा सकता। बीमा पॉलिसी की शर्ते के उल्लघंन के आधार पर बीमा दावे को संपूर्ण रूप से निरस्त किया जाना विधि स मत नहीं है। ऐसी स्थिति में बीमा दावा नॉन स्टेर्डड बेसिस पर निराकृत किया जाना चाहिये। 

इस मामले में उपभोक्ता फोरम ने दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कही है कि बीमा कंपनी द्वारा बीमा करते समय किसी वस्तु के जिस मूल्य को स्वीकार किया है वस्तु के क्षतिग्रस्त होने पर उसी मूल्य के आधार पर बीमा दावा निराकृत किया जाएगा। उस मूल्य को अस्वीकार किये जाने संबंधी दृष्टिकोण न केवल विधि के विपरीत है बल्कि ऐसा नैतिक रूप से स्वीकार करने योग्य भी नहीं है। 


उपभोक्ता संतोष शर्मा  नरवर ने अपने परिवाद में बताया कि उसने अपने वाहन क्रमांक एमपी 33 बीबी 1168 का बीमा न्यू इंडिया इंश्योरेंश कंपनी स्टेशन रोड़ ग्वालियर से कराया था। जिसका विधिवत प्रीमियम प्रदान कर पॉलिसी क्रमांक 3126003111010019023 प्राप्त की गई। जो 27 फरवरी 2012 से 26 फरवरी 2013 तक प्रभावशील थी। उसके मित्र नरवर निवासी महेश बाथम अपनी माँ सरस्वती देवी की बीमारी के कारण उसके इलाज हेतु उक्त वाहन से बड़ौदा जिला श्योपुर 27 सित बर 2012 को ले गया।

 उसके साथ महमूद खां, सलीम खां, दिनेश चौरसिया आदि भी थे। बड़ौदा से लौटते समय खूबत बाबा के करीब 28 सित बर 2012 की रात्रि करीब 12 बजे अज्ञात ट्रक ने उनकी गाड़ी में टक्कर मार दी। जिससे दिनेश चौरसिया की मौके पर ही मौत हो गई एवं वाहन संपूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना महेश बाथम ने थाना सतनवाड़ा जिला शिवपुरी में दी। बीमा कंपनी के सर्वेयर द्वारा संपूर्ण क्षति होना बताया गया और जिस पर 274019 रूपए व्यय होना बताये गए। 

इसके अतिरिक्त 50 हजार रूपए की अन्य क्षति बताई गई। इस मामले में उपभोक्ता ने मारूति सुजूकी इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर सहित प्रेम मोटरर्स, शाखा प्रबंधक सुन्दरम फायनेंस आदि को भी पक्षकार बनाया। जिसका उक्त सभी अनावेदकगणों ने अपने-अपने हिसाब से जवाब देकर इस मामले में अपनी जि मेदारी से इन्कार किया। बीमा कंपनी ने अपने जवाब में कहा कि क्षतिदावे का भुगतान करना बीमा पॉलिसी की शर्तो एवं प्रतिबंधों पर निर्भर करता है। 

आवेदक द्वारा वाहन का उपयोग निजी उपयोग से भिन्न व्यवसायिक उद्देश्य से किया जाता था। बीमा कंपनी के लायसेंसधारी सर्वेयर द्वारा वाहन में कुल क्षति 218997 रूपए की होना पाई गई थी, किन्तु शर्तों के उल्लंघन के आधार पर आवेदक का बीमा दावा निरस्त कर उसे सूचित कर दिया गया था। पक्ष विपक्ष की बहस सुनने के बाद उपभोक्ता फोरम ने आदेश दिया कि आवेदक बीमा पॉलिसी में दर्शित मूल्य 297425 रूपए प्राप्त करने का अधिकारी है। बीमा पॉलिसी के अस्तित्व में आने के लगभग 7 माह बाद दुर्घटना होने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए 297425 रूपए में से 10 प्रतिशत 29 हजार 542 रूपए की राशि की कटौती उपरांत न्यू इंडिया इंशयोरेंश कंपनी आवेदक संतोष शर्मा को 2 लाख 67 हजार 683 रूपए दो माह की अवधि में अदा करे। इस अवधि में चूक होने की स्थिति में आवेदक आदेश दिनांक से राशि के भुगतान होने तक 9 प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण व्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा। 

बीमा कंपनी उपभोक्ता को अभिभाषक शुल्क सहित प्रकरण व्यय के रूप में 2 हजार रूपए भी भुगतान करें। न्यू इंडिया इंशयोरेंश कंपनी के अतिरिक्त अन्य आवेदकगण अपना-अपना प्रकरण व्यय स्वयं बहन करेंगे। इस मामले में आवेदक की ओर से अभिभाषक पवन शर्मा ने पैरवी की।