शिवपुरी। प्रदेश के नं.1 का तमगा पर चुके जिला अस्पताल में एक भी ह हृदय रोग विशेषज्ञ नही है। जिले की लगभग 10 लाख की आबादी वाले का भार ठोने वाले सरकारी अस्पताल में हद्वय रोग विशेषज्ञ नही है। सरकार की ठोस ट्रांसफर नीति ने होने के कारण चिकित्सक हिटलरशाही एंव मनमानी कायम है।
जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार की कोई ठोस नीति न होने के कारण शिवुपरी सरकारी अस्पताल में कई चिकित्सक पिछले कई वर्षो से जमे है। इस कारण उनकी प्राईवेट पे्रक्टिस धडल्ले से चल रही है। ओर वह अस्पताल में मरीजो में रूचि नही लेते है और घर पर मरिजो को ज्यादा ध्यान देते है।
यहां वर्षों से जमे चिकित्सक न तो ओपीडी में सेवाएं देना चाहते हैं और न ही अपने पर किसी वरिष्ठ का आदेश मानते नजर आते हैं। और तो और इतनी बड़ी जनसं या का बोझ उठाने वाले इस जिला चिकित्सालय के पास एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है।
इन्हीं सब कारणों के चलते मानवीयता शून्य हो चुके इन चिकित्सकों की लापरवाही के चलते आए दिन मरीजों की मौत हो जाती है और यहां हंगामा बरपा रहता है जिसका खामियाजा पीडि़त परिवार को ही भोगना पड़ता है।
जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन स्वयं भी यह स्वीकार करते हैं कि जिला चिकित्सालय में जो चिकित्सक पदस्थ हैं वह वर्षों से पदस्थ हैं। उनका तो साफ कहना है कि शासन के पास कोई स्थानांतरण पॉलिसी न होने के कारण यहां पदस्थ चिकित्सक 20-20 वर्षों से भी अधिक समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सिविल सर्जन ने एक सवाल के जवाब में यह भी बताया कि जिला चिकित्सालय के पास वर्तमान में कोई भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है जिसकी वजह से हृदय संबंधी बीमारियों के लिए मेडिकल विशेषज्ञों के सहारे ही रहना पड़ता है।
कुलमिलाकर चकित्सकों के लिए शासन के पास कोई स्थानांतरण पॉलिसी न होने एवं स्थानांतरण पर इस्तीफ ा देने की धमकी के चलते शासन पूरी तरह चिकित्सकों के आगे नतमस्तक नजर आ रही है।
और इसी के परिणामस्वरूप चिकित्सक पूरी तरह बेलगाम हो गए हैं। खासतौर पर शिवपुरी जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों की लापरवाही से मरीजों की मौत के आंकड़े इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।
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