ललित मुदगल/शिवपुरी। वर्ष 2015 को अलविदा कहने को समय आ गया है। लेकिन यह साल शिवपुरी के नागरिको के माथे से यह ठप्पा मिटा गया कि यह के नागरिक अपने हक के लिए लड नही सकते। इस वर्ष हुआ शिवपुरी का जलआंदोलन सालो तक याद रखा जाऐगा।
जेसा कि विदित था,नगर के पार्षद से लेकर लोकसभा के चुनाव वर्षो से पानी के मुद्दे पर लडे जाते रहे है। परन्तु परन्तु शहर के नागरिको कंठ प्यासे के प्सासे। प्रस्तावित सिंध जलावर्धन योजना पर काम करने वाली कंपनी दोशियान काम छोडकर भाग गई थी।
राजनीति की ओर से केवल प्रेसनोट ही जारी हो रहे थे धरातल पर कुछ नही, मजाक बन गए थे शहर के नागरिक,शहर के लोकल नेता हो या चुने हुए प्रतिनिधि शहर के प्यासे कंठो की भावनाओ से खेल रहे थे।
लेकिन अचानक पब्लिक पर्लिया मेंट ने जलआंदोलन शुरू किया और देखते ही देखते पूरा शहर इस मंच को समर्थन देने आ गया। हालाकि इस मामले में जलावर्धन योजना को पुन: शुरू कराने के लिए एक जनहित याचिका शहर के एडवोकेट पीयूष शर्मा हाईकोर्ट में लगा रखी थी।
पब्लिक पार्लिया-मेंट के द्ववारा शुरू किए इस आंदोलन को शहर के लगभग सभी समितियो और संस्थाओ ने अपना समर्थन दिया और शहर अपनी स्वच्छा से दो दिन बंद भी रहा। यह अभी तक का ऐेतिहासिक बेद माना जा रहा था।
मंच सरकार,नेताओ और जनप्रतिनिधियों के विरूद्व खडा हो गया। अपनी जंग न लडने वाले इस मुर्दो के शहर की इस फिजा में नारे गुंजने लगे रानी नही पानी चाहिए। पूरा शहर भगीरथ बनकर तपस्या करने लगा।
और इस तपस्या का परिणाम आया और क्षेत्रीय सांसद सिंधिया को इस मंच पर आकर अपना समर्थन देना पड़ा। और इस आंदोलन से मप्र की सबसे ताकवर मंत्री और शिवपुरी विधायक राजे को अपनी जमीन सरकती दिखी।
इस आंदोलन से भोपाल की केबीनेट भी हिल गई और राजे ने इस मंंच पर आकर मंचासीनो से गुहार की इस आंदोलन को बंद करो और जलावर्धन के काम शुरू और ात्म करने की डेट लाईन दी।
हालाकि दी गई तय लाईन पर ना ही काम शुरू हुआ और न ही खत्म लेकिन शिवपुरी विधायक ने कैबीनेट में कंपनी की और मांगी जाने वाली बडी हुई प्रोजेक्ट कोस्ट की रकम एडवास दिलाने की शर्त पास करा ली।
शहर को अब आस बन चुकी है कि अब काम शुरू होगा और सिंध का पानी शहर के प्यासे कंठो की प्यास बुझेगी। लेकिन अभी नेशनल पार्क का पेच अ ाी तक ज्यो का त्यो ही फसंा है। लेकिन जानकारी आ रही है कि अब पार्क में नही होगी खुदाई बल्कि हवा में लाईन को लाया जाऐगां।
राजनीति की जानकारी रखने वाले जानकारो को कहना है कि इस आंदोलन के बाद ही स्थानीय विधायक ने शिवपुरी का रूख किया और उनके दौरे-दौर जल्दी लगने लगे और उनका एक बयान मैं हूॅ ना। इस आंदोलन के बाद ही आया है।
कुलमिलाकर इस जलआंदोलन ने शहर को जगा दिया था और सोती हुई विधायक भी इसी आंदोलन के बाद जागी है। यह बिना किसी राजनीतिक पार्टी के यह जनता का स्व:चलित आंदोलन एक इतिहास बन गया है। जब भी कभी आंदोलनो की बात होगी तो इस आंदोलन का कभी भुलाया नही जाऐगां।
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