काम नहीं आई पावर, हाईकोर्ट की शरण में डीपीसी दुबे

शिवपुरी। अपने निलबंन आदेश को विसंगतिपूर्वक बता चुनौती देने वाले शिरोमणि दुबे भले ही अपने निलंबन के रूकने का एलान कर रहें हो परन्तु खबर यह है कि वो स्टे लेने के लिये बैकडोर से हाईकोर्ट की चौखट तक पहुंच गये हैं। कहा यह भी जा रहा है कि दुबे शिवपुरी में भी अशोकनगर वाले एपीसोड को दोहरा रहे हैं। 

जैसे ही शिवपुरी के डीईओ गिल ओर डीपीसी शिरोमणि की निलबंन की खबर आई। वैसे ही शिवपुरी के डीईओ गिल ने ऑफिस आना बंद कर दिया और ग्वालियर के उपसंचालक दीपक पाडेण्य ने डीईओ के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया, लेकिन डीपीसी इस आदेश को विसंगति पूर्ण बताकर अपनी ही कुर्सी पर जमे हुये है। तेवर इतने तीखे कि कलेक्टर का निर्देश भी नहीं माना और डिप्टी डायरेक्टर दीपक पाण्डेय को समाचार लिखे जाने तक चार्ज देना तो दूर डीपीसी आॅफिस में घुसने तक नहीं दिया।

डीपीसी दुबे अपना निलबंन रूकवाने के लिए अभी तक अपनी संंघशक्ति लगा रहे है। और बडे ही शान से अपनी कुर्सी पर डटे है। आज वह ऑफिस आए अवश्य लेकिन टीएल की बैठक में नही गए और अपने स्थान पर एपीसी एकेडमी अशोक जैन को भेजा। 

देर शाम तक यह भी खबर आ गई की डीपीसी का निलबंन किसी भी तरह नही रूक रहा है। इस कारण अपना निलबंन का आदेश रद्द करवाने के लिए हाईकोर्ट की शरण ले रहे हैं और दुबे की अपील का केस क्रंमाक 8250-15 बताया जा रहा है। इस मामले में अर्जेट हियरिंग का निवेदन किया गया है। 

क्या था अशोकनगर वाला एपीसोड
अब कलेक्ट्रेट ऑफिस में स्थित शिक्षा विभाग के ऑफिस में डीपीसी दुबे की अशोकनगर जिले की कहानी कर्मचारियों में गॉसिप का विषय बनी हुई है। इस कहानी में कर्मचारी बता रहे थे कि सन 11 में डीपीसी का ट्रांसफर अशोकनगर जिले से शिवपुरी हो गया। अपनी संघशक्ति का प्रर्दशन डीपीसी ने वहां भी किया। 1 माह तक ट्रासंफर होने के बाद भी डीपीसी अशोकनगर डटे रहे। लेकिन अंत तक उनका ट्रासंफर नही रूका और बडे वे आबरू होकर अशोकनगर से दुबे निकले। इस गॉसिफ मे यह चर्चा है कि वे यहां पर भी वही ड्रामा दौहरा रहे है।