शिवपुरी। शहर में सबसे ज्यादा राजनीति पेयजल समस्या को लेकर हो रही है। कांग्रेस हो या भाजपा सिर्फ राजनीति कर रही है। प्रदेश के सबसे ताकतवर मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया अपने वोटरो की प्यास बुझाने सरकार से 6 करोड की व्यवस्था नही कर पा रही है। और कांग्रेस की नपा ने इस एक साल में पेयजल की व्यवस्था के नाम पर 12 करोड फूक डाले है।
इस साल शहर के लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए नगरपालिका ने तीन करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया था लेकिन आठ महीने में 12 करोड़ रुपए खर्च हो चुकी है। गंभीर बात यह है कि निर्धारित मद से पांच गुना अधिक रकम करने वाली नगरपालिका अधूरे जलावर्धन प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए छह करोड़ देने को तैयार नहीं है।
अगर यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाता तो फिर शहर की जनता को सालों तक स्थायी रूप से पीने का पानी मिल पाता और जनता से टैक्स के रूप में वसूला गया करोड़ों रुपया भी इस तरह से बर्बाद नहीं होता।
शहर के प्यासे कंठो के नाम पर केबल राजनीति हो रही है। इस प्रोजेक्ट पर नेता अपनी नेतागिरी कर रहे है। यह नपा ने 12 करोड में पानी की अस्थाई व्यवस्था पर खर्च कर डाले।
इधर जलावर्धन योजना पर काम कर रही दोशियान कंपनी पिछले 6 माह से चीख-चीख कर 6 करोड रू एंडवास में मांग रही है जिससे पानी की परमानेंट व्यवस्था हो जाए सबसे हैरानी की बात यह है इस पैसे के दुरूपयोग में नपा के किसी भी पार्षद ने भी अपना मुहं नही खोला है।
- इस तरह खर्च हुआ 12 करोड
- 20 लाख ब्लीचिंग पाउडर
- 10.15 लाख एलम
- 1 करोड़ नए पाइप खरीदी
- 50 लाख बिजली की केबल
- 50 लाख सीआई सामग्री
- 30.40 लाख जीआई सामग्री
- 50 लाख ट्यूबवेल खनन
- 3.90 करोड़ 39 वार्ड में ट्यूबवेल खनन
- 1.5.02 करोड़ 300 पंप अटेंडेंट का वेतन एक वर्ष का
- 6.50 लाख ट्यूबवेल मेंटेनेंस पर
- 2 करोड मोटर मेंटेनेंस व पेयजल परिवहन
- 04 हजार 20 टैंकर चलाने पर प्रतिदिन