पढिए भगवान महावीर स्वामी के र्गभ रूप में आते ही 27 भवो का वर्णन

शिवपुरी। पर्यूषण पर्व में कल्पसूत्र का बड़ा महत्व है। भगवान महावीर के निर्वाण के 150 वर्ष बाद कल्पसूत्र की रचना की गई। भद्रबाहु स्वामी द्वारा इसकी रचना की गई थी। साधु संत इस कल्पसूत्र का  वचान करते हैं। इसे हिन्दी व संस्कृत दोनों ही भाषाओं में रचित किया गया है।

आज लाभार्थी परिवार द्वारा जुलूस निकालकर साध्वी नवकार जपेश्वरी शुभंकराश्रीजी म.सा. को कल्पसूत्र बैराया गया। आज कल्पसूत्र वाचन के प्रथम दिन साध्वी जी ने भगवान महावीर के 27 भवों का वर्णन किया।

जैन श्वेता बर मंदिर पर पर्यूषण पर्व की धूम मची है। साध्वी शुभंकराश्रीजी द्वारा प्रतिदिन पर्यूषण प्रवचन दिये जा रहे हैं। आज से कल्पसूत्र का वाचन शुरू हुआ। वाचन के पूर्व कल्पसूत्र को बाजे गाजे के साथ मस्तक पर रख बाजार के प्रमुख मार्गों से निकाला गया और मंदिर पहुंचकर लाभार्थी परिवार द्वारा कल्पसूत्र साध्वी द्वारा को बैराया गया।

कल्पसूत्र के वाचन के प्रथम दिन साध्वी द्वारा भगवान महावीर के 27 भवों का वर्णन किया गया जिसमें उन्होंने राजसी योग के साथ कर्मठ के जीव का उद्धार भी किया।

27 वे भव में भगवान महावीर ने ब्राह्मणी देवानंद के गर्भ में रूप लिया जिसके कारण ब्राह्मणी ने 14 स्वप्न देखे जिनके बारे में जब ब्राह्मणी देवानंद ने अपने पति को बताया तो पति ने कहा कि तुम ऐसे पुत्र को जन्म दोगी जो बुद्धि, बल, पराक्रम, राजा होने के साथ-साथ उसका अभिषेक देव लोक से देवगण करेंगे।

वह धार्मिक होगा और उसके जन्म से तीनों लोग आनंदित होगा, सूर्य के समान तेज और महाआनंद का दाता होगा, उसे भूत, भविष्य, वर्तमान का ज्ञान होगा और वह हीरे मोती से रत्न जड़े सिंहासन पर बैठेगा, इस जन्म से पूर्व वह देवलोक का देवता है और मोक्ष प्राप्त करेगा।

इस प्रकार 27 वे भव में जन्म लेने वाले भगवान महावीर का वर्णन किया गया। अपने प्रवचनों में साध्वी जी द्वारा भगवान महावीर के प्रत्येक भव में पाप श्रेय की कहानियां भी सुनाईं जिसके कारण उन्हें मोक्ष प्राप्ति के लिए 27 भव तक यातनाएं सहन करनी पड़ीं।

कल मनाया जाएगा भगवान महावीर का जन्मदिन
पर्यूषण पर्व में कल्पसूत्र वाचन में भगवान महावीर और भगवान पाश्र्वनाथ का जिस दिन जन्म होता है उस दिन जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष 14 सित बर को भगवान महावीर का जन्म दिन मनाया जायेगा।

समाज द्वारा नित्य कार्यक्रमों के अलावा पालने का जुलूस, रात्रि भक्ति के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे एवं सुंदर रंगोली से मंदिर को सजाया जाएगा।