आजादी के बाद सिंधिया ने लगाया था तिरंगे पर प्रतिबंध

0
शिवपुरी। 15 अगस्त 1947 को पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था परंतु ग्वालियर रियासत में एक अजीब सी खामोशी थी। ऐसा नहीं था कि ग्वालियर रियासत के महाराज जीवाजी राव सिंधिया आजादी का जश्न मनाना नहीं चाहते थे परंतु उनका अहंकार आड़े आ गया था। वो इस जश्न में तिरंगा लहराते देखना नहीं चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपनी रियासत में तिरंगे पर प्रतिबंध लगा दिया था।

उस समय कांग्रेस के नेताओं से इसका तीखा विरोध किया परंतु सिंधिया झुकने को तैयार नहीं हुआ। अत: जश्न स्थगित कर दिया गया। विवाद बढ़ा तो बात दिल्ली तक जा पहुंची। अंग्रेजों के जमाने में ही कांग्रेस के लीलाधर जोशी को प्रांत का मुख्यमंत्री और जीवाजी राव सिंधिया को राज प्रमुख बनाया गया था। राजप्रमुख होने के कारण उनके पास संवैधानिक अधिकार थे और वो चाहते थे कि जश्न में सिंधिया राजवंश का ध्वज लहराया जाए।

विवाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल तक जा पहुंचा। सरदार पटेल ने विवाद को टालने के लिए दोनों पक्षों को अपने तरीके से स्वतंत्रता दिवस मनाने की स्वीकृति दे दी। इसके लिए तारीख तय की गई 25 अगस्त, इस दिन शहर में दो जगह स्वतंत्रता दिवस का समारोह आयोजित किया गया। पहला समारोह राज प्रमुख महाराजा जीवाजी राव सिंधिया की अध्यक्षता में नौलखा परेड ग्राउंड में मनाया गया। इस समारोह में महाराजा जीवाजी राव सिंधिया ने सिंधिया राजध्वज फहराया। इस समारोह में आमजनों के साथ कांग्रेसी भी शामिल हुए। दूसरा समारोह किलागेट मैदान पर आयोजित हुआ, यहां तत्कालीन मुख्यमंत्री लीलाधर जोशी ने तिरंगा फहराया गया। इस समारोह में सिंधिया शामिल नहीं हुए। 
Tags

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!