ई-रजिस्ट्री के खिलाफ कामबंद का ऐलान

शिवपुरी। एक अगस्त से प्रदेश सरकार ने भले ही पूरे प्रदेश में ई रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया लागू कर दी है और मैन्युअल रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी है, लेकिन अब ई रजिस्ट्री की प्रक्रिया सिरदर्द बन रही है।

आए दिन पंजीयन में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। क्रेता, विक्रेता और सर्विस प्रोवाइडर परेशान हो रहे हैं। इस कारण ई-रजिष्ट्री करने वाले एडवोकेट और सर्विस प्रोवाईडरो ने खुले रूप से रजिष्ट्रार ऑफिस में रजिष्ट्रार से कहा कि तकनीकी सुधार नही हुआ तो शुक्रवार से ई-रजिष्ट्री का काम नही करेंगें।

गड़बड़ी के कारण रजिस्ट्री की संख्या में भी कमी आई है। पंजीयन विभाग के सूत्रों ने बताया कि वैसे प्रतिदिन  15 से 20 मैन्युअल रजिस्ट्री होती थीं, लेकिन अब ई रजिस्ट्रियां मुश्किल से प्रतिदिन 5 और 6 ही हो पा रही हैं।

ई रजिस्ट्रेशन सरकार ने प्रदेश में एक जुलाई से लागू किया है, लेकिन इसकी अनिवार्यता एक अगस्त से प्रारंभ हुई है। आए दिन सर्वर डाउन होने से रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है वहीं ई रजिस्ट्री का प्रिंट भी गलत आ रहा है। कभी रजिस्ट्री से गबाहों के फोटो गायब हो जाते हैं तो कभी क्रेता और विक्रेता का नाम गायब हो जाता है।

बिजली की समस्या के कारण भी कई सर्विस प्रोवाइडर रजिस्ट्री टाइप नहीं कर पा रहे। पहले तो यह होता था कि मैन्युअल रजिस्ट्री एक दिन में हो जाती थी, लेकिन समस्याओं के कारण एक से तीन-चार दिन तक रजिस्ट्री में लग रहे हैं जिससे वे खरीदार और विक्रेता परेशान हैं जो बाहर से आकर रजिस्ट्री कराते हैं।

पिछले शुक्रवार को पूरे प्रदेश में सर्वर डाउन होने से रजिस्ट्री नहीं हुई। कभी-कभी लिंक न मिलने से भी रजिस्ट्री टाइप नहीं हो पा रही हैं। वहीं ई पंजीयन की प्रक्रिया शुरू कर दावा किया गया था कि इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा, परंतु ऐसा कहीं से कहीं तक नजर नहीं आ रहा और अभी भी वही सुविधा शुल्क जारी है और अब यह शुल्क जल्द रजिस्ट्री देने को लेकर लिया जा रहा है।

सर्विस प्रोवाइडर के खाते से अधिक राशि निकली
ई पंजीयन में सर्विस प्रोवाइडर के खाते से स्टा प और सरकारी शुल्क कट जाता है। बताया जाता है कि दो सर्विस प्रोवाइडर के बैंक खाते से इन शुल्क के नाम पर दो लाख रूपये से ज्यादा निकल गए, लेकिन अब पैसे वापिस करने में आनाकानी की जा रही है।

एक सर्विस प्रोवाइडर कुमकुम अग्रवाल ने बताया कि उनके खाते से 61 हजार रूपये ज्यादा निकल गए। उसी तरह दीपक श्रीवास्तव के खाते से भी डेढ़ लाख रूपये ज्यादा निकल गए। सात दिन के बाद भी उक्त पैसा उनके खाते में नहीं आया।

सर्विस प्रोवाइडरों ने दिया अल्टीमेटम
बुधवार को सर्विस प्रोवाइडर सर्वर डाउन होने से आक्रोश होकर पंजीयन कार्यालय में एकत्रित हो गए। सर्विस प्रोवाइडर और एडवोकेट ओमप्रकाश गुप्ता, अशोक अग्रवाल, बृजमोहन धाकड़, नीरज गोयल आदि ने बताया कि यदि प्रक्रिया में सुधार नहीं हुआ तो वह शुक्रवार से ई पंजीयन नहीं करेंगे।

उनके अल्टीमेटम के बाद स्थानीय पंजीयन विभाग दवाब में आ गया है। सूत्र बताते हैं कि पंजीयन विभाग भी तकनीकी गड़बड़ी से परेशान हैं, लेकिन एक अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आखिर हम करें क्या? पंजीयन महानिदेशक के आदेश का पालन तो करना ही पड़ेगा।