शिवपुरी। समतामय जीवन व्यक्ति को महानता की ओर ले जाता है , और अगर अंत समय जीवन में समता हो तो व्यक्ति का मोक्ष मार्ग भी प्रश्स्त हो सकता है। उक्त मंगल प्रवचन संत शिरोमणी आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य पूज्य मुनि श्री अभय सागर जी महाराज ने छत्री मंदिर पर हुयी विशाल धर्मसभा में दिये।
धर्मसभा को संबोधित करते हुये मुनिश्री ने कहा कि अगर जीवन में समतामय परिणाम हों तो व्यक्ति अंत समय भी व्यवस्थित ढंग से गुजार सकेगा। आगे मुनिश्री ने कहा समता का उल्टा होता है तामस जिसका अर्थ होता है अंधकार। अगर जीवन में अंधकार मिटाना चाहते हो तो समता का सहारा लेकर ही जीवन को प्रशस्त किया जा सकता है।
धर्मसभा के दौरान पूज्य मुनिश्री प्रभातसागर जी महाराज ने धार्मिक ग्रंथों के सूत्रों का वााचन किया और उनका सारगर्भित अर्थ भी समझाया। वहीं मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज ने अपने उद्बोदन में धर्म और गुरूओं से जुडऩे का मार्गदर्शन दिया।
धर्मसभा के प्रारंभ में द्वीप प्रज्जवलन खनियाधाना से पधारे बा. ब्र. विनय भैयाजी ने किया तथा मंगलाचरण श्रीमति मोनिका जैन ने किया। इसके बाद समस्त जिनालयों के पदाधिकारियों, बाहर के अतिथियों, चातुर्मास कमेंटी के सदस्यों व समस्त संगठनों ने पुज्य मुनिश्री के चरणों में श्रीफ ल समर्पित कर शिवपुरी में चातुर्मास करने का निवेदन किया। धर्मसभा का संचालन संजीब बांझल ने किया।