जल आन्दोलन की विशाल बैठक संपन्न

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शिवपुरी। हमारे शहर शिवपुरी में पानी के लिए मची भीषण त्राहि-त्राहि और शुद्ध पेयजल आपूर्ति में स्थानीय नगर पालिका, प्रदेश सरकार एवं केन्द्र सरकार की भारी असफलता और जनता के साथ लगातार कई वर्षों से किए जा रहे विश्वासघात के विरोध में जल आन्दोलन की बैठक विगत 31 मई रविवार को सायं 6 बजे स्थानीय आगमन मैरिज हॉल सईसपुरा रोड़ पर सोसायटी फॉर पब्लिक इंटेऊस्ट के तत्वाधान में आयोजित की गई। बैठक में एक सैकड़ा के लगभग शहर के जागरूक नागरिक एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे और उन्होंने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाऐं जलावर्धन योजना के प्रति जि मेवारों की असफलता के बारे में व्यक्त की। बैठक की कार्यवाही एड. पीयूष शर्मा के द्वारा प्रारंभ की जाकर संचालन वरिष्ठ पत्रकार भूपेन्द्र विकल के द्वारा किया गया।

जल आन्दोलन में बुद्धीजीवी वर्ग निभाएगा अहम भूमिका
बैठक की अध्यक्षता पूर्व नगर पालिका अधिकारी रामनिवास शर्मा के द्वारा की गई। उन्होंने बताया कि स्थानीय नगर पालिका, विधायक और सांसद के प्रयासों के बाबजूद भी उक्त योजना अधर में लटकी रहने का कारण योजना के क्रियान्वयन में कहीं ना कहीं संकल्प शक्ति की कमी है। समाजसेवी जगदीश बग्गा ने इस समस्या के मूल में कई वर्षों में योजना के प्रति प्रशासन के गैर जि मेदारी पूर्ण व्यवहार को ठहराया। पूर्व प्रबंधक ग्रामीण बैंक अशोक कुमार सक्सैना ने आन्दोलन संचालन को बहुआयामी और प्रभावशील बनाने हेतु धरना और प्रदर्शन किए जाने की आवश्यकता को प्रमुखता से उठाया। हरिओम राठौर हटईयन एवं पार्षद अनिल बघेल ने पे पलेटों के माध्यम से आन्दोलन के प्रचार पर बल देते हुए कहा कि इस समस्या के प्रति प्रतिनिधियों की नेतृत्वहीनता को प्रमुखता से जि मेदारा ठहराया। वहीं वरिष्ठ पत्रकार वीरेन्द्र भुल्ले ने कहा कि किसी भी आन्दोलन की नींव उस आन्दोलन का शांतिपूर्ण, अहिंसात्मक और जि मेवार होना है। चूॅंकि आन्दोलन सरकार के विरूद्ध है अत: योजना की असफलता की संपूर्ण जि मेवारी का दायित्व सरकार पर स्थापित किए जाने पर जोर दिया। पालक  संघ के सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने इस आन्दोलन को जनता, जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की सामूहिक जि मेवारी बताते हुए कहा कि जनता की इस भीषण त्रासदी की जि मेवार जनता स्वयं भी कोई कम नहीं है। क्योंकि यदि आप अपना घर बिना ताला डाले अथवा घटिया ताला डालकर छोड़ देंगें और फिर चोरी ना होने की कल्पना करेंगे तो यह आपकी मूर्खता को ही परिलक्षित करता है।

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