कलेक्ट्रेट के सामने पोलोग्राउण्ड पर लगता असामाजिक तत्वों का डेरा

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शिवपुरी। शहर में इन दिनों कलेक्ट्रेट के ठीक सामने पोलोग्राउण्ड का मैदान बेतरबीत अव्यवस्थओं और देर शाम को जमने वाली शराब की महफिलों के चलते अव्यवस्था की चपेट में है। यहां सुबह होते ही जब मॉर्निंग बॉक पर आए लोग जहां पड़े कांचों से चोटिल होते है तो वहीं क्रिकेट, फुटबॉल व अन्य खेल खेलने वाले नौनिहालों की जान भी मुसीबत में पड़ जाती है जब वह यहां शराब की बोतलों के फूटे हुए कांच के टुकड़े से चोटिल होकर रोने लगते है।

हालांकि पुलिस अधीक्षक ने समय-समय पर यहां कार्यवाही करने के निर्देश दिए है लेकिन यहां देर शाम को अलग-अलग स्थानों पर शराबी शराब पीकर बोतलें और बीयर की बोतलों को यहीं फेंक जाते है जिससे ग्राण्ड में गंदगी ही गंदगी व्याप्त रहती है। ऐसे में यहां व्यवस्थाओं में सुधार की आवश्यकता है। वहीं दूसरी ओर बाउण्ड्रीबॉल के पत्थरों को भी रात में चुराया जा रहा है और धीरे-धीरे यह बॉण्ड्रीबाल भी खोखली होती जा रही है

इसके अलावा पोलोग्राउण्ड के मैदान का एक हिस्सा पूरी तरह खोद डाला गया है जिसमें दर्शक दीर्घा में बैठने लोग इन खिलाडिय़ों का उत्साहवर्धन करते है। ऐसे में यहां खिलाडियों के लिए यह भी परेशानी बनी हुई है कि आखिरकार ऐसे कौन से तत्व है जो इन दिनों पोलोग्राउण्ड के अस्तित्व को नष्ट करने पर उतारू है, कहीं कोई पत्थर निकाल-निकाल कर बाउण्ड्री को तोड़ रहे है तो कहीं पूरी दर्शक दीर्घा को ही किसी अन्य कार्य के बहाने खोखला किया जा रहा है।

बताना होगा कि शहर के मध्य एकमात्र खेल मैदान अपने दुर्दशा के आंसू बहा रहा है। करोड़ों रुपया खेल विभाग द्वारा खेल सामग्री पर खर्च किया जा रहा है, परंतु मैदानी स्तर पर इसका उपयोग आज नहीं हुआ। खेल विभाग द्वारा इस मैदान में न तो फुटबॉल नेट लगाये गये और न ही क्रिकेट हेतु कोई अच्छी पिच तैयार की गई।


विभाग की लापरवाही के कारण इस मैदान के चारों ओर लगी जालियां और गेट भी अब टूटते जा रहे हैं। मैदान के एक तरफ बने जीने जहां दर्शक बैठकर ोलों का लुत्फ उठाया करते हैं, वह भी जीर्णशीर्ण होते जा रहे हैं। कई जगह तो जीनों को हटाकर साफ मैदान कर दिया गया है। मैदान में घुसने के लिए महल के सामने वाले गेट भी गायब हैं जिसके कारण गाय, बकरी, सूअर आदि जानवर मैदान में घूमते नजर आते हैं। कई बार बीच खेल में घुसे इन जानवरों को खिलाडिय़ों के द्वारा बाहर निकाला जाता है।

रात में लगता है शराबियों का जमाबड़ा
रात्रि में पोलोग्राउण्ड की बाउण्ड्री पर बैठकर शराब पीने का आनंद शराबी लेते हैं और खाली बोतलों को वहीं मैदान मेंं फेंककर चले जाते हैं जिसके कारण सुबह घूमने वालों को कई बार कांच चुभ चुके हैं। पोलोग्राउण्ड की बाउण्ड्री के नीचे के खण्डे भी अज्ञात लोगोंं द्वारा निकाल लिये गये हैं जिसके कारण ऊपर से मजबूत दिखने वाली यह बाउण्ड्री अंदर से खोखली हो चुकी है और कभी बाहर या अंदर की तरफ गिर सकती है।

सबसे खासबात तो यह है कि बाउण्ड्री के बाहर आडतिये माल भी खरीदते हैं जो इस बाउण्ड्री के ऊपर हिस्से से अपनी तिरपाल को बांधकर अपने लिये छाया करते हैं। अगर जल्द ही इस बाउण्ड्री को दुरूस्त नहीं कराया गया तो आडतियों के लिए भी यह स्थान खतरनाक साबित हो सकता है।

पीने के पानी की नहीं है कोई व्यवस्था
भले ही पोलोग्राउण्ड मैदान कलेक्ट्रेट परिसर के ठीक सामने है बाबजूद इसके यहां आने वाले खिलाडिय़ों को पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। गर्मी के मौसम में कुछ देर खेलने के बाद ही छोटे-छोटे बच्चों को प्यास लगने लगती है, परंतु इस मैदान में पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

 बच्चे एवं बड़े पानी पीने के लिए या तो कलेक्ट्रेट के अंदर जाते हैं या फिर बाहर से पैसों से पानी का पाउच खरीदकर पीते हैं। कभी-कभी कलेक्ट्रेट में भी सुबह के वक्त पानी खत्म हो जाने के कारण इन बच्चों को प्यासे ही घूमना पड़ता है जो खेलने की बजाय थक हारकर वहीं पेड़ के नीचे बैठे रहते हैं कुछ समय बाद अपने घर चले जाते हैं।

कोनों में जमा होने लगी गंदगी
पोलोग्राउण्ड के पास ही अस्पताल होने के कारण इसके एक कोने पर काफी गंदगी जमा रहती है इसलिए इस कोने पर बच्चे नहीं खेलते इसके ही पास में कोर्ट रोड की तरफ वालस कोना पूरी तरह से साफ नहीं है जिसमें घास खड़ी है और यहां बने गड्ढ़ों में कचरा भी डला रहता है जिससे यहां आने वाले बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां गंदगी होने से यह खेल का मैदान भी गंदा होने पर मजबूर है क्योंकि यहां प्रतिदिन सफाई तो होती नहीं इसलिए जब खिलाड़ी मैदान में आते है वह ही अपने स्थान को साफ कर खेलने लगते है जबकि ग्राउण्ड के कोनों पर जमा होने वाली गंदगी पर किसी का ध्यान नहीं है।

इनका कहना है
पोलोग्राउण्ड की व्यवस्थाओं के लिए यूं तो व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन यहां आए दिन शराबी शराब पीकर खेल के मैदान को गंदा कर देते है जिससे खेलने वाले खिलाड़ी भी चोटिल होते है हमने इस बारे में जिला प्रशासन को भी अवगत करा दिया है।
एम.के. धौलपुरिया
जिला खेल अधिकारी शिवपुरी
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