शिवपुरी। शहर में शुद्ध पेयजल के लिए मची भीषण त्राहि-त्राहि से परेशान और व्यथित जनता को पानी देने में शासन और प्रशासन की कतई असफलता के विरोध में सोसायटी फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट के तत्वाधान में संचालित जल आन्दोलन का प्रचार पेम्पलेट, पर्चे बांटकर सभी वार्डों में आन्दोलनकारियों द्वारा जनता के साथ जल संवाद स्थापित कर जन-जागरण किया जा रहा है।
जनता जनार्दन का संस्था की 51 सदस्यीय कोर कमेटी ने आहवान किया है कि सोमवार 08 जून 2015 को प्रात: 11 बजे से 2 बजे धरना और उसके उपरांत पैदल मार्च कर माननीय राज्यपाल महोदय के नाम ज्ञापन देने हेतु भारी सं या में उपस्थित हो और नगर पालिका शिवपुरी, मप्र सरकार और केन्द्र सरकार के निक मेपन, भ्रष्टाचार से उपेक्षित 102 करोड़ की जलावर्धन योजना के प्रति अनपढ़ और जाहिल रवैये का दायित्व समस्त जि मेदारों पर स्थापित करें।
दिया नारा हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते
शिवपुरी शहर में लगभग 65 हजार घरों में निवासरत 2.25 लाख की आबादी मध्यप्रदेश के गठन से आज तक शुद्ध पेयजल आपूर्ति के स्थाई स्त्रोत से वंचित है। 30 वर्ष की त्रासदी और सुविधाओं से मेहरूम शिवपुरी शहर इस बात का गवाह है कि की कोई तो है जो हमारी दुर्दशा पर मजे ले रहा है और हम शिवपुरीवासियों को हमारे मूल अधिकार शुद्ध पेयजल और बिजली के नाम पर तिल-तिल मरने पर मजबूर कर रहा है।
30 वर्ष में एक बच्चा जन्म लें, जवान और बूढ़ा हो जाता है और जवान बूढ़ा हो, परलोक सिधार जाता है दो पीढि़ों की कुर्बानी और परिणाम सिफर क्यों। बस यही बात आज हम सभी को आन्दोलित करने पर मजबूर करती है क्योंकि जो दुर्दशा 25 वर्षों से घिसटती सिन्ध जलावर्धन योजना की हुई है उसने शुद्ध पेयजल से वंचित और कलफते हम लोगों को विचलित कर दिया है और वर्तमान जल आन्दोलन को मजबूर किया है।
योजना में रोड़े अटकाने वालों पर साधा निशाना
जल आन्दोलन के लिए जो पे पलेट बांटी गई है उसमें योजना में रोड़ा अटकाने वालों पर जमकर निशाना साधा गया है। इसमें लिखे अनुसार जो ऐसा मानते है कि हमारी बात सही है तो अपने अधिकारों के लिऐ हमारे साथ एक अहिंसक जन आन्दोलन में सहभागी बनें और पूछें उन सरकारों से क्यो, शिवपुरी की जनता शुद्ध पेयजल हासिल करने की जुगत में दिन रात हाथ में कटटीयां लेकर घूम रही है।
वो, कौन है जिनके पानी के धंधे चमक रहे है, वो कौन है जो सिंध जलावर्धन पर करोड़ों फूंकने के बाद भी इस योजना को ठण्डे बस्ते मे डाल चुके है, किसके आदेश पर डीपीआर डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई। किसने काम छोडऩे वाली कंपनी को लेआउट दिया, किसने कार्य करने वाली कंपनी से वर्कप्लान कार्ययोजना को लिया।
वह कौनसे अधिकारी,विभाग थे जिनकी अनुशंसा पर वन, पर्यावरण की स्वीकृति मिली, किसके आदेश पर कार्ययोजना शुरू हुई, और क्या बंद कराने वालो को या योजना छोड़कर भागने वालों को यह अधिकार था कि वह सरकार के धन को लूट भाग जाऐं और जि मेदार हाथ बांधकर रह जाए।
फिलहाल जो भी दोषी हैं क्या ऐसे लोगों के खिलाफ एफ आईआर दर्ज कर उन्हें गिर तार नहीं होना चाहिए। जो जनभावना, जनसुविधाओं और जनता के धन की लूट कर उसे कलफने पर मजबूर कर रहे हैं। अगर आप बेबस जनता की इन भावनाओ और उसकी ना उ मीदी से सहमत है, तो छेडि़ए अपने मूल अधिकारों की जंग, क्योंकि शुद्ध पेयजल हमसे कोसों दूर है। यही दर्द हमारा, आपका है और अब साझा होना चाहिए।