शिवपुरी। कृषि उपज मण्डी समिति कोलारस के हाल इन दिनों उस समय बेहाल है जबकि यहां ग्रामीण अंचल के क्षेत्रों से खरीदी होनी है। ऐसे में प्रतिदिन हजारों क्विंटलों की खरीद के लिए तैनात इस मण्डी में ज्यादातर खरीदी दिन की अपेक्षा रात में होती है।
चर्चा है कि रात में होने वाली खरीद से मण्डी प्रबंधन को अधिक आय होती है और रात में किसानों से लूट किए जाने का कारण भी किसी को पता नहीं चलता इसलिए दिन में खरीदी धीमी होकर रात में तेज में चलती है। यहां मण्डी नियमों के मानकों को अनदेखा कर खरीदी की जा रही है जिसमें बड़ा घोटाला किए जाने की चर्चा है।
ऐसे में यहां किसानों को भी सुविधाओं से वंचित रखा गया है उन्हें ना तो पीने और ना ही कैंटीन की सुविधा मिलती है ऐसे में यहां मण्डी प्रबंधन अपनी मनमानी का आलम जोरों पर है।
यहां बताना होगा कि इन दिनो समर्थन मूल्य पर कृषि उपज मण्डीयों में गेहॅंू खरीदी जारी है। जिसमें कोलारस क्षेत्र की कृषि मण्डी किसानों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है। यहां सरेआम खुले में भरी दुपहरी में गेहॅूू खरीदी की जा रही है।
किसानों के साथ शोषण का आलम यह है कि उनकी खरीदी दिन में कम होकर रात में अधिक होती है वहीं दूसरी ओर किसानों की फसलों की मॉईस्चर को भी नहीं जांचा जा रहा है जिससे चर्चा है कि रात के समय में खराब गेहॅूू को खपाने का भी काला कारोबार कृषि उपज मण्डी कोलारस में धड़ल्ले से चल रहा है।
यहां जिन किसानों ने अपने निर्धारित समय पर फसल को मण्डी में विक्रय कर दिया है तो उन्हें भुगतान के लिए चक्कर काटने पड़ रहे है यही कारण है कि आज भी 10 से 15 दिनो में किसानों को भुगतान बमुश्किल किया जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर जो किसान अपनी उपज विक्रय के लिए मण्डी में मौजूद है उन्हें भी अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है और एक-एक किसान को लगभग 4 से 5 दिन मण्डी प्रांगण में अपनी ही व्यवस्थाओं पर रूकने को मजबूर होना पड़ रहा है।
कुल मिलाकर मण्डी प्रांगण में किसानों के साथ होने वाली लूटखसोट में अब समर्थन मूल्य गेहॅू खरीदी केन्द्र भी आ गए है जिसका मु य केन्द्र अब मण्डी कोलारस है जिसमें आने वाले किसान को उपज का मूल्य तो चुकाना ही पड़ता है इसके बाद भी गेहॅू की उपज को बोरी में भरना और ट्रक में लोड कराने का मूल्य भी किसानों से ही वसूला जा रहा है।
ऐसा ना करने पर किसानों की उपज मण्डी में जस की तस खड़ी रहती है। कई किसानों ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि कृषि उपज मण्डी कोलारस में इन दिनों गेहॅूू की बंपर आवक है और मण्डी प्रबंधन अपने काले कारनामों को पूरा करने के लिए किसानों को ना-ना प्रकार से परेशान कर रहे है।
किसानों ने इस संदर्भ में एसडीएम व जिला प्रशासन से उचित कार्यवाही की मांग की है और बताया है कि मण्डी की अव्यवस्थाओं का हाल स्वयं अधिकारीगण मौका मुआयना कर वस्तुस्थिति से स्वयं अवगत हों जाऐंगें।
खुले में पड़ा है हजारों क्विंटल गेहॅू
बताना होगा कि कोलारस कृषि मण्डी में इन दिनों गेहॅू की बंपर आवक के चलते प्रतिदिन सैकड़ो ट्रॉलियों गेहॅंू से भरी होकर मण्डी पहुंचती है। यहां खरीदी के बाद गेहॅू के रखरखाव की भी कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण आज खुले में हजारों क्विंटल गेहॅूू पड़ा हुआ है।
आए दिन मौसम में परिवर्तन अचानक देखने को मिल ही रहा है बाबजूद इसके मण्डी प्रबंधन को इसकी कोई फिक्र नहीं। खुले में गेहॅूू और बोरियों में भरा अनाज सुरक्षित रखा जाए इसके लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है जिसके चलते मण्डी प्रबंधन इन व्यवस्थाओं की ओर सुधार में कोई प्रयास नहीं कर रहा।
बताना होगा कि बीते कुछ दिनों पूर्व ही बारिश की महज छुटपुट बूंदों से कई जगह गेहॅूू खराब होने की स्थिति नजर आने लगी थी ऐसे में पुन: कहीं बारिश के आसार ना हो जाए, तो कोलारस मण्डी इस हजारों क्विंटल गेहॅू को कैसे सुरक्षित रखेगी। यह सवाल ना केवल किसान बल्कि आमजन के जेहन में भी है ।
मण्डी प्रांगण में ना ही कैंटीन और ना है पीने का पानी
जब खरीदी केन्द्र के रूप में कृषि उपज मण्डी कोलारस बना हुआ है यहां किसानों के लिए पर्याप्त व्यवस्थाऐं भी होनी चाहिए। लेकिन यहां तो कृषकों के लिए ना तो कैंटीन है और ना ही पीने के लिए स्वच्छ पानी। ऐसे में समझा जा सकता है कि मण्डी प्रबंधन अपनी मनमानियों को पूरा करने में लगा हुआ है उसे उस किसान का जरा भी फिक्र नहीं है जो बीते पांच दिनों से मण्डी प्रांगण में ही अपनी फसल के विक्रय के लिए भूखा-प्यासा खड़ा है।
ऐसे में यदि मण्डी प्रबंधन यहां कृषकों को सहयोग राशि के रूप में भोजन और पानी की व्यवस्था करें तो कृषकों को भी कुछ राहत मिल सके। लेकिन व्यवस्थाऐं ना होने से कृषकों को स्वयं ही अपनी समस्या का समाधान ढूंढना पड़ रहा ह।
और थक-हारकर मण्डी प्रांगण में अपनी फसल ब्रिकी के लिए खड़ा है क्योंकि फसल को छोड़कर वह अन्यत्र जा भी नहीं सकता। क्योंकि मण्डी प्रांगण के अंदर कालाबाजारी होने में जरा भी देर नहीं लगेगी। ऐसे में किसान यहां मण्डी प्रबंधन को कोस रहे है।
मण्डी के बाहर बेचा जा रहा माल
बताया जाता है कि कृषि उपज मण्डी में जहां कृषकों को गेहॅू खरीदा जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर औने-पौने दामों पर मण्डी के माल केा मण्डी के ही बाहर बेचा भी जा रहा है।
यहां मण्डी कर्मचारी जबरन किसानों से वसूली कर उनकी फसल को शीघ्र तुलवाने के नाम पर अवैध उगाही भी कर रहे है इसके अलावा मण्डी प्रबंधन ने भी किसानों का शोषण करने के लिए अलग से प्रायवेट लोगों को भी तैनात कर रखा है जो किसानों और उनकी उपज पर अपनी पैनी निगाहें बनाए हुए है ताकि मण्डी में खराब गेहॅू भी आए तो उसे खरीद लें और इसके एवज में अच्छे गेहॅू को बाहर बेचा जा रहा है।
यहां बताया गया हैकि मण्डी कर्मचारियों की मिलीभगत से व्यापारियो की मनमानी जोरों पर है। यही कारण है कि अभी कुछ दिनों पूर्व ही कोलारस क्षेत्र में एक निजी गोदाम से गेहॅंू की 385 बोरी भी पकड़ी गई थी जहां एसडीएम और तहसीलदार ने इस कार्यवाही को अंजाम दिया था।
10-15 साल से नहीं हुए कर्मचारियों के तबादले
मण्डी में अव्यवस्थाओं और मण्डी प्रबंधन की खामियों का एक कारण यह भी पता चलता है कि यहां विगत कई वर्षों से मण्डी के अधिकारी-कर्मचारियों के तबादले नहीं हुए। यही कारण है कि अपनी मजबूत जड़े जमाकर यहां अधिकारी-कर्मचारी और नाकेदार बीते 10 से 15 वर्षों से तैनात है।
जिसके चलते सभी आपस में मिल बांटकर किसानों का ही शोषण कर रहे है। बात चाहे गेहॅंू खरीदी की हो या मण्डी प्रबंधन द्वारा कृषकों को दी जाने वाली सुविधाओं की, सभी को यहां पूरा मण्डी प्रबंधन अपनी मनमर्जी से चलाते है और मिला बांटकर मण्डी प्रबंधन के ही राजस्व को पलीता लगा रहे है। ऐेसे में लंबे समय से जमे यह अधिकारी-कर्मचारी संाठगांठ कर अपने मंसूबों को पूरा करने में लगे हुए है।
यही कारण है कि यहां कोई और ऐसा नहीं जो मण्डी प्रबंधन के कार्यों पर उंगली उठाए, रही बात किसान की तो वह तो अपनी उपज बेचने के लिए आता है हालंाकि कुछ समस्याओं से वह भी जूझता है लेकिन इस ओर कार्यवाही कराने के नाम पर किसान भी मुंह फेर लेता है।