अनुठा उदाहरण: बाल्मीक समाज ने चुना ब्राह्मण अध्यक्ष

शिवपरी। आम तौर पर देखा गया है कि कोई समाज अपने समाज के व्यक्ति को ही अध्यक्ष बनाता है परन्तु करैरा में आज बाल्मीक समाज ने इस परम्परा को तोड दिया है। करैरा बाल्मीक समाज ने आज अपने समाज का अध्यक्ष ब्राह्मण पुष्पेन्द्र मिश्राा को बनाया है। मिश्रा भी बाल्मीक समाज के इस आग्रह को ठुकरा ना सके और उन्होने भी इस दाायित्व को ग्रहण कर लिया है।

कल बगीचा मंदिर पर बाल्मीक समाज की बैठक में श्री मिश्रा को अपने समाज का अध्यक्ष सर्वस मति से घोषित किया गया जिस पर श्री मिश्रा ने अपनी स्वीकृति प्रदान की। यह अनूठा उदाहरण पूरे जिले सहित संभागभर में चर्चा का विषय बन गया है।

अभी तक समाज का अध्यक्ष उसी समाज के व्यक्ति को बनाया जाता, लेकिन बाल्मीक समाज ने इस परंपरा को झुठलाते हुए अपने समाज से हटकर अन्य समाज के व्यक्ति को अपने समाज का नेतृत्व करने के लिए अधिकृत किया है।

विदित हो कि नगर पंचायत में पदस्थ सफाईकर्मी को करैरा पुलिस ने बैंक में हुई लूट के मामले में सीसी टीव्ही फुटेज के आधार पर पकड़ लिया था उस समय पुष्पेन्द्र मिश्रा के नेतृत्व में बाल्मीक समाज के लोगों ने हड़ताल कर दी थी। इसके बाद पुलिस को मजबूरन सफाईकर्मी को छोडऩा पड़ा। इस घटनाक्रम ने पूरे समाज के लोगों के समक्ष पुष्पेन्द्र मिश्रा का कद बढ़ा दिया। उस समय न तो कोई जनप्रतिनिधि और न ही कोई समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले उस आंदोलन में पहुंचे जिस कारण बाल्मीक समाज का अपने समाज के लोगों से विश्वास उठ गया और श्री मिश्रा के नेतृत्व को उन्होंने स्वीकार किया और उन्हें अपने समाज का नेतृत्व करने का महत्वपूर्ण दायित्व सौंप दिया।

कल हुई बैठक में बाल्मीक समाज के लोगों ने अपने नवनियुक्त अध्यक्ष का माला पहनाकर स्वागत किया और उनके स मान में एक भोज का आयोजन भी किया।

बाल्मीक समाज का नेतृत्व स्वीकार करते हुए श्री मिश्रा ने समाज के लोगों को भरोसा दिलाया कि वह समाज के पिछड़ेपन को दूर करेंगे और समाज के हर व्यक्ति की हर संभव मदद करने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।

वहीं सफाईकर्मियों को कलेक्टर रेट पर वेतन दिलाने का भी उन्होंने भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि सफाईकर्मियों के हक के लिए उन्हें अगर आंदोलन भी करना पड़े तो वह इसके लिए तत्पर रहेंगे, लेकिन समाज के किसी भी व्यक्ति को वह पिछडऩे नहीं देंगे।

इनका कहना है
मेरा पुत्र सदैव ही धर्म और जाति से ऊपर उठकर मानवता की सेवा के लिए तत्पर रहता है। मुझे और मेरे पुत्र पुष्पेन्द्र को इस बात का गर्व है कि उसने बाल्मीक समाज का नेतृत्व स्वीकार किया है। आज समाज में जो छूआछूत की प्रथा चली आ रही है उसे खत्म करने के लिए मैं और मेरा पुत्र सदैव प्रयासरत रहेंगे।
श्रीमती दमयंती मिश्रा, मां (महिला नेत्री)