कपडे नही है तो वादे लपेट लीजिए, खाना नही है तो वादे खा लीजिए, यही हो रहा है इन बस्ती वालो के साथ

0
शिवपुरी। महल सराय में इन बस्ती वालो के पूर्वज उस समय से निवास कर रहे थे जब इस देश को आजादी नही मिली थी। बताया जा रहा है कि यह बस्ती में यह गरीब परिवार जब से रह रहे है,जब शिवुपरी में माधौमहाराज प्रथम ने शहर का निर्माण कराया था। जब से यह परिवार पीढी दर पीढी इस महल सराय में निवास कर रहे है। अब यह परिवार बेघर होने के कगार पर खडे है। इन परिवारो की संकट की इस घडी में इनके वोटो को लूटने वाला कोई भी वादे का व्यापारी नही आया है।


नगरपालिका के क्वार्टरों में अवैध रूप से रह रहे किरायेदारों की बेदखली के लिये अभिभाषक विजय तिवारी ने जब माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की उस समय उच्च न्यायालय ने नगरपालिका से उनके क्वार्टरों के बारे में जानकारी पूछी तो जबाव में नगरपालिका ने सरायं क्षेत्र के क्वार्टरों को अपनी संपत्ति बता दिया। इसके साथ ही सरायं बस्ती के 38 गरीब किरायेदारों की बेदखली भी जनहित याचिका के दायरे में आ गई।

हालांकि पहले तो यहीं विवाद है कि उक्त क्वार्टर नगरपालिका के स्वामित्व के हैं या नहीं हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रेमनारायण नागर का कथन है कि अपने सेवकों के विश्राम के लिये उस समय शिवपुरी आये शेरशाह सूरी ने इस सरायं बस्ती का निर्माण किया था। बाद में उक्त क्वार्टर सरकारी हो गये।

इनका स्वामित्व मप्र शासन पर है न कि नगरपालिका पर। दूसरी बात यह है कि सरायं बस्ती में रहने वाले बेहद गरीब हैं और उनके पास दो समय खाने की व्यवस्था भी नहीं है। ऐसी स्थिति में उनके अन्यत्र विस्थापन के पूर्व मानवीय हित में किसी भी तरह से उनकी बेदखली उचित नहीं है। इन क्वार्टरों में वर्षों से बाथम समाज के लोग रह रहे हैं जिनकी बहू-बेटियां घरों में बर्तन मांझकर अपने परिवार का पालन पोषण बड़ी मुश्किल से करती हैं।

इनमें से अधिकांश लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं और उन क्वार्टरों में भेड़ बकरियों की तरह रह रहे हैं। क्वार्टर भी काफी जीर्णशीर्ण है और इनमें से एक-एक कमरे में तो दो-दो परिवार तक रह रहे हैं। गरीब होने के कारण ये लोग अपने बच्चों तक को नहीं पढ़ा पा रहे। ऐसी स्थिति में यदि इनका आश्रय भी छिन गया तो क्या स्थिति होगी यह आसानी से समझा जा सकता है। पिछले साल ही जमीन पर आने के डर से एक व्यक्ति ने फांसी लगाकर जान दे दी थी।

यहां के लोग इतने गरीब हैं कि वे चाहते हुए भी न्यायालय में नहीं जा पा रहे, हालांकि इनमें से तीन किरायेदारों ने स्टे ऑर्डर ले लिया है। इन तीन को मिल गया तो बाकीयों को भी मिल सकता है। ये भी शिवुपरी के निवासी है,और वोटर भी है इनसे भी वोट मांगे गए,और इन्है भी विकास के सपने दिखाए गए परन्तु इनका विकास तो छोडो अब इनका आशियाना भी जा रहा है,इस संकट  की घडी में कोई भी नेता इनके साथ नही खडा है। जो इन गरीबो का दर्द माननीय उच्च न्यायालय के समझ रख सके। किसी ने सत्य ही लिखा है कि पेट भरने को रोटी नही है तो वादे खा लिजिए,पहनने को कपडे नही है तो वादे पहन लिजिए............

अभी नपा ने इस बस्ती के निवासियो को इस बस्ती में दो कन्याओ की शादी होने पर 15 दिनो की मोहलत दी है। देखे इन 15 दिनो में कोई वादे का व्यापार करने वाला इनकी ओर से न्यायालय में खडा होता है कि नही............. 
Tags

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!