शिवपुरी। तमाम कसमे-वादे,बैठको के बाद भी शहर में सिंध का पानी नही आया। पर्रन्तु शहर में जलसंकट अवश्य आ गया है,इस समय हर हाथ में पानी की कट्टी जरूर दिख रही है। और नपा के जि मेदारो ने भी पेयजल व्यवस्था भी पार्षदो के भरोसे छोड रखी है।
नगरपालिका के इतिहास में पहली बार हुआ है कि वार्डों में पेयजल संकट का जि मा पार्षदों पर छोड़ा गया है। प्रत्येक वार्ड में नियमित सप्लाई के अलावा प्रतिदिन दो टेंकर आठ चक्कर के मान से 16 टेंकरों से पेयजल की सप्लाई कागजों में हो रही है, लेकिन मजे की बात यह है कि इसके बाद भी पेयजल संकट बना हुआ है। साफ है कि पेयजल संकट भ्रष्टाचार का साधन बना हुआ है।
नगरपालिका ने पार्षदों को तो संतुष्ट कर दिया, लेकिन जनता असंतुष्ट है क्योंकि कमोवेश हर वार्ड में पेयजल संकट गहरा रहा है। शिवपुरी में सिंध परियोजना की महती आवश्यकता है। इसका कारण है कि सालों से यहां के नागरिक चांदपाठा तालाब का मलमूत्रयुक्त पानी पी रहे हैं, लेकिन मात्रा की दृष्टि से पानी की कमी नहीं है।
शहर में चांदपाठा तालाब के जरिये पेयजल की सप्लाई होती है इसके अलावा नगरपालिका के 450 ट्यूबबैल हैं। इनमें से 40 प्रतिशत ट्यूबबैल में जलस्तर घट भी जाता है तो भी 300 ट्यूबबैलों से पेयजल की सप्लाई होती है। नगरपालिका के आठ हाईडेंट हैं जहां से टेंकर पानी भरते हैं।
जल की इस राशि का यदि सही उपयोग हो जाये तो जल संकट होना असंभव है। लेकिन सवाल यह है कि व्यवस्था देखे कौन? व्यवस्था की देखरेख न होने के कारण पानी की टंकी के जरिये चांदपाठा तालाब के पेयजल का वितरण तीन दिन के स्थान पर अब आठ- आठ दिन में किया जा रहा है।
वार्डों में पेयजल समस्या पार्षदों पर छोड़ दी गई है और गिने चुने पार्षदों को छोड़कर अधिकांश पार्षद किस तरह से मैनेज किया जाये इस विधा में पारंगत नहीं है। पानी खोलने का पंप अटेंडरों के जि मे है और ग्रीष्म ऋतु में उनका पारा आसमान पर चढ़ा रहता है। न तो मोहल्ले वालों से अधिकांश ट्यूबबैल अटेंडर न तो सीधे मुंह बात करते हैं और बहुत से तो संबंधित इलाकों में पानी खोलने के लिए पैसे लेना भी नहीं चूकते।
पंप अटेंडरों और पार्षदों के बीच असमन्वय भी पेयजल संकट का एक बड़ा कारण है। पानी खोलने के बाद संबंधित क्षेत्र के लोगों को अवगत भी नहीं कराया जाता जिससे वे पानी नहीं भर पाते। यह व्यवस्था ही यदि ठीक हो जाये तो अधिकांश वार्डों में टेंकरों से पेयजल की सप्लाई करने की कोई आवश्यकता नहीं है। शहर के 39 वार्डों में से लगभग 15 वार्डों में टेंकर से पेयजल की सप्लाई अभी भी नहीं हो रही, लेकिन बिल बराबर बन रहे हैं।
प्रत्येक वार्ड में कागजों में प्रतिदिन 16 टेंकरों की सप्लाई हो रही है। कंट्रोल रूम से अलग प्रतिदिन 15 टेंकर शहर के प्रभावित इलाकों में जा रहे हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक है कि पार्षदों पर नियंत्रण के लिए पेयजल सप्लाई की एक कमेटी बनाई जाये। जहां-जहां टेंकर जायें, वहां के निवासियों से पंचनामा बनाया जाये। इससे भ्रष्टाचार भी रुकेगा और जल संकट भी हल होगा।