ज्यों ही छुआ भगत ने रस्सा, ज्यों होंठों के निकट गया...

शिवपुरी- वर्ष प्रतिपदा के स्वागत में शहर की नामचीन समाजसेवी संस्था अभिसंवर्धन ने कवि सम्मेलन कराकर प्रात:काल 4 बजे तक श्रोताओं को मस्ती में बांधे रखा। कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्रोच्चार के द्वारा माता सरस्वती के पूजन के साथ हुआ। आला श्रोताओं की उपस्थिति में स्थानीय कोर्ट रोड़ पर उच्च कोटि का श्रृंगार, भक्ति का रसपान और हास्य की फुहारों की अनवरत् बारिश होती रही।  भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री धैर्यवर्धन के संयोजकत्व में संपन्न हुए इस काव्य पाठ में स्थानीय एडीएम जेड.यू.शेख ने भी काव्यपाठ किया।

ग्वालियर की शायदा कुर्रेशी ने सरस्वती माता की वंदना करके सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल कायम की। एक रचना में उन्होंने कहा कि 'सुबह लिख दूंगी-शाम लिख दूंगी, तुझे अल्लाह और राम लिख दूंगीÓ । नौजवानों की उपस्थिति को भांपकर मस्ती की धारा बहाते हुए कवियत्री ने कहा- सुनिए हमारे बाब में आया ना कीजिए-आ जाएं अगर बाब में तो जाया ना कीजिए। धूमकेतु भोपाल ने जनसं या विस्फोट पर हास्य की चिकोटी लेते हुए कहा- तीन बीबीयां बारह बच्चे, एक झुग्गी वही महल है-'चौथी की हसरत है दिल में, बाकी सब अल्लाह का फजल हैÓ।

मथुरा से पधारे हिन्दुस्तान के याति प्राप्त गीतकार श्याम सुन्दर अकिंचन ने बृज की फाग, धनाक्षरी, राधाकृष्ण के पावन प्रेम के अलावा सुरीले अंदाज में साहित्य हिन्दी एवं बृज भाषा में गीतों को पढ़कर  समां बांधा। 'श्रीराधे नाम गंगाजल सौं नहाओ मल-मल, काया कुण्ड जीवन कमल खिल जायगो-कृष्ण कृष्ण कहते मिले ना चाहे राधारानी, राधे-राधे कहेगो तो कृष्ण मिल जाएगो..Ó। एक अन्य रचना में उन्होंने कहा कि 'चोट दर चोट सहता है, ये घायल का मुकद्दर है- लिपट कर पांव से बजती ये पायल का मुकद्दर हैÓ।

अति दलित जाति का प्रतिनिधित्व कर रहीं नवोदित कवियत्री लता शबनम ने बालाघाट से आकर कुछ इस अंदाज में श्रृंगार परोसा- 'नदी जब भी जवां होती तो बंधन तोड़ देती है, तटों के बीच बहने की प्रथाऐं तोड़ देती है- उसे मिलने की चाहत है, समन्दर में समाने की, गुरूरे बांध को वो एक पल में तोड़ देती हैÓ। शिवपुरी के एडीएम जेड.यू.शेख ने जमाने की सोच को उजागर करते हुए कहा कि ' जिनके घर में अमीरी के शजर लगते हैं, उनके हर ऐब जमाने को हुनर लगते है। शेख ने अपनी गजलों से श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटीÓ।

छतरपुर से पधारे ओज के कवि अभिराम पाठक ने वीर रस की कविताओं से लोगों में जोश का संचार किया। शहीद भगत सिंह को स्मरण करते हुए-'ज्यों ही छुआ भगत ने रस्सा, ज्यों होंठों के निकट गया- फूट-फूट कर रोया रस्सा और गले से लिपट गया...Ó। सारी रात वीरता की हुंकार भरी। उन्होंने छदम् आतंकवाद पर ना केवल पाकिस्तान को जमकर कोसा बल्कि कश्मीरी अलगाववादी ताकतों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि जिन सैनिकों पर छिपकर हमले करके उनकी जान कश्मीर में ली जाती है बाढ़ के समय जान खतरे में होने पर उन्हीं सैनिकों ने कश्मीरियों की जान बचाई।

ग्वालियर से पधारे हास्य कवि साजन ग्वालियरी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में श्रोताओं को लगातार  गुदगुदाए रखा। अपने चुटीले अंदाज में फिल्मी हीरोईन, तमाम राजनैतिक दलों, टूटी सड़कों, रेल डकैती आदि सभी विषयों को निशाने पर लिया।

अतुल कुमार मौसम ग्वालियर एवं विनोद अलबेला ने भी काव्यपाठ किया। नवोदित कवि अतुल कुमार ने कहा कि 'रात में फुटपाथ पर एक बेबसी रोती रही- लोग तो जागे मगर संवेदना सोती रही..Ó। स्वागत भाषण कार्यक्रम संयोजक धैयवर्धन शर्मा ने दिया। प्रारंभिक संचालन सुनील लिटोरिया खोड़ एवं कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन विमल जैन मामा ने किया। इस कार्यक्रम में नगर के अलावा पोहरी, बैराढ़, कोलारस, बदरवास, बघरवारा, सिरसौद, करैरा, दिनारा आदि से भी श्रोताओं की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। प्रात:काल आतिशबाजी चलाकर एक-दूसरे को नव वर्ष की बधाईयां दी गई।