पेट्रोल-डीजल हुआ सस्ता फिर भी यात्रियों पर ही पड़ रहा बोझ

शिवपुरी। अंर्तराष्ट्रीय बाजार में लगातार गिर रहे डीजल, पैट्रोल दामों की बजह से समूचे देश में डीजल पैट्रोल के दामों में भारी गिरावट आई हैं। लेकिन इसके बाबजूद भी ट्रांसपोटरों व बस संचालकों द्वारा माल भाड़े व यात्री किराये में कोई कमी नहीं की गई है। जिससे प्रदेश की जनता को डीजल के दाम कम होने के बाबजूद भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

ट्रांसपोटरों द्वारा माल भाड़े में कमी न होने से खाद्य सामिग्री  के साथ-साथ अन्य बस्तुओं की कीमतें जस की तस बनी हुर्ई है। जिसकी ओर शासन प्रशासन कोई भी ध्यान देने को तैयार नहीं है। बीते माहों में डीजल के दाम बढने पर बस संचालकों एवं ट्रांसपोटरों द्वारा किराये में भारी वृद्धि कर दी गई थी, लेकिन डीजल के दामों में भारी गिरावट आने के बाद भी किराये में कमी क्यों नहीं आई। जबकि ग्वालियर में संचालित होने वाले टे पो टेक्सियों के किराये में आरटीओ द्वारा 10 प्रतिशत किराया कम किया गया हैं। लेकिन शिवपुरी आरटीओ द्वारा जनहित में ऐसा कोई निर्देश क्यों जारी नहीं किया गया?

डीजल सस्ता फिर किराया कम क्यों नहीं
अंतर्राष्ट्रीय बाजार के आधार पर देश में भी डीजल के दामों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इसके बाबजूद यात्रियों के किराए में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई। पूर्व समय में डीजल के दामों में बढोत्तरी  होने पर बस ऑपरेटरों द्वारा किराये में भारी बढोत्तरी की गई थी, शासन को मजबूरन बस आपरेटरों की शर्तो पर किराये में बढोत्तरी की गई।

बस आपरेटरों से पंगा न लेते हुए शासन मौन धारण किये हुए है क्योंकि शासन के पास इनके अलावा कोई विकल्प नहीं है। जिससे शासन बस आपरेटरों के समक्ष नतमस्तक है। प्रदेश की जनता लुटती है तो लुटती रहे, इससे शासन पर क्या पर्क पडऩे बाला है।

पूरे पैसे देकर भी नहीं दिए जाते टिकिट
शहर के बस स्टेण्ड से संचालित होने बाली तथा यहां से गुजरने बाली यात्री बसों यात्रियों को विधिवत पैसे लेकर टिकिट नहीं दिये जाते हैं जिससे इन में यात्रा करने बाले यात्रियों के साथ कोई घटना दुर्घटना होने पर कोई लिखित साक्ष्य नहीं रहता है। साथ ही बस संचालकों द्वारा यात्रियों से मनमाना किराया बसूला जाता है जिससे यात्रियों को बेबजह ही आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है।

मनमाफिक वसूलते है किराया
प्राइवेट बस ऑपरेटरों द्वारा संचालित की जाने बाली बसों पर परिचालक स्थाई न होने के कारण चाहे जब, बस परिचालक यात्रियों से लड़ झगड़ कर मनमाफिक किराया बसूलते हैं। जिसे बस ऑपरेटरों की शह होने के कारण यात्रियों से अभद्र व्यवहार किया जाता हैं। जिसकी बजह से यात्रियों का काफी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। वहीं दूसरी ओर बस संचालकों द्वारा इन परिचालकों को चाहे जब बसों से उतारकर भगा दिया जाता है।

बिना फिटनेस के चल रही बसें, कार्यवाही की दरकार
शहर से संचालित होने बाली अधिकांश बसें खटारा स्थिति में हैं। जो चलाने योग्य न होते हुए भी सड़कों पर चल रही हैं, और चाहे जब रास्ते में खड़ी हो जाती हैं। जिससे यात्री अपने गतव्य पर समय पर नहीं पहुंच पाते हैं। आरटीओ द्वारा फिटनेस प्रमाण पत्र न होने के बाबजूद भी बसों का संचालन बदस्तूर जारी हैं। जो बस ऑपरेटरों एवं आरटीओ कार्यालय के कर्मचारियों की सांठ गांठ की ओर स्पष्ट रूप से इंगित करता हैं। खटरा बसों के संचालन का खामियाजा यात्रियों को भी भुगतना पड़ रहा है। जबकि इसके विपरीत यात्रियों से मनमाना किराया बसूला जाता है। ऐसी विसम परिस्थिति होने के बाबजूद आरटीओ द्वारा बस संचालकों को बस संचालन की परमिशन कैसे दे दी जाती है?

परमिट एक चल रही तीन-तीन बसें
शहर से संचालित होने बाली अधिकांश बसें गुना-ग्वालियर  या पोहरी बैराड़, शिवपुरी से करैरा या पिछोर चलने वाली अधिकांश बस संचालकों पर एक ही परमिट पर तीन-तीन बसों का संचालन किया जा रहा है जिससे शासन को लाखों रूपए की क्षति का सामना करना पड़ रहा हैं। लेकिन इसके बाबजूद भी आरटीओ द्वारा ऐसे बस संचालकों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जाती। जिससे ऐसे बस ऑपरेटरों की हौंसले बुलंद बने हुए हैं, जो शासन को सरेआम क्षति पहुंचा रहे हैं।