TI ने नेताजी की अर्दली नहीं की, इसलिए हुए लाइन हाजिर

राजू यादव/शिवपुरी। शिवपुरी कोतवाली के टीआई योगेन्द्र सिंह जादौन को लाइन हाजिर कराना अब यशोधरा राजे सिंधिया के लिए परेशानी का सबब बन गया है। सरकारी कर्मचारियों के कामकाज में इस स्तर पर दखलअंदाजी के बाद कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग सिंधिया के खिलाफ लामबंद हो रहा है जिसमें पुलिस विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं। इधर पता चला है कि टीआई ने एक सिंधिया समर्थक की अर्दली से इंकार कर दिया था, जिसके चलते इस कार्रवाई के लिए एसपी पर मंत्री की ओर से दबाव बनवाया गया।

शिवपुरी में यह खबर आज की सबसे हॉटकेक रही। यशोधरा राजे सिंधिया से जुड़े होने के कारण यह और भी ज्यादा चर्चित रही। हालांकि एसपी और टीआई दोनों ही इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं परंतु जनचर्चाओं ने पूरे मामले की कलई खोलकर रख दी।

बताया जा रहा है कि एक मंत्री समर्थक व्यापारी पुलिस के कामकाज में लगातार इंटरफेयर करता आ रहा है। टीआई जादौन को भी कई बार इस समर्थक ने निर्देशित करने का प्रयास किया। कई मामलों में संबंधित समर्थक के मनमाफिक कार्रवाईयां भी हुईं परंतु कुछ मामलों में मंत्रीजी के समर्थक को निराश होना पड़ा।

बस फिर क्या था, मंत्रीजी के समर्थक नाराज हो गए। ऐसे ही एक मामले में पिछले दिनों वो थाना कोतवाली में टीआई पर प्रेशर बनाने के लिए पहुंचे परंतु टीआई ने उन्हे ज्यादा तवज्जो नहीं दी और राउंड पर निकल गए। इस घटनाक्रम को संबंधित व्यापारी व मंत्री समर्थक ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया एवं मंत्री के माध्यम से लगातार एसपी पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाया गया। पता चला है ​कि मंत्रीजी चाहतीं थीं कि टीआई को सस्पेंड किया जाए एवं उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई हो परंतु समर्थक महोदय की शिकायतों में इतनी दम नहीं थी, अत: सिंधिया का ईगो शांत करने के लिए जादौन को लाइन हाजिर कर दिया गया।

इस कार्रवाई के बाद अचानक पासा पलट गया। शिवपुरी के कथित कद्दावर सिंधिया समर्थक अब खुद ही सवालों के मायाजाल में फंस गए हैं। कर्मचारियों के अलावा आमजन भी प्रशासन के दैनिक कामकाज में इस तरह की दखलअंदाजी की निंदा कर रहे हैं। हालांकि सिंधिया समर्थक नेताजी द्वारा इस मामले में डैमेज हुए ब्रांड सिंधिया को पॉलिश करने का प्रयास किया जा रहा है, मीडिया को भी मैनेज करने का उपक्रम जारी है, ताकि कम से कम आमजन के बीच लोकप्रिय हुए टीआई जादौन को जनता की अदालत में दोषी सिद्ध किया जा सके, परंतु सवाल यह है कि सच को कब तक छिपाया जा सकेगा, शिवपुरी के उन तमाम कर्मचारियों को कैसे चुप कराएंगे जो इस मामले और ऐसे ही तमाम मामलों की कहानियां आज दिनभर सुनाते रहे।