क्या SMC के VP का चुनाव बिना खरीद-फरोख्त के होगा...

शिवपुरी। क्या ऐसा लगता है कि इस बार के नगर पालिका उपाध्यक्ष का पद बिना खरीद फरोख्त के हो सकेगा। हालांकि यह चर्चाऐं सबदूर सुनाई दे रही है कि एक-एक पार्षद को खरीदने के लिए  4 से 5 लाख रूपये की बोली लगी है। अब ऐसे में यह बात मुंह उठाए खड़ी है कि जनता के दिल पर राज करने के लिए नपा उपाध्यक्ष बनने के लिए भी खरीद फरोख्त करनी पड़ेगी।
यह बात सुनने में तो ठीक है लेकिन जो इतनी राशि खर्च कर नपा उपाध्यक्ष बनेगा तो इससे अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि वह इससे दोगुना कमाने की भी सोच रखेगा और जिसकी परिणीति भ्रष्टाचार के रूप में सामने आएगी। अब देखना होगा कि क्या होता है...।

नगरपालिका उपाध्यक्ष बनने के लिए आवश्यक पार्षदों के बहुमत के भाजपा बिल्कुल करीब है। 39 पार्षद और 1 अध्यक्ष सहित 40 सदस्यीय सदन में भाजपा के निर्वाचित पार्षदों की संख्या 18 है और भाजपा के कम से कम तीन बागी पार्षद सीट जीतकर आए हैं। इसके बावजूद भी यह चर्चा चल रही है कि उपाध्यक्ष वही पार्षद बनेगा जो 30 से लेकर 50 लाख रूपये खर्च करने की हिम्मत दिखाएगा। चाहे वह किसी भी पार्टी का क्यों न हो। यह चर्चा अकारण भी नहीं है।

पिछली तीन उपाध्यक्ष चुनाव परिणामों का इतिहास देखें तो स्पष्ट है कि तीनों चुनावों में जमकर धनबल का इस्तेमाल हुआ। पार्टी निष्ठाओं की धज्जियां उड़ीं। धनबल के खुलेआम इस्तेमाल से नगरपालिका का कार्यकाल दिन-प्रतिदिन बद्तर होता जा रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या कांग्रेस या भाजपा में से कोई एक दल या दोनों दल सार्वजनिक रूप से यह कहने की हिम्मत जुटा पाएंगे कि उपाध्यक्ष पद के चुनाव में खरीद-फरोख्त में एक पैसा भी खर्च नहीं करेंगे। उन्हें हारना मंजूर है, लेकिन पैसे खर्च कर जीतना कतई नहीं। क्या राजनीति के शुद्धिकरण में वे यह आहुति देने को तैयार हैं?

गुटों में बंटी भाजपा के अलग-अलग गुट अपने प्रत्याशी को उपाध्यक्ष पद के लिए टिकट दिलाने और जिताने में अभी से जुट गए हैं। भाजपा की बात करें तो उपाध्यक्ष पद के लिए सबसे मजबूत दावा निर्वतमान उपाध्यक्ष भानु दुबे का है। लेकिन पिछले चुनाव में जीत के बाद भी कड़वे अनुभव के कारण वह चुनाव लडऩे के प्रति अधिक उत्साहित नजर नहीं आ रहे। भाजपा की राजनीति में एकाएक आए और वार्ड क्रमांक 22 से पार्षद बन गए चंद्रकुमार बंसल की धनबल की ताकत पर उपाध्यक्ष बनने का स्वप्न देख रहे हैं। उन्हें टिकट दिलाने में भाजपा जिला महामंत्री ओमी गुरू की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी और सूत्र बताते हैं कि अब वह ही उनके लिए लॉबिंग भी कर रहे हैं।

पिछले चुनाव में निर्दलीय और अब भाजपा टिकट से जीते वार्ड क्रमांक 31 के पार्षद पंकज महाराज की नजर भी उपाध्यक्ष पद पर है और उनके पैरवीकारों में पूर्व विधायक नरेन्द्र बिरथरे, जनपद पंचायत शिवपुरी के पूर्व अध्यक्ष सोनू बिरथरे का नाम लिया जा रहा है। चुनाव में यदि धनबल निर्णायक हुआ तो उपरोक्त तीनों में से किसी एक को भाजपा का टिकट मिल सकता है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो वार्ड क्रमांक 10 के पार्षद अनिल शर्मा अन्नी पूरी ताकत से उपाध्यक्ष बनने की मुहिम में लगे हैं। कांग्रेस में उपाध्यक्ष पद के दावेदारों की कमी नहीं है।

वार्ड क्रमांक 33 के पार्षद इस्माइल खान से लेकर वार्ड क्रमांक 9 के युवा पार्षद आकाश शर्मा कतार में हैं। ये सभी दावेदार उपाध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के लिए किसी भी कोण से पीछे रहने में भरोसा नहीं कर रहे हैं। इनसे जुड़े सूत्र बताते हैं कि वे हर तरह की लड़ाई के लिए तैयार हैं। उपरोक्त सभी पार्षदों की आर्थिक पृष्ठभूमि के कारण यह चर्चा चल रही है कि उपाध्यक्ष पद के चुनाव में फिर इस बार पैसे का खेल होगा। लेकिन इनमें से कई पार्षद स्पष्ट रूप से इसके खिलाफ हैं और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि पैसे खर्च कर उपाध्यक्ष बने तो नगरपालिका की भ्रष्ट राजनीति कैसे सुधरेगी?

पार्षदों की खरीद-फरोख्त कर नहीं बनूंगा उपाध्यक्ष: भानु दुबे

नपा उपाध्यक्ष भानु दुबे ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह उपाध्यक्ष पद के चुनाव में पार्षदों की खरीद-फरोख्त के खिलाफ हैं। वह स्वयं चुनाव लडऩे के लिए उत्सुक नहीं हैं, लेकिन यदि भाजपा ने उन्हें टिकट दिया तो वह पार्षदों की खरीद-फरोख्त कतई नहीं करेंगे। राजनीति के शुद्धिकरण की दिशा में मैं सबसे पहले पहल कर रहा हूं। पार्षदों की खरीद-फरो त कर जीतने के स्थान पर उन्हें हारना मंजूर है।

सौगंध खाकर गए थे 13 पार्षद वोट आए 7

2004 में नगरपालिका उपाध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा की वरिष्ठ नेत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने पार्टी उम्मीदवार को जिताने के लिए विशेष रूचि ली थी। उन्होंने उपाध्यक्ष पद के लिए 13 पार्षदों की उपस्थिति में हरचरण पाल को उम्मीदवार घोषित किया था। चुनाव में भाजपा के बागी पार्षद ओमप्रकाश जैन ओमी भी चुनाव लड़े थे। कांग्रेस ने पदम चौकसे को उम्मीदवार बनाया था और बागी उम्मीदवार के रूप में नरेन्द्र जैन भोला खड़े हुए थे।

चुनाव में भाजपा पार्षद को मात्र 7 मत प्राप्त हुए थे। चुनाव हारने के पश्चात भाजपा के 13 पार्षद सफाई देने के लिए एक साथ यशोधरा राजे के समक्ष पहुंच गए तो उन्हें देखकर यशोधरा राजे को उनकी कथित बेशर्मी पर हंसी आ गई। पिछले नगरपालिका चुनाव में तो दलों के पार्षदों ने भी अपनी पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने के लिए बड़ी राशि ली थी।