कौन अनुराग मैं नहीं जानता: कलेक्टर, बौखलाए अनुराग ने कहा CMO को देख लूंगा

शिवपुरी। गांधी पार्क में नवनिर्मित कम्युनिटी हॉल पर से स्व. सुशील बहादुर अष्ठाना के नाम को प्रशासन द्वारा सफेदे से पोते जाने को लेकर विवाद गहरा गया है। सीएमओ कमलेश शर्मा का कहना है कि पीआईसी बैठक निरस्ती के बाद भी गैर कानूनी रूप से अध्यक्ष ने कम्युनिटी हॉल का नामकरण अपने ससुर के नाम कर दिया था। इसलिए नाम मिटवाया गया है।

वहीं अध्यक्ष पति अनुराग अष्ठाना इस मामले को राजनैतिक दबाव से जोड़कर देख रहे हैं और उनका कहना है कि पीआईसी बैठक के स्वीकृत एजेण्डे पर स्वयं सीएमओ के हस्ताक्षर हैं। हालांकि उन्होंने पारित प्रस्ताव की प्रतिलिपि नहीं दी। उनका कहना है कि उस एजेण्डे में कम्युनिटी हॉल को उनके पिता स्व. सुशील बहादुर अष्ठाना और नवीन बस स्टेण्ड को राजमाता स्व. विजयाराजे सिंधिया के नाम से स्वीकृत कराया गया है। बाद में नगरपालिका सीएमओ कमलेश शर्मा ने फर्जी आदेश निकालकर कलेक्टर के सौंपा। जिसके आधार पर कलेक्टर ने निरस्त किया था जो गलत था।

श्री अष्ठाना का कहना है कि जिन लोगों ने मेरे पिता का अपमान कर उनके नाम को पुतवाया है। वही लोग वहां खड़े होकर मेरे पिता का नाम लिखवाएंगे। उनका कहना है कि सीएमओ के हस्ताक्षर के बाद ही पीआईसी में दोनों प्रस्ताव पास हुए थे। जिसकी प्रति भी उनके पास है और वह इस मामले को पार्टी के शीर्ष नेताओं के समक्ष रखेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो वह न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएंगे। वहीं उन्होंने कहा कि अगर वह एजेण्डा गलत था तो प्रशासन ने मेरे पिता के नाम के साथ-साथ बस स्टेण्ड पर लिखे नाम को क्यों नहीं पुतवाया।

CMO पर कराऊंगा FIR
कम्युनिटी हॉल से नपाध्यक्ष के ससुर स्व. सुशील बहादुर अष्ठान का नाम हटाने से पूर्व मण्डल अध्यक्ष एवं नपाध्यक्ष पति अनुराग अष्ठाना ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सीएमओ ने कलेक्टर को भ्रमित किया है और झूठा पत्र उन्हें सौंपा है। जबकि नगरपालिका से उक्त एजेण्डे को विधिवत् रूप से सीएमओ के हस्ताक्षर के बाद 15.10.2014 को जावक नंबर 3359 और 3360 से उन्हें पास एजेण्डे की प्रति दी गई थी।

इसके बाद भी सीएमओ ने राजनैतिक दबाव के चलते उनके पिता का नाम कम्युनिटी हॉल से पुतवा दिया है। जबकि एजेण्डे में 112 बिंदू थे। जिनमें लगभग आधे बिंदुओं पर सीएमओ ने भुगतान कर दिये हैं और कुछ बिंदुओं के वर्क ऑर्डर भी निकाल दिए हैं। अगर यह पीआईसी निरस्त हो गई थी तो फिर सीएमओ ने भुगतान क्यों किए? और वर्क ऑर्डर क्यों निकाले? वह सीएमओ पर एफआईआर कराने की तैयारी कर रहे हैं।

PIC के निर्णय को निरस्त करने का कलेक्टर को नहीं है अधिकार: अनुराग
पीआईसी के निर्णय को सीएमओ के पत्र के बाद कलेक्टर राजीवचंद दुबे ने निरस्त कर दिया था। जिसे अध्यक्ष पति अनुराग अष्ठाना ने नियम विरूद्ध बताया है और उनका कहना है कि कलेक्टर को अधिकार नहीं है कि वह पीआईसी और परिषद के निर्णय को निरस्त कर सके। उन्होंने कहा कि कलेक्टर सिर्फ प्रकरण को निलंबित कर उसकी पुष्टि के लिए शासन को भेज सकता है और उस निर्णय को निरस्त करने का अधिकार सिर्फ शासन को है। कलेक्टर ने उक्त प्रकरण को गलत तरीके से निरस्त किया है। इसके लिए भी वह न्यायालय की शरण लेंगे।

मैं किसी अनुराग को नहीं जानता: कलेक्टर
इस मामले में कलेक्टर राजीवचंद दुबे से जब प्रतिक्रिया चाही गई और पूछा गया कि अध्यक्ष पति अनुराग अष्ठाना उनके पिता के नाम को पोते जाने को लेकर प्रशासन पर राजनैतिक दबाव में काम करने का आरोप लगा रहे हैं तो कलेक्टर ने कहा कि कौन अनुराग अष्ठाना, मैं किसी अनुराग अष्ठाना को नहीं जानता। उन महाशय की नगरपालिका में हैसियत क्या है? और इस मामले में कार्रवाई से प्रशासन को क्या लेनादेना। जो भी कार्रवाई की गई है वह नगरपालिका ने की है और इसके बारे में वह ही जवाब दे पाएंगे।