कालामढ कांड: हाईकोर्ट ने ईओडब्ल्यू को लताड़ा

शिवपुरी। जिले बैराढ कस्बे के ग्राम कालामढ में शासन की करोडों रूपए की चरनोई भूमि पर तत्काालिन एसडीएम, तहसीलदार, आरआई, पटवारी और  सरंपच, ने मिलकर करोडो रूपए के प्लाट काट कर बेच दिए थे।

इस कालामढ के काले सच की शिकायत स्थानीय नागरिको ने वर्ष 2012 में ईओडब्ल्यू में शिकायत की थी। जिस पर से ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने कालामढ आकर जांच की और भोपाल ईओडब्ल्यू के थाने मेें अपराध क्र 75/2012 अंतर्गत धारा 420, 409, 120बी, 467, 468, 471 भादवि एवं 13 एक डी, 13 दो भ्रनिअ 1988 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया था।

इसमें कालामढ के तात्कालिन सरपंच बद्रीप्रसाद ओझा, राजकुमार ओझा, कालामढ के तात्कालिन एसडीएम एनके बोरवाल,  तत्कालीन तहसीलदार आरबी सिंडोसकर, शैलेन्द्र राय, हाकिम सिंह, साहिर खॉन, तत्कालीन राजस्व निरीक्षक रामकिशोर त्रिवेदी, राजेश वत्स, जेपी श्रीवास्तव, तत्कालीन पटवारी प्रेमनाराश्यण श्रीवास्तव, बृजलाल शर्मा, घनश्याम वर्मा के खिलाफ  6 नबंबर 2012 को कालामढ का कालासच की जांच करते हुए शासकीय जमीन को खुर्दबुर्द करते हए आरोपी बनाया।

कालामढ के कालेसच की शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू ने जेट की स्पीड से जांच की और तत्कालीन आरापियों के खिलाफ एफआईआर कर दी परन्तु एफआईआर के बाद 2 साल गुजर जान के बाद भी आज तक कोई कार्यवाही ना ही कोई गिर तारी नही हुई थी। इस प्रकरण में ईओडब्ल्यू इस स्थिति को देखकर दिनेश शर्मा ने अभिभाषक जयप्रकाश मिश्रा के माध्यम से जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की।

इस याचिका की सुनवाई करते हुए 17 नबंबर 2014 माननीय न्यायालय द्वारा मप्र शासन के प्रमुख सचिव, राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो, अधीक्षक एवं थाना प्रभारी राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो भोपाल को आदेशित करते हुये फ टकार लगाई और कहा कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुये काफ ी समय पश्चात भी अपराधियों के विरूध्द कोई वैधानिक कार्यवाही क्यों नहीं की गई और क्यों नहीं अपराधियों को आज तक गिरफ तार  किया गया।