कांग्रेस प्रत्याशी ने बिना मेंडेड पर्चा भरा

शिवपुरी। नगर पालिका अध्यक्ष शिवपुरी को लेकर भारतीय जनता पार्टी के अलावा कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व निर्दलीय सहित कुल 19 लोगों ने अपने नामांकन पत्र अंतिम दिन तक प्रस्तुत किए है।

उसमें भाजपा की ओर से हरज्ञान प्रजापति, हरिओम राठौर, मानकचन्द्र राठौर एवं कांग्रेस की ओर से सरवन धाकड़, अशोक ठाकुर, छत्रपाल सिंह गुर्जर, पदम चौकसे, राजेन्द्र कुमार शिवहरे, मुन्ना लाल कुशवाह ने नामांकन भरा है इसके अलावा अफजल खान समाजवादी पार्टी और लक्ष्मणदास त्यागी बहुजन समाज पार्टी से प्रत्याशी बनकर सामने आए है।

इसके बाद 08 अन्य लोगों ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपने नाम निर्देशन पत्र जिला निर्वाचन अधिकारी को प्रस्तुत किए है इन निर्दलीय प्रत्याशियों में भी दो प्रत्याशी बद्री धाकड़ और हेमंत ओझा ऐसे है जिनकी पृष्ठभूमि से भारतीय जनता पार्टी से मानी जाती है और जो टिकिट भी भाजपा से मांग रहे थे, रामजी लाल कुशवाह पूर्व में भी कांग्रेस मेण्डेड के साथ अपना चुनाव लडऩे के लिए मेदान में आए थे उन्होंने भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन फार्म भरा है। शेष 5 लोगों ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर आवेदन किया है जिनकी पृष्ठभूमि किसी भी राजनैतिक दल से नहीं मानी जा सकती।

भारतीय जनता पार्टी में जहां हरिओम राठौर को स्पष्ट तौर पर संभागीय समिति की ओर से प्रत्याशी घोषित करने की कार्यवाही होने के बाद पार्टी मेण्डेड दिया जा चुका है वहीं कांग्रेस में भी किसी भी व्यक्ति को पार्टी ने अपना मेण्डेड जारी नहीं किया है। मुन्ना लाल कुशवाह के नाम को लेकर अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर अफवाहों का बाजार पिछले चार दिन से गर्म था लेकिन नाम निर्देशन पत्र भरने की अंतिम तारीख तक सूत्रों के मुताबिक इंडियन नेशनल कांग्रेस ने अपना मेण्डेड पत्र मुन्ना लाल को नहीं दिया है।

हरिओम राठौर के सामने कांग्रेस मुन्ना लाल कुशवाह के अलावा किसी अन्य को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित करे इसकी संभावनाऐं नाम निर्देशन के अंतिम समय तक बिल्कुल नहीं थी लेकिन सूत्रों के मुताबिक मेण्डेड पत्र ना मिलने से यह माहौल गर्म हो गया है कि पार्टी के कर्ताधर्ता सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जनता के फीडबैक को आधार मानकर अपना निर्णय मुन्ना लाल के अलावा किसी अन्य व्यक्ति पर भी 15 तारीख तक कर सकते है लेकिन हरिओम राठौर भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी है जबकि मुन्ना लाल कुशवाह को फिलहाल कांग्रेसी प्रत्याशी मानकर आम आदमी के बीच में इस उजड़े हुए शहर को संवारने की जो प्रतिक्रिया आई है वह राजनैतिक दलों के कर्ताधर्ताओं पर कई तरह के सवालिया निशान लगा रही है।

जो हरिओम राठौर अपने वार्ड के चुनाव में अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी के सामने पार्षद का चुनाव लडऩे से पिछले कई वर्षों से डरते रहे है उन्हें अब नगर पालिका अध्यक्ष के पद का उम्मीदवार घोषित किया है। नरेन्द्र मोदी की लहर इस प्रत्याशी को लेकर कितनी कारगर नपा चुनाव में साबित होगी या पूर्व के नगर पालिका अध्यक्ष की कारगुजारियों की लीपापोती इन्हें ले डुबाएगी इसके बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन राठौर समाज के बीच से जिन्हें चुना है उन्हीं राठौर समाज के विधायक माखन लाल राठौर की कार्यप्रणाली को लेकर यशोधरा राजे सिंधिया ने कई सवाल अपने विधानसभा चुनाव में उठाए थे इसके अलावा पिछड़े वर्ग के लोगों ने सामूहिक तौर पर यह दबाब बनाया था कि राठौर समाज के बजाए किसी अन्य समाज से भाजपा प्रत्याशी का चयन करें अब हरिओम राठौर को राठौर समाज के साथ-साथ अन्य ओबीसी वर्ग का विरोध पाटना पहली चुनौती होगी।

वहीं दूसरी ओर पूर्व में नगर पालिका अध्यक्ष रिशिका अष्ठाना पर भी सार्वजनिक आरोप-प्रत्यारोप कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने लगाए थे बल्कि नीलगर चौराहे की सभा में उन्होंने सीसी रोड़ों के उद्घाटन कार्यक्रम में कमीशनखोरी की बात को भी सार्वजनिक तौर से कहा था, अब राठौर समाज का निर्णय नगर पालिका अध्यक्ष के तौर पर जो भाजपा ने किया है तो भविष्य में क्या उन्हें दो एफडी खराब करने के बजाए एक एफडी खराब होने की बात कहना पड़ेगी, यह जनता में चर्चा का विषय है।

हरिओम राठौर को छोड़कर शेष अन्य चार भाजपा पृष्ठभूमि के लोगों ने भी नामांकन दाखिल किया है इनमें से भी सूत्रों के मुताबिक बद्री धाकड़ के चुनाव मैदान में डटे रहने की पूरी उ मीद जताई जा रही है। भाजपा के कार्यकर्ताओं में हरिओम राठौर के नाम को लेकर जो उत्साह दिखना चाहिए वह पहली प्रतिक्रिया में दिखा नहीं और जनता का ऐसा मानना है कि खस्ताहाल नगर पालिका की प्रशासनिक व्यवस्था को सुधारने की जिस स त व्यक्तित्व की जरूरत थी उसमें किसी भी तरह से हरिओम राठौर फिट नहीं बैठते है।

....कहीं जनता का फीडबैक तो नहीं ले रहे सांसद सिंधिया
कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मुन्ना लाल कुशवाह ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। मुन्ना लाल को लेकर यदि अंतिम निर्णय कांग्रेस का होता तो अधिकृत मेण्डेड उनके द्वारा जमा किया जाना चाहिए था। सूत्रों के मुताबिक यह मेण्डेड अभी जमा नहीं हुआ है इसका अर्थ है कि सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, मुन्ना लाल कुशवाह के निर्णय को लेकर जनता के फीडबैक का मूल्यांकन कर रहे है साथ में यह भी मूल्यांकन कर रहे है कि जिन्होंने मुन्ना लाल कुशवाह के नाम पर उन्हें रजामंदी करने का काम किया था। उनकी अनुशंसा जनता के बीच कहां तक सही है। शायद इसीलिए अभी मेण्डेड को रोका गया है। जल्दबाजी में कांग्रेसी नेता राजेन्द्र गुर्जर को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अधिकृत करके मेण्डेड देने की जो कार्यवाही की थी वह भी एक षडयंत्र था जिसे चतुर राजनैतिक की तरह सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रोक दिया था और राजेन्द्र गुर्जर मेण्डेड नहीं ला पाए। मेण्डेड जिलाध्यक्ष रामसिंह यादव के पास है और जिसे जिला निर्वाचन अधिकारी के पास जमा करना शेष है। मुन्ना लाल कुशवाह के अलावा चार अन्य लोगों ने भी कांगे्रस से अपना नामांकन पत्र भरा है। मुन्ना लाल कुशवाह को कुशवाह समाज की पृष्ठभूमि के आधार पर प्रत्याशी घोषित कराने की जो रणनीति बनी थी वह यदि पूरी तरह से कारगर होती तो मुन्ना लाल कुशवाह को मेण्डेड मिल जाता। मुन्ना लाल कुशवाह की सूत्रों के मुताबिक कुशवाह समाज में कई मामलों को लेकर विवादास्पद स्थिति है जिसमें से एक मामला कुशवाह समाज के द्वारा चंदा इकठ्ठा करके जमीन खरीदी का भी माना जा रहा है। जिसको लेकर मुन्ना लाल कुशवाह विवादित हुए थे। मुस्लिम समाज के भाजपा प्रत्याशी से मुन्ना लाल कुशवाह पिछले नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लगभग एक हजार वोटों से पार्षद का चुनाव हारे है। इसके अलावा सांवलदास गुप्ता परिवार से उनकी नजदीकियां सार्वजनिक तौर पर जानी जाती है। इन नजदीकियों के कारण अन्य वैश्य समाज को लेकर कई तरह के सवाल दिमाग में उठ रहे है और चुनाव का संचालन उन्हीं हाथों से शुरू हुआ है जो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र रघुवंशी के कर्ताधर्ता थे इसके अलावा भाजपा के एक पूर्व विधायक से पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता से उनकी रिश्तेदारियों का मामला भी चर्चा में है। जो पूर्व विधायक घोर सिंधिया परिवार के माने जाते है और सिंधिया से नाराज होकर दिग्विजय सिंह के संपर्क में आने की पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष की कारगुजारियां भी चर्चा में है। इन सब परिस्थितियों का मूल्यांकन अभी होना शेष है शायद इसी सामाजिक और राजनैतिक परिस्थितियों को तौलने के लिए मुन्ना लाल कुशवाह को कांग्रेस ने अधिकृत प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।