यशोधरा जी, ये आपका दर्द है या घड़ियाली आंसू

शिवपुरी। विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ने आज यहां एक बड़ा ही मार्मिक सा भाषण दिया। उन्होंने कहा कि '2007 तक शिवपुरी में कोई समस्या नहीं थी, लेकिन मेरे यहां से जाते ही यह शहर बर्बाद हो गया। अब मुझे ​जीरो से काम शुरू करना पड़ रहा है।' कितना दिल को छू जाने वाला बयान है यह, लेकिन सवाल यह उठता है कि यह स​चमुच यशोधरा राजे सिंधिया का दर्द है या घड़ियाली आंसू। नगरपालिका चुनाव जो आ रहे हैं।

यह बयान यशोधरा राजे सिंधिया ने पुरानी शिवपुरी में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का शुभारंभ करते हुए दिया। इसके बाद उन्होंने और भी कई भावुक कर देने वाले शब्दों का प्रयोग किया और बताया कि वो शिवपुरी के विकास के लिए कितना प्रयास कर रहीं हैं। उन्हें इस शहर की कितनी चिंता है।

इस बार का भाषण संगत का असर कहा जा सकता है। अपनी यशोधरा जी आजकल सीएम शिवराज जी के साथ प्रदेश के विकास के लिए काफी काम कर रहीं हैं। इन्वेस्टर्स मीट के अलावा भी कई जिम्मेदारियां उनके पास हैं सो उनका ज्यादातर समय शिवराज जी के साथ ही बीतता है और शिवराज जी को तो आप सभी जानते ही हे। मीठे मीठे भाषण देने में उनकी बराबर कम से कम फिलहाल मप्र में कोई नहीं कर सकता। वो भाषण ही कुछ इस तरह से देते हैं कि नाराज से नाराज जनता भी 'फिर भाजपा फिर शिवराज' का नारा लगा उठती है। यशोधरा जी के ताजा भाषण में उनका प्रभाव दिखाई दिया।

यहां अपुन कांग्रेस की वकालत नहीं कर रहे, वो तो वकालत के काबिल भी नहीं हैं। अपुन तो 100% स्वार्थी होकर अपनी शिवपुरी की बात कर रहे हैं। बस चंद सवाल करना चाहते हैं, पाठकों को कुछ याद दिलाना चाहते हैं।

सवाल माननीय, श्रीमंत, महाराज और जो जो भी वो हैं, उनसे:

2007 में किसने कहा था कि शिवपुरी छोड़कर चले जाइए। कम से कम शिवपुरी की जनता ने तो नहीं कहा। वोट दे रहे थे, प्यार दे रहे थे, सम्मान दे रहे थे, क्या कमी थी शिवपुरी में जो शिवपुरी को छोड़कर चली गईं। 250 साल पुराने रिश्ते हैं शिवपुरी और सिंधिया के, एक लोकसभा के टिकिट के सारे रिश्ते तोड़ दिए ? यदि आप निर्दलीय भी लड़ते तब भी हम अपको ही जिताते, गुनाह हमने तो नहीं किया, सजा हमें क्यों मिली

चलिए कोई बात नहीं, पार्टी का आदेश था, आपने 250 सालों के संबंधों को भुलाकर पार्टी को महत्व दिया परंतु हमने तो विधायक उसी को चुना जिसे आपने कहा। आपके एक इशारे पर हमने आपकी पार्टी को भुला दिया। उसके बाद दूसरी बार फिर आपने जिसे कहा हमने उसी को वोट दिया। वो एक बिफल नगरपालिका अध्यक्ष था फिर भी हमने उसे विधायक चुना, केवल आपके आग्रह पर। आपने कहा था कि आप प्रत्याशी को नहीं मुझे देखिए, मैं जवाबदारी लेती हूं। हमारे हिसाब से तो विधायक आप ही थीं। फिर आप कैसे कह सकतीं हैं कि शिवपुरी आपके नियंत्रण में नहीं थी।

इसके बाद आप खुद चुनाव लड़ने आ गईं, हमने फिर स्वागत किया, जिताया। सम्मान दिया। आपकी योग्यता ने आपको मंत्री भी बनाया और आपकी ही योग्यता से आप मंत्रीमण्डल में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त कर रहीं हैं परंतु सवाल यह उठता है कि आपकी शिवपुरी किस गुनाह की सजा भुगत रही है।

जब आप राजनीति में आईं तो शिवपुरी बेरोजगारी से जूझ रही थी, खदानें बंद हो गईं थीं। आपने वचन दिया कि खदानें खुलवाकर रहेंगी। आपने प्रयास भी किए परंतु सफल नहीं हुए।

शिवपुरी के जलसंकट से तो माननीय मोदीजी भी अपरिचित नहीं है। जब वो प्रचारक हुआ करते थे तब भी जलसंकट था, आज भी है। क्षमा कीजिए, लेकिन आप उसे दूर नहीं कर पाई। सिंध ही जलसंकट का समाधान है लेकिन सिंध नहीं आई। कहां फंसी है आप जानें, हमें बयान नहीं पानी चाहिए, लेकिन पानी नहीं है। जलसंकट बरकरार है। 

नगरपालिका चुनावों में रिशिका आपका पल्लू पकड़कर चुनाव मैदान में आई। एक ऐसी महिला जिसने मोहल्ले की महिलाओं की कभी मदद नहीं की, उसे आपके आग्रह पर शिवपुरी का नगरपालिका अध्यक्ष बना दिया गया। पूरे 5 साल हमने एक ऐसे अध्यक्ष को सहन किया जिसके पास अपना मोबाइल फोन तक नहीं था। आमजनता आापसे मुलाकात कर सकती थी परंतु रिशिका अष्ठाना से मिलना मुश्किल होता था। जिसके लिए पति ही ब्रह्मा, पति ही विष्णु, पति ही देवो और महेश्वर हुए, शिवपुरी की प्रथम नागरिक का शिवपुरी की जनता से सीधा जुड़ाव ही नहीं रहा। तो इसके लिए दोष किसे दें, किसे गुनहगार मानें कि शिवपुरी में सुअरों की आबादी इंसानों से ज्यादा होने को आ गई। किसको कोसें कि शिवपुरी की सड़कें बर्बाद पड़ीं हैं। किसे काले झण्डे दिखाएं कि माधौ महाराज की शिवपुरी धूलधूसरित हो गई।

हमने तो हमेशा आपके आग्रह को आदेश माना, आपने जिसे कहा, हमने उसे चुना। क्या गुनाह किया आपकी शिवपुरी ने, क्यों हर 5 साल में 1 नई समस्या पैदा हो जाती है और पुरानी तो बनी ही रहती है। कहीं ऐसा तो नहीं कि आपका चयन गलत है, आप गलत व्यक्तियों के कंधों पर हाथा रखतीं हैं, उन्हें प्रमोट करतीं हैं। यदि ऐसा है तो आपको क्षमायाचना करना चाहिए। आपके गलत चयन के कारण शिवपुरी को उचित प्रतिनिधि नहीं मिले, भरपाई आपको ही करनी होगी। भावुक होने की नहीं, सुधार की जरूरत है। जादूई गति से सुधार की जरूरत है। बयानों की जमापूंजी से वोटों का ब्याज इस बार मुश्किल ही होगा।