करैरा क्षेत्र में राजनैतिक हासिए पर पहुंची जातियों में रोष

करैरा। करैरा विगत तीन दशकों से राजनैतिक रूप से हासिये पर चल रहै विभिन्न समाजों में अब राजनैतिक दलों एवं चुनावों के प्रति आक्रोश की स्थिति बनती जा रही है। और अब आक्रोश के साथ ही एकजुटता की जरूरत लोग बातचीत के दौरान व्यक्त करने लगे है तांकि विभिन्न राजनैतिक दलों को उनकी उपेक्षा का मुंहतोड़ जवाब मिल सके जो इन वर्गों को उपेक्षित किए हुए है। तथा इन वर्गों के सं याबल को नजर अंदाज कर मात्र वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किये जा रहै है।

यदि सं याबल से अनुमान लगाया जाये तो ब्राह ण वर्ग के वोट लगभग 3300 के करीब है। मुस्लिम वर्ग के वोट भी करीब 3200 के आसपास है। कुश्वाह समाज के लगभग 1500 वोट है। जाटव समाज के भी वोट लगभग इतने ही है। गहोई समाज के वोट लगभग 2000 है। जबकी गहोई समाज को दो बार नगर पंचायत चुनाव में प्रतिनिधित्व मिला और सभी वर्गो के लोगों ने उन्है प्रतिनिधित्व दिलाने में जीतोड़ मेहनत कर सफ लता दिलाई। मगर राजनैतिक दलों ने मुस्लिम तथा ब्राह ण वर्ग के बाहुल्य वाले वर्गो को प्रतिनिधित्व देने की बात कभी सोची तक नही।

रहा सवाल ठाकुर और कायस्थ समाजों का तो उनके वोट बाहुल्यता के तो नही है मगर निर्णायक अवश्य है।यह अलग बात है कि राजनैतिक दलों ने इन दोनो वर्गों में किसी को नेता नही बनने दिया केवल उनके मतो का ही उपयोग करते रहै। अब फिर चुनाव का मौसम है आगामी नगर पंचायत चुनाव में देखना है कि वोटों की बाहुल्यता तथा निर्णायक वोटो के नुमाईंदों पर पार्टियां अपनी नजर ए इनायत करती है या फिर उन्ही लोगो को मौका देती है जिन्हौने नगर के वोटरों को अपनी जेब में मान लिया है। यदि एैसा हुआ तो उपेक्षित राजनैतिक वर्ग के बाहुल्य वोट एकजुट होकर अपनी जेब का वोट बैंक मान चुके लोगों को मुंहतोड़ जवाब देने का मन बना चुके है।