वाह शिवपुरी! नपाध्यक्ष पद का जिसका कार्यकाल सबसे बेहतर रहा उसी की जमानत जप्त करा दी

शिवपुरी। जहां तक स्मृति जाती है याद पड़ता है गणेशीलाल जैन, सोहनमल सांखला, बल्लभदास मंगल, लक्ष्मीनारायण शिवहरे, श्रीमती राधा गर्ग, माखनलाल राठौर, जगमोहन सिंह सेंगर और श्रीमती रिशिका अष्ठाना की नगरपालिका अध्यक्ष पद पर ताजपोशी हुई थी।

किसी की बुराई की बात न करें और निष्पक्ष रूप से आंकलन करें तो इस बात में शायद ही किसी को शंका होगी कि नपाध्यक्ष पद का कार्यकाल सबसे बेहतर तरीके से सन् 1969 से सन् 1977 तक तीन टर्म में गणेशीलाल जैन ने संभाला था। 

बेहतर इसलिए, क्योंकि उनके समय के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की आज भी प्रतिष्ठा है। बेहतर इसलिए क्योंकि उन्होंने शिवपुरी के सौंदर्यीकरण को निखारने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। नगरपालिका के वर्तमान के सार्वजनिक पार्कों में लगभग 80 प्रतिशत पार्क उनके कार्यकाल में विकसित हुए। उनके कार्यकाल में ही माधव चौक के तीनों फुब्बारे बने थे। बेहतर इसलिए भी कि सीसी रोड में सरकारी स्पेसीफिकेशन 2:3:4 के अनुपात में सीसी रोड निर्माण हेतु सामग्री का इस्तेमाल किया जाना था, लेकिन चाहे सुनार गली, ओसवाल गली या टेकरी गली की सीसी रोड हो। 

श्री जैन ने सीसी रोड के निर्माण में 1:2:3 के अनुपात की सामग्री का इस्तेमाल कराया और इस हेतु जेब से 40 हजार रूपये गणेशीलाल जैन और उनके सहयोगी सोहनमल सांखला ने मिलाए। लेकिन वही गणेशीलाल जैन 2004 के नगरपालिका चुनाव में अध्यक्ष पद के कांग्रेस उ मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे तो जनता ने उनकी जमानत जप्त करा दी। कम से कम यह तथ्य मतदाताओं के चुनने की क्षमता पर प्रश्र चिन्ह अवश्य लगाता है। 

पिछले 20-30 सालों में राजनीति में आमूल-चूल परिवर्तन आ गया है, लेकिन दुर्भाग्य है कि परिवर्तन ऊध्र्वगामी नहीं है। इसी कारण राजनीति की गुणवत्ता घटी है। पदों की आकांक्षा पहले भी होती थी और आज भी है। इस स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं है। अंतर है तो सिर्फ इतना कि पहले प्रतिष्ठा और यश के लिए राजनीति की जाती थी। लेकिन आज राजनीति का मु य मकसद तिजोरी भरना हो गया है। इसी कारण मुझ सहित कई संवेदनशील लोगों का मन व्यथित है और यह ठीक मौका है कि हम जाने कि पहले के राजनैतिज्ञ कैसे होते थे? 

आज के आलेख का उद्देश्य किसी पर टीका टिप्पणी करना नहीं, किसी को जलील करना नहीं, लेकिन उन अच्छाईयों को अवश्य रेखांकित करना है ताकि उनकी स्मृति से ही कुछ गुणात्मक परिवर्तन की संभावना बने। सन् 1969 में कांग्रेस की राजनीति में गणेशीलाल जैन का एक अपना स्थान था। उनका शहर में दबदबा भी था और पूर्व मु यमंत्री प्रकाशचंद सेठी तथा श्यामाचरण शुक्ल के वह बहुत नजदीकी थे। उनकी मित्र मण्डली में स्व. सोहनमल सांखला और स्व. बल्लभदास मंगल का नाम शामिल था। श्री जैन ने इस टीम के माध्यम से राजनीति में अपना दबदबा बनाकर प्रतिष्ठा की कामना से कार्य किया।

उनके कार्यकाल की उपलब्धियों की एक लंबी कतार है। उनके कार्यकाल में हुए निर्माण कार्य आज भी कायम हैं। सुनार गली और ओसवाल गली की सड़कें  40 साल बाद भी वैसी ही हैं जैसे मानो इनका निर्माण हाल ही में किया गया है। माधव चौक पर श्री जैन ने अपने कार्यकाल में 3 तिराहों पर फुब्बारों का निर्माण कराया था। रात्रि में फुब्बारे रोशनी में जब चलते थे तो शिवपुरी की एक अलग ही छटा नजर आती थी। उस समय वीर सावरकर पार्क खण्डहर अवस्था में था, लेकिन श्री जैन ने उस पार्क को विकसित करने में अपनी पूरी ऊर्जा का उपयोग किया। शहर में स्ट्रीट लाइट की देन भी उनके कार्यकाल की उपलब्धि है।

लुहारपुरा में पुल का निर्माण भी श्री जैन के कार्यकाल में हुआ अस्पताल चौराहे पर तथा न्युब्लॉक में स्त भों का निर्माण भी श्री जैन की उपलब्धि के खाते में दर्ज है। मुक्तिधाम के विकास की शुरूआत भी श्री जैन ने करवाई। पहले तांगा स्टेण्ड कोर्ट रोड पर हुआ करता था, लेकिन गणेशीलाल जैन ने उक्त तांगा स्टेण्ड को माधव चौक के सुविधाजनक स्थान पर स्थानांतरित करवाया। कौन मुकाबला कर सकता है उनके कार्यकाल की उपलब्धियों को लेकिन शहर के विकास की अपेक्षा अगले चुनाव में जब गणेशीलाल जैन मैदान में उतरे तो मतदाताओं ने व्यक्तिगत पसंद और नापसंद को आधार बनाकर उन्हें चुनाव हरा दिया।

प्रशासक के रूप में विनोद शर्मा का कार्यकाल बेहतर
नगरपालिका अध्यक्ष के अलावा प्रशासक के रूप में भी कई डिप्टी कलेक्टर नगरपालिका में पदस्थ रहे, लेकिन उनमें सबसे बेहतर कार्यकाल विनोद शर्मा का रहा। उनके कार्यकाल में वीर सावरकर उद्यान का विकास बेहतर ढंग से हुआ और नगरपालिका के खजाने को बढ़ाने में भी उन्होंने दिलचस्पी दिखाई।


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