शिवपुरी-अंचल की महत्वपूर्ण जलावर्धन योजना में विलंब को लेकर समय-समय पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर जनहित में इस योजना को समर्पित किया जाए।
इसके लिए एड.पीयूष शर्मा द्वारा इस महती योजना की पूर्णता को लेकर समय-समय पर कागजी कार्यवाही की गई जिसमें जनहित याचिका के माध्यम से अब यह योजना पूर्ण हो इसके लिए एक कमेटी भी बनाने का आदेश माननीय हाईकोर्ट द्वारा दिया गया जिसमें एक कमेटी बनाकर कलेक्टर, सीएमओ व मुख्य वन संरक्षक को टीम में शामिल होना था लेकिन इस योजना के अधर में लटकने से क्षुब्ध एड.पीयूष शर्मा ने इस टीम को ही कठघरे में खड़ा कर दिया और इनके द्वारा की जा रही लापरवाही को संज्ञान में लेकर माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अव्हेलना को लेकर पुन: याचिका दाखिल की।
जिसमें दिनांक 16 सित बर 2014 को एड.पीयूष शर्मा द्वारा प्रस्तुत कंटेप्ट पिटीशन क्रं.659/2014 अंतर्गत कंटे पट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 सहपठित एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत सुनवाई करते हुए माननीय न्यायामूर्ति श्री एस.के.गंगेले एवं माननीय न्यायमूर्ति श्री रोहित आर्य की युगलपीठ द्वारा रिट याचिका क्रं.130/2014 (पीआईएल)पीयूष शर्मा विरूद्ध म.प्र.शासन राज्य एवं अन्य जिसमे एस.एन.मिश्रा प्रमुख सचिव शहरी विकास एवं प्रशासन बल्लभ भवन भोपाल, ए.पी.श्रीवास्तव प्रमुख सचिव वन विभाग भोपाल, राजीवचन्द्र दुबे कलेक्टर शिवपुरी, ए.के.रावत सीएमओ शिवपुरी, शरद गौड़ मु य वन संरक्षक शिवपुरी एवं रक्षित दोषी मैनेजिंग डायरेक्टर मैसर्स दोशियान लिमिटेड अहमदाबाद गुजरात को 30 अप्रैल 2014 की प्रथम दृष्टया जानबूझकर अवज्ञा करना पाते हुए अवमानना याचिका को संज्ञान में लेते हुए विपक्षी पक्षकारों को नोटिस जारी कर दिए है।
यह हुआ था पूर्व में
एड.पीयूष शर्मा ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर द्वारा उक्त प्रकरण में संचालक माधव नेशनल पार्क शिवपुरी का आदेश दिनांक 11.06.2013 को निरस्त कर जन महत्वाकांक्षी जलावर्धन योजना का कार्य कलेक्टर शिवपुरी, संचालक माधव नेशनल पार्क एवं सीएमओ शिवपुरी की कमेटी गठित कर कार्य को तत्काल प्रारंभ करने एवं समपूर्ण कार्य का सुपरविजन कर शिवपुरी शहर की जलापूर्ति करने हेतु योजना का कार्य नेशनल पार्क परिसर(क्षेत्र) एवं शहर में शेष संपूर्ण कार्य शीघ्रता से करने के आदेश पारित किये गये और इस कमेटी को यह भी आदेश दिया गया था कि यदि मेसर्स दोशियान कंपनी के द्वारा आगे कोई शर्तों आदि का उल्लंघन करन की दशा में कमेटी आवश्यक निर्देश उस कंपनी को देगी। इसके निराकरण हेतु उक्त ठेकेदार कंपनी को कमेटी द्वारा जारी निर्देशों के पालन करने हेतु बंधनकारी रहेगा और यह कमेटी यह भी सुनिश्चित करेगी कि विदित समयांतरण में ही पूरा कराया जावे।
अधर में लटक रहा प्रोजेक्ट
जलावर्धन योजना की पूर्णता को लेकर एड.पीयूष शर्मा ने जो आधार बनाए उसके अनुसार उन्होंने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश तिथि से 6 माह गुजर जाने के बाद भी किसी प्रकार का कोई कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है। आज भी प्रोजेक्ट अधर में लटका है एक भी दिन कोई नहीं किया गया है ना सिर्फ पाईप लाईन बिछान जो कि पार्क क्षेत्र में बिछाई जाना है वह भी बंद पड़ी है बल्कि फिल्टर प्लांट, शहर में पाईप लाईन बिछाने का कार्य भी बंद पड़ा है। ठेकेदार कंपनी सिर्फ और सिर्फ ज्यादा से ज्यादा भुगतान हासिल करने में रूचि ले रही है जिससे कि वह काम छोड़ दें। शहर की सारी जनता परेशान है, नगर पालिका द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 4 करोड़ रूपये का पानी टैंकरों से वितरित कर भ्रष्टाचार से मलाई काट रही है। जनता के धन की लूट हो रही है और लुटवा रहे है। स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन और शासन के ध्याना ना दिए जाने से जनता परेशान है। वहीं आदेशित गठित कमेटी के लोग आपस में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर अपनी-अपनी जि मेवारी से भाग रहे हैं। कार्य को प्रारंभ कराने में किसी की रूचि नहीं है यह सभी इस प्रकार व्यवहार कर रहे है कि मा.उच्च न्यायालय द्वारा जारी कोई आदेश अस्तित्व में ही नहीं है जबकि एड.पीयूष शर्मा के द्वारा व्यक्तिगत रूपसे कमेटी के सभी व्यक्तियों को बाद आदेश तत्काल सूचित किया गया था। इस प्रकार इनकी क्रिमिनल सोच स्पष्ट है। गर्मियों में चांदपाठे से पानी की सप्लाई ह ते में एक ही दिन दी जाती है इस प्रकार पानी के लिए त्राहि-त्राहि मच जाती है। अत: इस याचिका के माध्यम से एड.पीयूष ने बताया है कि विपक्षी पक्षकारों को आदेश दिनांक 30.04.14 की अवमानना घोषित कर दण्डादेश जारी किया जावे एवं जलावर्धन योजना का कार्य पूर्ण कराये जाने हेतु स त निर्देश जारी हों।