धूल से शहरवासी परेशान, दमे के मरीजों को बढ़ी दिक्कतें

शिवपुरी। सीवेज प्रोजेक्ट के तहत शहरभर में खोदी गई सड़कें अब लोगों की मुसीबत का सबब बननी शुरू हो गई हैं। सड़कों से उड़ती धूल का सैलाव दमे के मरीजों को दिक्कतों में इजाफा कर रहा है। यही नहीं धूल के प्रदूषण से अच्छे भले स्वस्थ व्यक्ति भी बीमार होते जा रहे हैं।
लेकिन इसके बाद भी न तो जन प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की तंद्रा टूट रही है। असंवेदनशीलता इस हद तक है कि मानव जीवन के स्वास्थ्य से मानो उनका कोई सरोकार नहीं रह गया हो। खोदी गई सड़कों से उडऩे वाली धूल लोगों को बीमारी के साथ-साथ गंदगी और दुर्घटनाओं का कारण भी बन रही है। 

शिवपुरी इन दिनों ऐसा लग रहा है मानो नेतृत्वहीनता का शिकार है। सीवेज प्रोजेक्ट और जल आवर्धन योजना के काम में समन्वय स्थापित न होना शायद इसी कारण है। बरसात से पूर्व ही सीवेज प्रोजेक्ट के तहत शहरभर की सड़कें खोद दी गईं। होना तो यह चाहिए था कि उसी समय जलावर्धन योजना की पाइप लाइन डालने का कार्य भी पूरा हो जाता, लेकिन जन प्रतिनिधि ठेकेदार पर दबाव नहीं बना पाए। सीवेज प्रोजेक्ट के तहत खुदाई तो हो गई, लेकिन खुदी सड़कों की भराई ठीक से न होने से धूल समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया। 

पूर्व में जनप्रतिनिधियों द्वारा बारिश के बाद सड़कों के निर्माण का कार्य करने का आश्वासन शहरवासियों को दिया था। लेकिन जलावर्धन योजना के तहत नेशनल पार्क क्षेत्र में खुदाई पर लगी रोक के कारण शहर में पाइप लाइन डालने का ेकार्य भी कंपनी द्वारा रोके जाने के कारण सड़कों का निर्माण भी नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में शहरवासी नारकीय हालात में जीने को मजबूर हैं और अब लोगों के जहन में सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि कब इस धूलमय जिंदगी से उन्हें निजात मिल पाएगी? सीवेज प्रोजेक्ट के तहत ठेकेदार कंपनी ने कार्य की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया। जिसकी खुदाई के बाद मिट्टी धसकने से कई हादसे घटित हुए तो कई स्थानों पर खुदाई के बाद निकली मिट्टी को सड़कों पर बेतरतीब छोड़ दिया जिस कारण वाहनों के आवागमन और हवा चलने से मिट्टी उड़कर लोगों के घरों, दुकानों में घुसने लगी और बड़े-बड़े धूल के गुबार शहरवासियों के लिए मुसीबत बन गए। 

अफसरशाही ने न यशोधरा राजे और कुसुम मेहदेले की सुनी
स्थानीय विधायक व प्रदेश की उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया और प्रभारी मंत्री कुसुम मेहदेले ने कलेक्ट्रेट में बैठक लेकर शहर की समस्या को खत्म करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया और सड़कों को दुरूस्त कराने का आदेश दिया, लेकिन अधिकारियों ने जलावर्धन योजना को इस कार्य में अडंगा बताते हुए तर्क दिया कि अगर इस समय सड़कों का निर्माण करा दिया जाएगा तो आगामी भविष्य में जलावर्धन योजना के अधूरे पड़े कार्य को अड़चने खत्म होने के बाद जब शुरू किया जाएगा तो लाखों रूपये से निर्मित सड़कों को फिर खोदा जाएगा। जिससे काफी नुकसान होगा।

अधिकारियों का यह तर्क जायज था, लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद आज भी जलावर्धन योजना का काम अधूरा पड़ा है। जिस कारण न तो सड़कें बन पा रही हैं और न लोगों को महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है। ऐसी स्थिति में दोनों जनहित की योजनाएं शहरवासियों के लिए अभिशाप बन गई हैं।


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