श्री पुरूषार्थी ने जेल में कैदियों को दिए जीवन में बदलाव के टिप्स

शिवपुरी। जेल में आना और यहां रहना गलत नहीं। भगवान कृष्ण, गांधी, तिलक, विस्मिल सहित अनेक महापुरूष जेल में रहे हैं। जेल में रहना गलत नहीं है। लेकिन जेल में अपने आप को गिराना गलत है। जेल जीवन सुधार और प्रायश्चित का एक मौका है। जिसका सद्पयोग करना चाहिए उक्त उद्गार प्रसिद्ध वैदिक विद्धान आनंद पुरूषार्थी ने शिवपुरी जिला जेल में कैदियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

इस अवसर पर जेल अधीक्षक विजय सिंह मौर्य ने श्री पुरूषार्थी का माल्र्यापण से स्वागत करते हुए कहा कि जेल में वह और उनका स्टाफ कैदियों के साथ मित्रवत व्यवहार कर रहा है ताकि उनके जीवन में सुधार आए और वह अच्छे नागरिक  बनकर प्रदेश, देश और समाज की सेवा कर सकें। बीपीएम वेद मिशन के सचिव आदित्य शिवपुरी ने भी विचार व्यक्त किए। 

आपसी बोलचाल और सहज भाषा में बात करते हुए अंतराष्ट्रीय विद्धान पुरूषार्थी ने कैदियों को जीवन में बदलाव के टिप्स दिए और उनकी हर शंका का युक्तिसंगत ढंग से समाधान किया। जेल में बहुत से कैदियों ने अपने आप को निर्दोष बताया और सवाल किया कि वह क्यों जेल में हैं? लेकिन श्री पुरूषार्थी ने कर्म सिद्धांत से उनकी जिज्ञासा को शांत किया। बकौल श्री पुरूषार्थी, जीवन में इंसान को उसके कर्मों का फल मिलता है और इसे भोगना ही पड़ता है। 

कोई भी कर्म फल से बच नहीं सकता। इस जन्म में न सही किसी अन्य जन्म में अपराध आपसे हुआ होगा और शायद इसी कारण आप जेल में हैं। उन्होंने कैदियों से सवाल किया कि क्या वह ईश्वर को मानते हैं। इस पर सभी ने अपने हाथ खड़े कर दिए। उनका दूसरा सवाल था कि ईश्वर न्याय करता है या अन्याय तो जवाब था कि ईश्वर न्याय करता है। श्री पुरूषार्थी ने कहा कि इसी बात की हमें गांठ बांध लेनी चाहिए। इससे फिर कभी आप शिकायत नहीं करोगे। वेद वाणी और जैन सिद्धांत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों का फल मिलता है। 

कर्म पहले और फल बाद में आता है। जो तुमने किया वह तु हें भोगना पड़ेगा और किसी भी कर्म की सजा दो बार नहीं मिलती है। यदि अच्छा कर्म किया है तो उसका फल अच्छा मिलेगा और बुरा किया है तो बुरा मिलेगा, लेकिन यदि आप एक अच्छा और एक बुरा कर्म करते हैं तो दोनों कर्मों का फल अलग-अलग भोगना पड़ेगा। ऐसा नहीं कि एक तरफ बुरे कर्म करते चले जाओ और दूसरी तरफ चाहो कि अच्छे कर्मों से वह पाप धुल जाएं तो यह संभव नहीं है। आनंद पुरूषार्थी ने कैदियों से कहा कि यह अवसर आपके लिए आत्मावलोकन और सुधार का है। सत्संग की एक घड़ी भी आपके जीवन को बदल देगी। सत्संग में कैदियों ने भी इन आर्शीवचनों को आत्मसात कर सुविचारों को ग्रहण करने की बात कही और अपराध से दूर रहने का संकल्प लिया।


#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!