शिवपुरी। गणेश चतुर्थी के साथ स्थापित किए गए श्रीगणेश जी के विसर्जन का सिलसिला डोल ग्यारस के साथ शुरू हो गया। इस दौरान डोल ग्यासर के महत्व पर प्रकाश डालते हुए पं.अनिल शास्त्री (गसवानी वाले) जिन्हें शिवपुरी सरकार नाम से भी जाना जाता है ने बताया कि डोल ग्यारस वर्ष में एक बार आती है और इसदिन को शुभ फलदायी व इच्छित दिन माना जाता है
जहां भगवान गणेश की आराधना के बाद डोल ग्यारस से ही इनके विजर्सन का क्रम शुरू होता है। भगवान को घर पर बुलाकर उनकी पूजा-अराधना करने से जो पुण्य फल मनुष्य प्राप्त करता है वह सब सुखों को देने वाला होता है। डोल ग्यारस का अपने आप में बहुत महत्व है इसदिन अधिकांशत: महिला-पुरूष एकादशी व्रत का पूजन करते है व गणेश पूजन के बाद पुर्णाहुति एवं कन्याभोज व भण्डारे के साथ श्रीजी का विसर्जन किया जाता है। पं.अनिल शास्त्री जी ने बताया कि डोल ग्यारस से लेकर अनंत चर्तुदशी तक श्रीगणेश विजर्सन का श्ुाभ मुहूर्त रहता है इसलिए धर्मप्रेमीजनों को इन्हीं दिनों में हवन-पूजन के साथ श्रीजी को विदा कर अगले वर्ष शीघ्र आने की कामना करना चाहिए। स्थानीय इंदिरा नगर में विरोज श्रीगणेश विसर्जन के दौरान पं.अनिल शास्त्री ने यह धार्मिक प्रवचन दिए और इस दिन की महत्वता पर प्रकाश डाला।