पीयूष शर्मा अब हाईकोर्ट में अवमानना का मामला लगाएंगे

शिवपुरी। शिवपुरी की महत्वाकांक्षी सिंध पेयजल परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने वाले अभिभाषक पीयूष शर्मा अब हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना की याचिका दाखिल करने जा रहे हैं।

श्री शर्मा ने बताया कि याचिका वह कलेक्टर, सीएमओ, दोशियान कंपनी के प्रबंधन और माधव राष्ट्रीय उद्यान के संरक्षक के विरूद्ध दायर करेंगे। जिन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी सिंध परियोजना के काम को पुन: शुरू करने में कोई रूचि नहीं दिखाई और सिंध परियोजना का काम अभी भी रूका हुआ है।

विदित हो कि अभिभाषक पीयूष शर्मा ने माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी और जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सिंध पेयजल परियोजना के क्रियान्वयन में प्रशासनिक हीलाहवाली के कारण लगातार बाधा आ रही है तथा नेशनल पार्क संरक्षक ने पार्क क्षेत्र में खुदाई करने और पाइप लाइन बिछाने के कार्य पर रोक लगा दी है। जिससे शिवपुरीवासियों को सिंध का पानी सुलभ नहीं हो पा रहा है।

याचिका की सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एसके गंगेले और न्यायमूर्ति बीडी राठी की खण्डपीठ ने मु य वन संरक्षक के आदेश को निरस्त कर दिया। जिसके तहत नेशनल पार्क क्षेत्र में योजना के कार्य पर प्रतिबंध लगा हुआ था। विद्धान न्यायमूर्तिगण ने आदेश दिया था कि तय समयसीमा में पाइप लाइन बिछाने का काम पूरा किया जाए ताकि शहरवासियों को पेयजल मिल सके। माननीय उच्च न्यायालय ने 2 मई को यह आदेश दिया था, लेकिन 4 माह से अधिक समय व्यतीत होने के बाद भी न्यायालय के आदेश पर कोई कार्य प्रारंभ नहीं हुआ। दलील दी जा रही है कि चूंकि नेशनल पार्क क्षेत्र में लगभग 500 पेड़ों के काटने की अनुमति ली जानी है।

इस कारण कार्य रूका हुआ है, लेकिन याचिकाकर्ता पीयूष शर्मा की दलील है कि शहर में योजना का काम शुरू होने में किसी तरह की अड़चन नहीं है। लेकिन नेशनल पार्क क्षेत्र के अलावा योजना का तमाम काम पूर्ण होना है जिसमें उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई है। शहर में खुदाई करने और पाइप लाइन डालने का कार्य शुरू नहीं किया गया है। पानी की टंकियों का निर्माण भी किया जाना है, लेकिन कोई भी कार्य शुरू नहीं हुआ। जिससे लगे कि योजना के क्रियान्वयन में प्रशासन और दोशियान कंपनी को दिलचस्पी है। श्री शर्मा का तर्क है कि यह सीधे-सीधे माननीय उच्च न्यायालय की अवमानना है और वह एक-दो दिन में कण्ट ट ऑफ कोर्ट की याचिका माननीय उच्च न्यायालय में दायर कर देंगे।