सांसारिक उपलब्धियों के लिए नहीं किया जाता है धर्म: श्राविका बहन

शिवपुरी। श्वेता बर जैन समाज का पर्यूषण पर्व धूमधाम, उत्साह और धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन के साथ मनाया जा रहा है। पर्यूषण पर्व के पांचवे दिन भीलवाड़ा राजस्थान से आई श्राविका बहनों ने एक ओर जहां तप की महिमा का बखान किया।

 वहीं यह भी बताया कि धर्म करने का उद्देश्य सांसारिक उपलब्धियां अर्जित करने तक सीमित नहीं है। श्राविका बहनों ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया और कहा कि इसके श्रवण से कर्मों की निर्जरा होती है तथा मोक्ष मार्ग प्रशस्त होता है। वहीं आराधना भवन में चेन्नई से आए युवा श्रावक कल्पसूत्र का वाचन कर जैन धर्म के संदेशों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। स्थानक और मंदिर में सामायिक, प्रतिक्रमण और तपस्याओं का ठाठ लग रहा है।

काफी वर्षों के बाद यह पहला मौका है जब मंदिर और स्थानकवासी दोनों समाजों में किसी साधू और साध्वी का चातुर्मास नहीं है। लेकिन इसके बावजूद भी 8 दिन तक चलने वाले पर्यूषण पर्व परंपरागत उत्साह के साथ मनाए जा रहे हैं। आज सुबह की धर्मसभा में मंजू बहन ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपनी पूरी जिंदगी अपने घर परिवार की सुख-समृद्धि तथा पीढ़ी दर पीढ़ी के लिए धन का संग्रह करने में व्यतीत कर देते हैं। इस तरह से हम अनमोल जीवन को कोढिय़ों के दाम खर्च कर देते हैं।

साध्वी जी ने चेताया कि कब तक दूसरों के लिए जिओगे। जीवन का उद्देश्य आत्मा का कल्याण करना है और प्रत्येक व्यक्ति के कर्म उसके साथ ही जाते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि इन दिनों धार्मिक क्रियाओं में वृद्धि हो रही है और हर धार्मिक पर्व उत्साह के साथ मनाए जाते हैं, लेकिन उद्देश्य से हम कहीं न कहीं भटक गए हैं। हमें लगता है कि हमारे द्वारा धर्म करने से परिवार की रिद्धि-सिद्धि बढ़ेगी। सांसारिक विघ्र बाधाओं से मुक्ति मिलेगी। बेटे को रोजगार मिल पाएगा। बेटी की शादी हो जाएगी।

लेकिन धर्म सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। धर्म का अर्थ आत्मा का कल्याण करना है। बहन हरकबाई ने अपने संबोधन में तप की महिमा का बखान किया। उन्होंने कहा कि तप करने से शारीरिक कमजोरी अवश्य आ सकती है, लेकिन इससे आत्मबल मजबूत होता है। आत्मा की उन्नति होती है तथा कर्मों की निर्जरा से मोक्ष मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि पर्यूषण पर्व में हमें अधिक से अधिक सं या में नवकारसी, पोरसी, उपवास, बेला, तेला, अट्टाई आदि करना चाहिए। अभी भी पर्यूषण पर्व में तीन दिन हैं और आप सब लोग तेले (तीन उपवास) की भावना भाकर जीवन सफल बना सकते हैं। बहन नौरत्न जी ने कल्पसूत्र का वाचन किया।

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