शिवपुरी। करैरा की दिनारा ग्राम पंचायत में डेढ़ करोड़ रुपए का घोटाला सामने आने के बाद प्रशासन ने आनन-फानन में सरपंच-सचिव एवं सामग्री सप्लायर पर एफआईआर के आदेश जारी कर दिए। लेकिन अभी तक प्रकरण दर्ज नहीं कराया गया।
खास बात यह है कि मामला उजागर होने के बाद प्रशासन ने रिकवरी शुरू कर दी। बताते हैं कि चार लाख का घोटाला करने वाले पंचायत सचिव को ब्याज सहित 13 लाख रुपए जमा करने पड़े, जबकि जिम्मेदार अधिकारी जनप्रतिनिधि जेब में गई राशि वापस नहीं मिला है।
दिनारा ग्राम पंचायत में 1200 टॉयलेट बनाए जाने थे। एक टॉयलेट की लागत 9300 रुपए है। कंजर्वेशन,मनरेगा की 60 प्रतिशत तथा समग्र स्वच्छता की 40 प्रतिशत राशि, मद से 95 लाख रुपए और ग्राम पंचायत से 60 रुपए, इस तरह कुल 1 करोड़ 55 लाख रुपए की राशि जारी करके भुगतान निकाल लिया गया। जबकि 9300 रुपए प्रति टॉयलेट के मान से 1200 टॉयलेट की लागत 1 करोड़ 11 लाख रुपए होती है। यानि कुल खर्चे से 40 लाख रुपए अतिरिक्त निकाल लिए।
सूत्रों की मानें तो जनपद अध्यक्ष, सीईओ एवं ग्राम पंचायत के तथाकथित नेता ने मिलकर उक्त राशि को ठिकाने लगा दिया। मामले की जब शिकायत की गई तो तीन सदस्यीय टीम से जांच करवाई गई। जांच में पाया गया कि धरातल पर टॉयलेट बनाए ही नहीं गए। तीन माह पूर्व जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी प्रशासन ने दूसरी बार समग्र स्वच्छता अभियान के परियोजना अधिकारी सत्यमूर्ति पांडे से भी जांच करवाई। इसमें भी पाया गया कि धरातल पर टॉयलेट नहीं हैं।
कलेक्टर आरके जैन ने जांच के आधार पर ग्राम पंचायत की महिला सरपंच, सचिव एवं मटेरियल सप्लाई करने वाली फर्म के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए। जबकि वे चेहरे कार्रवाई की जद से बच गए, जिन्होंने इतनी बड़ी राशि का भुगतान बिना भौतिक सत्यापन किए कर दिया। आदेश के पालन में अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई।