निजी स्कूल संचालकों की मनमानी, शिक्षा के अधिकार को ठेंगा

पिछोर। पूरे प्रदेश की तरह पिछोर विकास खण्ड में भी अशासकीय शालाये पालको का जमकर शोषण कर रहे हैं। पाठ्य पुस्तक,गणवेश, भवन शुल्क के नाम पर बच्चों के अभिभावको से अवैध वसूली की जा रही हैं। कई विद्यालयो पर मध्यप्रदेश वोर्ड की मान्यता होने के वाद सीबीएससी का पाठ्यक्रम अंग्रेजी माध्यम में चलाकर पालको को सब्जबाग दिखाये जा रहे हैं जबकि नियमानुसार सीबीएससी की मान्यता होने पर ही एनसीईआरटी पाठ्यक्रम चलाया जा सकता हैं लेकिन निजी स्कूल संचालक इसके ठीक विपरीत अपनी मनमानी पर तुले हुए है।

कलेक्टर आरके जैन ने पिछले दिनो निजी स्कूल संचालको पर नकेल कसने के लिए आदेश जारी किए थे जिसमें स्कूलों को एनसीआरटी के तहत ही किताबें संचालित करनी होंगी नहीं तो संबंधित स्कूल संचालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होंगी। इसके बाद भी यह निजी स्कूल संचालक ाुले आम कलेक्टर के आदेश की अवहेलना कर अपनी मनमानी में जुटे हुए है।

किसी की मान्यता किसी का पाठयक्रम उस पर किसी निजी प्रकाशन की किताबे कितना बडा छल अभिभावकों के साथ हो रहा है। शासन ने स्कूलो की मोनोपोली रोकने के लिये न्यूनतम 4 या 4 से अधिक दुकानो पर पाठ्यपुस्तक,टाई गणवेश,वेल्ट की विक्री कराने का प्रावधान रखा हैं लेकिन कस्बे के कुछ यातिनाम विद्यालय जो अंग्रेजी माध्यम का पाठ पढा रहे हैं। वे बच्चो के बस्ते में ही स्कूल से कितावे और बिल भिजवा रहे हैं एनसीआरटी की पुस्तको में भी शासन द्वारा निर्धारित मूल्य 400 या 500 रू अधिकतम हैं परन्तु कमीशन के फेर में ये प्रायवेट स्कूल निजी प्रकाशको की पुस्तकें ऊंचे दामो पर पालको को टिका कर अपनी जेबे भर रहे हैं और नन्हे छात्रो के वस्तो का बजन बढता जा रहा हैं। शिक्षा के अधिकार को ठेंगा दिखाने वाले इन निजी स्कूलो की हिटलरी और शौषण प्रवक्वत्ति से तथा अधिकारियो की अनदेखी से पालको में भारी आक्रोश व्याप्त हैं  जो कभी भी किसी रूप में फूट सकता हैं ।

इनका कहना है
समस्त स्कूलो के लिये शासन द्वारा नोडल अधिकारी नियुक्त हैं जो निरीक्षण करते हैं अगर किसी पालक की तथ्य सहित शिकायत आयगी तो कार्यवाही जरूर करेंगें। हाल ही में पिछोर के लिटिल एंजिल स्कूल का निरीक्षण किया हैं जिसमें बडी गडबडी सामने आयी। स्कूल पर कार्रवाई के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है।
बीके ओझा
बीआरसीसी पिछोर

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