अब गरूण गोविन्द मंदिर भूमि मामले की सुनवाई हुई सर्वोच्च न्यायालय में

शिवपुरी। कल गरूड़ गोविंद मंदिर की लगभग 62 बीघा जमीन पर काबिज 58 अतिक्रामकों को उच्च न्यायालय के आदेश के बाद तहसीलदार ने जमीन खाली करने के लिए नोटिस जारी किए थे लेकिन इस मामले में अपीलार्थी गणेशीलाल जैन ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय में कल उनकी अपील स्वीकार हो गई है और सर्वोच्च न्यायालय ने स्टे ऑर्डर जारी कर जमीन खाली कराने संबंधी सभी कार्रवाई रोक दी हैं।
इस मामले को कई वर्षों से न्यायालय में उठा रहे पूर्व विधायक जगदीश वर्मा ने कहा है कि जब तक स्टे की कॉपी नहीं आएगी वे यह मानने को तैयार नहीं है कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्टे दिया है। श्री जैन का कहना है कि आज शाम तक स्टे की कॉपी उनके हाथ में होगी। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व विधायक जगदीश वर्मा लगभग 37 सालों से मंदिर की जमीन पर से कब्जा हटाने की लड़ाई विभिन्न न्यायालयों में लड़ रहे हैं जिसमें कभी उनके पक्ष में तो कभी विपक्ष में फैसला हुआ है। राजस्व बोर्ड और हाईकोर्ट सिंगल बंैच में फैसला गणेशीलाल जैन के पक्ष में हुआ। जब डबल बैंच ने 18 सित बर 2013 को पारित आदेश में उक्त मंदिर की जमीन को शासकीय दर्ज करने तथा अतिक्रामकों को हटाने के आदेश दिए। 

इस मामले में जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पूर्व विधायक जगदीश वर्मा के भतीजे विधायक प्रहलाद भारती ने इस मामले को विधानसभा में प्रश्र के माध्यम से उठाया। जिसके बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ और तहसीलदार पाण्डे ने 58 अतिक्रामकों को नोटिस जारी कर 2 जुलाई तक उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा। 2 जुलाई को ही इस मामले की सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। 

हाईकोर्ट के आदेश से व्यथित होकर अपीलार्थी गणेशीलाल जैन ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली। उन्होंने बताया कि उनके पक्ष में स्टे ऑर्डर सुप्रीम कोर्ट ने जारी कर दिया है जबकि पूर्व विधायक जगदीश वर्मा का कहना है कि बिना शासन को सुने स्टे ऑर्डर जारी नहीं हो सकता है। बताया जाता है कि आज शाम तक इस मामले में पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।