शिवपुरी को मगरमच्छ अभ्यारण्य घोषित क्यों नहीं कर देते ?

शिवपुरी। शहर के दो स्थानों पर शनिवार-रविवार की दरमियानी रात एवं अलसुबह मगरमच्छ रेस्क्यू टीम ने पकड़े। चार साल के अंदर शिवपुरी में रिकार्ड 51 मगरमच्छ पकड़े गए। चांदपाठा में मगरमच्छों की संख्या अधिक होने से ईको सिस्टम बिगडऩे लगा था जिसके चलते दो साल से शहर में पकड़े जाने वाले मगरमच्छों को अमोला सिंध नदी में छोड़ा जा रहा है। बारिश के दिनों में शहर के रिहायशी इलाकों में मगरमच्छों का विचरण आम बात हो गई है।

नेशनलपार्क के अंदर स्थित चांदपाठा जलाशय में किसी भी समय मगरमच्छ आसानी से देखे जा सकते हैं। क्योंकि इसमें मगरमच्छों की सं या हजार के ऊपर जा पहुंची है। यही वजह है कि पिछले दो साल में जितने भी मगरमच्छ शहर में पकड़े गएए उन्हें अमोला घाट पर सिंध नदी में छोड़ा गया।

बीएसएनएल ऑफिसर कॉलोनी के बगीचे में एक फीट लंबा मगरमच्छ का बच्चा सुबह लगभग 6 बजे स्थानीय लोगों ने देखा। जब बच्चा निकला है तो मादा मगरमच्छ भी आसपास होगी। गौरतलब है कि बीएसएनएल कॉलोनी के पास ही जाधव सागर तालाब हैए जहां से मगरमच्छ आसानी से वहां सकते हैं।

रात 12 बजे निकला पांच फीट का मगरमच्छ रातलगभग 12 बजे रेस्क्यू टीम प्रभारी डॉ जितेंद्र जाटव को सूचना मिली कि लालमाटी क्षेत्र में एक मगरमच्छ शिकार की तलाश में मैदान में घूम रहा है। सूचना मिलते ही रेस्क्यू टीम जब मौके पर पहुंची तो वहां उन्हें मैदान में घूमता हुआ लगभग पांच फीट लंबा मगरमच्छ मिल गया। टीम ने थोड़ी मशक्कत के बाद उसे पकड़ लिया।