आत्महत्या: ओलावृष्टि का मुआवजा नही मिला था किसान को

शिवपुरी। अभी दो पूर्व एक किसान की पत्नि जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी उसका कारण था किसान पर कर्जा होना अभी तक उसे ओलावृष्टि का मुआवजा नही मिला था और इस बार खेतो में बोया सोयाबीन नही उगा और किसान के परिवार को खाने के लाले पड जाने के कारण ये हादसा हुआ है।

जानकारी के अनुसार पहले सोयाबीन की फसल खराब हुई थी, दूसरी बार में ओलावृष्टि ने चना गेहूं खत्म कर दिया। दो साल से कोऑपरेटिव सोसाइटी का 50 हजार रुपए का कर्ज नहीं चुका पाए। कर्ज लेकर बीज खरीदा तो वो भी नहीं उगा। इतनी सारी परेशानियां मेरी पत्नी गीता सहन नहीं कर सकी और उसने जहर खाकर अपनी जान दे दी। अब तो कुछ समझ नहीं रहा कि क्या करें।

यह दर्द है बरोदिया पंचायत के ग्राम मगरौरा में रहने वाले बादल सिंह यादव का जिसकी पत्नी गीता ने दो दिन पूर्व जहर खाकर अपनी जान दे दी। बादल सिंह शिवपुरी की मीडिय़ा को बताया कि मेरे पास 7 बीघा जमीन है तीन बच्चे सत्येंद्र, विनोद और अंकेश हैं। तीनों बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। पिछले साल सोयाबीन की फसल खराब हो गई थीए चना गेहूं से उ मीद थी तो उसे ओला ने खत्म कर दिया। मुआवजा सूची में नाम तो है, लेकिन अभी तक मुआवजा भी नहीं मिला। सोसाइटी का पहले से ही 50 हजार का कर्जा है, जो फसल होने की वजह से दो साल से जमा नहीं कर पाए।

हमने कोलारस में मंडी के पास से सोयाबीन का बीज 5500 रुपए क्विंटल में खरीदा था। लेकिन जब वो नहीं उगा तो मेरी पत्नी गीता यही कहती थी कि अब हम अपने बच्चों को रोटी कैसे खिला पाएंगे। बादल ने बताया कि मैं अपनी पत्नी को तसल्ली देता रहता था कि हम दोनों मजदूरी करके अपने बच्चों का पेट भर लेंगे। लेकिन वो इस सदमे को सहन नहीं कर पाई और जहर खाकर मर गई। अब पत्नी तो चली गई, घर चलाने के लिए यदि बेटों की पढ़ाई छुड़वाकर मजदूरी करवानी पड़ी तो वो भी करेंगे। इस गांव में सभी किसानों की फ सल ओलावृष्टि में बर्बाद हुई, लेकिन बमुश्किल 10 प्रतिशत को ही अभी तक राशि मिल पाई है।
  
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