शिवपुरी। गरूड़ गोविंद मंदिर की लगभग 62 बीघा जमीन पर काबिज लगभग 58 अतिक्रामकों को उच्च न्यायालय के आदेश के बाद तहसीलदार ने जमीन खाली कराने कराने के लिए जो नोटिस जारी किए थे उन नोटिसधारियों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मिले स्टे ऑर्डर के बाद राहत मिली है। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे मामले में शासन को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते में जवाब मांगा है।
अपीलार्थी गणेशीलाल जैन, शारदादेवी अरोरा और तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ द्वारा सर्वोच्च न्यायालय ने 2 जुलाई को स्टे संबंधी अपील लगाई थी। जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार कर कल स्टे ऑर्डर जारी कर जमीन खाली कराने संबंधी कार्रवाई रोक दी है। साथ ही शासन को नोटिस जारी कर 6 ह तों में जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट से मिले स्टे के बाद 58 अतिक्रामकों ने राहत महसूस की। वहीं पिछले 37 वर्षों से मंदिर की जमीन से कब्जा हटाने की लड़ाई लडऩे वाले पूर्व विधायक जगदीश वर्मा अतिक्रामकों को स्टे मिलने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि अपीलकर्ताओं ने बिना रिकॉर्ड पेश किए। किस आधार पर स्टे हासिल किया है यह आश्चर्यजनक बात है। फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मुझे जो भी नोटिस आयेगा उसका मैं जवाब दूंगा और अपनी बात सर्वोच्च न्यायालय के सामने प्रस्तुत करूंगा।
इस पूरे मामले में गणेशीलाल जैन ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रेविन्यू बोर्ड द्वारा 2004 में दिए गए फैसले के आधार पर यह स्टे ऑर्डर सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है। इसके बावजूद भी लोग आश्चर्य करते हैं तो करते रहें।
पूर्व विधायक श्री वर्मा ने बदला लेने के लिए मामले को दिया तूल: श्री जैन इस पूरे मामले में गणेशीलाल जैन ने पूर्व विधायक जगदीश वर्मा पर आरोप लगाए हैं कि 1980 में जगदीश वर्मा और रामजीलाल पचौरी के बीच फौजदारी का मामला हुआ था जिसमें जगदीश वर्मा की रिपोर्ट पर से रामजीलाल पचौरी और हौलू नाम व्यक्ति पर मामला दर्ज हुआ था।
लेकिन कोर्ट ने दोनों आरोपियों को बरी कर दिया था और इसी का बदला लेने के लिए जगदीश वर्मा ने पुराने रिकॉर्ड को खंगाला जिसमें 1922 के कागजातों में यह जमीन मांफी की निकली और इसी को आधार बनाकर श्री वर्मा ने पूर्व मंत्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता से दबाव डलवाकर सर्किट हाउस में फैसला लिखा लिया और उक्त जमीन को शासकीय जमीन घोषित करा लिया। लेकिन वर्ष 2004 में रेवेन्यू बोर्ड के अध्यक्ष श्री दीक्षित ने इस जमीन को लेकर एक फैसला दिया और इसी फैसले के आधार पर उन्हें यह स्टे ऑर्डर हासिल हुआ।