डीएड में प्रवेश के नाम पर ठगी करने वाले संचालक पर मामला दर्ज

शिवपुरी। अभी तो व्यापमं घोटाले को लेकर सरकार की किरकिरी हो रही है और इस व्यापमं घोटाले में कई छात्रों का भविष्य बर्बाद हो गया है।
बाबजूद इसके आज भी कई ऐसे इंस्टीट्यूट संचालक मौजूद है जो रूपये पैसों के बल पर अपना ठगी का कारोबार कर डिग्रीयां देने का कार्य कर रहे है जब छात्र उनकी पूर्ति नहीं करते तो उन्हें कई प्रकार से प्रताडि़त किया जाता है। जिले के करैरा क्षेत्र में भी ठगी का कारोबार करने वाले एक इंस्टीट्यूट संचालक के विरूद्ध डीएड के नाम पर राशि हड़पने का मामला दर्ज किया गया है। 

डीएड में एडमीशन दिलाने के नाम पर चार छात्रों से 65 हजार रूपये हड़पने वाले करैरा के रामेश्वरम इंस्टीट्यूट के संचालक देवेन्द्र रावत और उसके भाई पपेन्द्र रावत के विरूद्ध भादवि की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। रूपये देने के बावजूद भी जब छात्रों का एडमीशन नहीं हुआ तो उन्होंने अपने दिए गए पैसों की मांग की और पैसे न देने पर उन्होंने आरोपियों के विरूद्ध मामला दर्ज करा दिया। 

धोखाधड़ी के शिकार हुए छात्र धीरज शर्मा, पवन शर्मा, आकाश शर्मा, संदीप शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि 4 अक्टूबर 2013 को रामेश्वरम इंस्टीट्यूट एण्ड स्कूल का विज्ञापन पढ़कर डीएड में प्रवेश लेने के लिए वह करैरा पहुंचे। जहां इंस्टीट्यूट संचालक देवेन्द्र सिंह रावत और उसके भाई पपेन्द्र सिंह रावत ने उन्हें डीएड में एडमीशन दिलाने के लिए विश्वास दिलाया और उसके एवज में धीरज शर्मा से 15 हजार, पवन से 15 हजार, अकाश शर्मा से 15 हजार, संदीप शर्मा से 20 हजार रूपये कुल 65 हजार रूपये की राशि बसूली और उन्हें आश्वासन दिया कि उनका लिस्ट में नाम आ जाएगा। लेकिन जब लिस्ट आई तो उसमें चारों के नाम गायब थे। 

जिस पर चारों छात्रों ने इंस्टीट्यूट संचालक से संपर्क साधा तो उन्हें जवाब मिला कि कुछ ही समय में दूसरी लिस्ट जारी होनी है और उस लिस्ट में उनका नाम जरूर आ जाएगा। लेकिन वह लिस्ट जारी ही नहीं हुई। जब फिर से छात्रों ने आरोपियों से संपर्क साधा तो वह उन्हें शीघ्र ही लिस्ट जारी होने की बात कहकर गुमराह करते रहे। इस घटना को 8 महीने से अधिक का समय बीत गया, लेकिन छात्रों का एडमीशन नहीं हो सका। जब छात्रों ने आरोपियों से अपनी दी गई राशि वापिस करने की बात कही तो आरोपी मुकर गए और उन्हें हड़काते हुए इंस्टीट्यूट से भगा दिया। जिससे परेशान होकर छात्रों ने पुलिस की सहायता ली और थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज करा दी।