बाजार में बिक रहे सड़े हुए जिन्स, किसानों ने जताई आपत्ति

शिवपुरी। बारिश के मौसम में अपनी फसल की दोगुनी आय बढ़ाने और गुणवत्तायुक्त बीज डालने के लिए किसान इन दिनों ठगी व शोषण का शिकार हो रहा है। क्योंकि बाजार में बिकने वाले अधिकांशत: जिन्स सड़े हुए बिक रहे है और बाजारू मूल्य से कहीं अधिक है। ऐसे में किसानों की इस पीड़ा को बीज निगम भी नहीं समझ सका और वह बाजार में इन जिन्सों की बिक्री को बढ़ावा दे रहा है।
जिससे किसानों में रोष व्याप्त है और किसानों ने आपत्ति दर्ज कराकर बीज निगम पर बाजार में सड़े हुए जिन्स बेचे जाने के आरोप लगाए है। 

अपनी फसल में गुणवत्ता के लिए किसान बीज निगम पर भरोसा करते हैं। यही कारण है कि बाजार दर से अधिक होने पर भी कृषक रजिस्ट्रेशन फीस चुकाकर बीज निगम से ही बीज को क्रय करते हैं। लेकिन शिवपुरी में इस बार कृषकों ने बीज निगम द्वारा सप्लाई किए जाने वाले बीजों के घटिया होने की शिकायत की है। शिवपुरी ग्रामीण ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष भरत रावत ने तो बीज निगम के प्रभारी अधिकारी श्री खान को शिकायत कर उपभोक्ता फोरम में जाने की इच्छा दर्शाई है। श्री रावत के अनुसार प्रभारी अधिकारी ने सोयाबीन के खराब होने को स्वीकारा, लेकिन लिखित में कृषक को अपनी स्वीकरोक्ति को देने से इंकार किया और कहा कि मेरी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। 

शहर से 5 किमी दूर ग्राम सिंहनिवास में खेती करने वाले श्री रावत ने बताया कि उन्होंने अपनी 10 हेक्टेयर जमीन में सोयाबीन की फसल करने के उद्देश्य से बीज निगम से 6960 रूपये प्रति क्विंटल की दर से साढ़े सात क्विंटल बीज की खरीद की। क्योंकि बीज निगम का बीज मानक स्तर का माना जाता है। इसी कारण बाजार में 5 हजार रूपये क्विंटल बीज मिलने के बावजूद उन्होंने बीज निगम से बीज की खरीदी की और रजिस्ट्रेशन के रूप में 350 रूपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से साढ़े तीन हजार रूपये भी चुकाए। रजिस्ट्रेशन कराने पर बीज निगम बाजार से अधिक दर पर फसल लेने के लिए बाध्य रहता है।

श्री रावत के अनुसार उन्होंने चार कट्टे खोलकर लगभग 1 क्विंटल 20 किलो बीज जब बोने के लिए निकाला तो उन्होंने देखा कि बीज में 10 प्रतिशत मटर तथा अन्य जिंसों के बीज थे। जबकि 30 प्रतिशत बीज सड़ा हुआ था। अमानक स्तर का बीज देखकर वह चौक गए और उन्होंने बीजों के शेष कट्टे नहीं निकाले। इसकी शिकायत उन्होंने प्रभारी अधिकारी श्री खान से की और श्री खान उनके निवास स्थान पर बीज देखने आए तो वह भी सहमत हुए कि अमानक स्तर का बीज है, लेकिन यह कहकर उन्होंने हाथ खड़े कर दिए कि मैं क्या कर सकता हूं। 

जब श्री रावत ने बीज बदलकर देने को कहा तो श्री खान का जवाब था कि उनके पास दूसरा बीज नहीं है। कृषक ने कहा कि फिर आप बीज वापिस ले लो और मेरी रकम मुझे दे दो तो प्रभारी अधिकारी का जवाब था कि वह पैसा हेड ऑफिस भेज चुके हैं। इसलिए कैसे उन्हें राशि वापिस करेंगे। श्री रावत का कहना है कि बीज निगम दावा करता है कि ग्रेडेशन करके वह फाउण्डेशन वन का बीज देते हैं, लेकिन यह कैसा बीज है? परेशान होकर श्री रावत ने उक्त बीज को बोने का फैसला किया, लेकिन अब वह 1 हेक्टेयर में 75 किलो के स्थान पर 85 किलो बीज डाल रहे हैं, लेकिन पूरे घटनाक्रम से वह दुखी हैं और इस मामले की शिकायत वह उपभोक्ता फोरम में करने जा रहे हैं।