शिवपुरी। गरूड़ गोविंद की बांके पुरानी शिवपुरी के स्वामित्व की लगभग 11.180 हेक्टेयर भूमि जो रहस्यमय ढंग से निजी खातों में शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज हो गई थी। उसे माननीय उच्च न्यायालय की डिवीजन वैंच ने 18 सित बर 2013 को पारित आदेश में शासकीय दर्ज करने और अतिक्रामकों को हटाने के आदेश दिए थे, लेकिन 9 माह के बाद भी 58 अतिक्रामकों का उक्त जमीन पर कब्जा बना हुआ है।
उच्च न्यायालय द्वारा घोषित की गई सरकारी जमीन पर गणेशाश्रम स्कूल, गंगाचल इण्डेन गैस एजेंसी, आईशर टे्रक्टर एजेंसी, ऑटो मोबाइल्स की दुकानें, विकास धर्मकाटा, इंजीनियरिंग वर्कर्स, अनेक मकान, प्लॉट सहित कृषि कार्य भी अतिक्रामकों द्वारा किए जा रहे हैं। लेकिन विधानसभा में पोहरी विधायक प्रहलाद भारती द्वारा प्रश्र लगने के बाद तहसीलदार ने अतिक्रामकों को नोटिस जारी कर दिये और अपने जवाब में कहा कि अतिक्रामकों के विरूद्ध कार्रवाई प्रचलित है तथा गरूड़ गोविंद मंदिर की भूमि शासकीय दर्ज कर ली गई है। अपने बचाव में तहसीलदार ने कहा है कि अतिक्रमण हटाने के संबंध में वैधानिक प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है और इस कार्य में कोई विलंब नहीं किया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पुरानी शिवपुरी में गरूड़ गोविंद जी के मंदिर पर लगभग 50 वर्ष पूर्व सरवतीबाई पुजारिन का काम करती थी और उक्त जमीन की भूमि शासकीय कागजातों में सरकारी दर्ज थी, लेकिन सन् 55 के आसपास उक्त जमीन शासकीय रिकॉर्ड में हेराफेरी कर सरवतीबाई के निजी स्वामित्व में दर्ज हो गई। यह कैसे हुआ? इस बारे में शासकीय रिकॉर्ड में कोई उल्लेख नहीं है और उक्त कथित माफी की जमीन की विभिन्न लोगों को रजिस्ट्री करा दी गई। तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने भी उक्त जमीन में से कुछ रकवा खरीदकर कर्मचारियों को प्लॉट दिये थे।
मंदिर की भूमि ग्राम शिवपुरी टु. न. 2 में सर्वे न. 320 रकवा 0.105 हे., 321 रकवा 0.366, 322 रकवा 0.063, 323 रकवा 0.052, 324 रकवा 0.021, 325 रकवा 0.125, 326 रकवा 0.063, 327 रकवा 0.010, 328 रकवा 0.052, 329 रकवा 0.010, 652 रकवा 0.010, 659 रकवा 0.010, 660 रकवा 0.099, 661 रकवा 0.136, 880 मिन 1 रकवा 0.877, 880 मिन 2 रकवा 0.293, 897 रकवा 2.393, 906 रकवा 1.327, 907 रकवा 3.072, 920 रकवा 1.954 हेक्टेयर कुल किता 20 रकवा 11.180 हेक्टेयर की है। उक्त जमीन पर लंबी लड़ाई के बाद उच्च न्यायालय की डिवीजन ने मंदिर की जमीन को सरकारी घोषित कर अतिक्रामकों को हटाने का आदेश दिया।
पूर्व विधायक जगदीश वर्मा ने 37 सालों तक लड़ी लड़ाई
सरवतीबाई मंदिर की उक्त जमीन का मामला न्यायालय में 37 सालों से चल रहा है। मंदिर की जमीन को सरकारी घोषित कराने का बीड़ा पूर्व विधायक जगदीश वर्मा ने उठाया। वह सन् 77 से विभिन्न न्यायालयों में उक्त जमीन को सरकारी घोषित कराने के प्रयास में जुटे हुए हैं। लंबी लड़ाई के बाद उच्च न्यायालय की डिवीजन वैंच ने उनके पक्ष में फैसला दिया। अभी भी यह मामला खत्म नहीं हुआ है तथा सूत्र बताते हैं कि 2 जुलाई वुधवार को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में इस प्रकरण की सुनवाई होगी।
विवादित जमीन का बाजारू मूल्य अरबों में
सरवतीबाई मंदिर की लगभग 62 बीघा जमीन निजी खातों में दर्ज की जाकर बेची जा चुकी है। उक्त जमीन का बाजारू मूल्य 10 हजार रूपये वर्ग फिट तक है और जमीन कारोबारी कहते हैं कि आज की तारीख में उक्त जमीन का मूल्य 4 से 5 अरब रूपये के बीच है।
58 अतिक्रामकों को जारी किए नोटिस
तहसीलदार पाण्डे ने उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में गरूड़ गोविंद के मंदिर की जमीन पर कब्जा जमाए 58 अतिक्रामकों को नोटिस जारी कर दिए हैं। जिन्हें नोटिस जारी किए गए हैं उनके नाम हैं गणेशीलाल जैन, श्रीमती शारदा अरोरा, राकेश, राजेश पुत्रगण भगवानलाल, दीपक जैन, अनिल खण्डेलवाल, गणेश शर्मा, हरि सिंह,वीरसिंह, रणवीर सिंह रघुवंशी, मुरारीलाल प्रजापति, मुकेश पाण्डे, हरवीर सिंह रघुवंशी, सुरेन्द्र, सुधीर कुमार वर्मा, रामप्रकाश प्रजापति, साजिद अब्बास, राघवेन्द्र शर्मा, सुरेन्द्र सिंह रघुवंशी, जाहिद भाई, नवीन गुप्ता, शरद शर्मा, सुमत प्रकाश जैन, संजय भोला, श्रीमती सुदर्शना रानी, बसीर उर रहमान, आबिद अली, फतेह शेख कुर्रेशी, काजी आजाद अहमद, युसुफ कुर्रेशी, सकुल पचोरी, मकसूद खां, नारायण प्रसाद-चिरोंजीलाल, कामना बेगम, सरजूबाई बेडिया, खुर्शीद खां, लल्लू कुशवाह, भगवानलाल-विष्णु कुशवाह, लल्लाराम कुशवाह, हरिसिंह कुशवाह, कल्लू कुशवाह, देऊआ कुशवाह, लल्लू पुत्र खच्चू कुशवाह, सुरेन्द्र कुशवाहा, लल्लाराम कुशवाह, श्रीमती बसीरन बेगम, शमसाद खां, मकसूद अहमद, जहीर कुर्रेशी, रामभरोसी राठौर, ओमप्रकाश राठौर, अशोक पुत्र किशनलाल, गोकरन वाजपेयी, आफाक खां, हमीद खां।