जलावर्धन योजना की समीक्षा करने आई यशोधरा के समक्ष उपस्थित नहीं हुए दोशियान कंपनी के अधिकारी

शिवपुरी-शिवपुरी की महत्वाकांक्षी जलावर्धन योजना पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। अभी तक तो वन विभाग की रोक के कारण रूका हुआ था, लेकिन न्यायालय के आदेश के बाद इस रोक को हटा लिया गया है, लेकिन अब क्रियान्वयन एजेंसी दोशियान कंपनी काम शुरू करने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रही है। आज स्थानीय विधायक और प्रदेश सरकार की उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने सिंध जलावर्धन योजना और सीवेज प्रोजेक्ट की समीक्षा बैठक ली। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इस बैठक में दोशियान कंपनी का कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुआ।

हालांकि कंपनी के संचालक रक्षित दोशी बंगलौर से दिल्ली  लाईट की कनेक्टीविटी न मिलने से बैठक में न आने का कारण बता रहे हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि दोशियान कंपनी को ठेकेदारों को लगभग 1 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान करना है और उक्त राशि देना न पड़े इसलिए कंपनी स्वयं काम शुरू करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। सूत्र बताते हैं कि कंपनी के संचालक रक्षित दोशी ने यशोधरा राजे सिंधिया को एसएमएस भेजकर 7 दिन में समीक्षा बैठक पुन: आयोजित करने की बात कही है, लेकिन कंपनी से जुड़े सूत्र ही बताते हैं कि इस तरह से श्री दोशी टालमटोल कर रहे हैं और समय को जाया कर रहे हैं। दोशियान कंपनी के प्रतिनिधि की अनुपस्थिति में समीक्षा बैठक का क्या हश्र होगा? यह आसानी से समझ में आता है। समीक्षा बैठक में हालांकि यशोधरा राजे सिंधिया, कलेक्टर आरके जैन, नपाध्यक्ष रिशिका अष्ठाना, सीएमओ अशोक रावत, स्वास्थ्य अधिकारी अशोक शर्मा आदि उपस्थित थे।

नेशनल पार्क क्षेत्र में खुदाई और पाइप लाइन डालने के कार्य पर लगे प्रतिबंध की निरस्ती को एक माह से अधिक हो गया है। हालांकि पहले भी नगरीय क्षेत्र में काम पर कोई प्रतिबंध नहीं था, लेकिन इसके बाद भी कंपनी ने न तो शहर में लगभग 100 किमी लंबी पाइप लाइन डाली और न ही टंकियों का निर्माण किया। इससे
ही समझा जा सकता है कि क्रियान्वयन एजेंसी की नियत साफ नहीं है। लेकिन अब तो प्रतिबंध हट गया। इसके बाद भी दोशियान कंपनी काम शुरू नहीं कर पा रही है।

इसका मु य कारण यह है कि एक तो कंपनी को ठेकेदारों को एक बड़ी राशि पिछले काम की भुगतान करनी है। जिसे देने हेतु कंपनी के पास फण्ड नहीं है और दूसरे ठेकेदारों को भी भरोसा नहीं है कि यदि उन्होंने काम शुरू किया तो उनका भुगतान होगा अथवा नहीं? कंपनी से जुड़े सूत्रों ने जानकारी दी कि कंपनी ने बैंक से प्रोजेक्ट के एवज में करोड़ों का कर्जा लिया है। ऐसी स्थिति में नगरपालिका द्वारा जो भी भुगतान कंपनी को काम के एवज में दिया जाता है वह कर्जे की बसूली में जमा हो जाता है। इस स्थिति में काम करने वाले ठेकेदारों को नए काम का भी भुगतान मिल पाएगा, इसमें काफी संदेह है। समाचार लिखे जाने तक सिंध जलावर्धन योजना और सीवेज प्रोजेक्ट की समीक्षा बैठक जारी थी।