न्यायालय की अवमानना से बचने की जुगत में दोशियान कंपनी

शिवपुरी। सिंध जलावर्धन योजना पर मंडराए खतरे के बादल छटने का नाम नहीं ले रहे हैं। हालांकि माननीय उच्च न्यायालय ने जनहित में नेशनल पार्क क्षेत्र में खुदाई और पाइप लाइन डालने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है और अब काम शुरू करने में कोई तकनीकी बाधा नहीं है, लेकिन इसके बाद भी योजना की क्रियान्वयन एजेंसी दोशियान कंपनी को काम शुरू करने में कोई दिलचस्पी नजर नहीं आ रही।

कंपनी सिर्फ न्यायालय की अवमानना से बचने की जुगत में हैं। इस हेतु वह देखने दिखाने को ही काम शुरू करेगी, ऐसा सूत्रों का कथन है। उधर जिन ठेकेदारों को 1 से लेकर 2 करोड़ रूपया दोशियान कंपनी से लेना है। उनका भी कहना है कि जब तक उनका भुगतान नहीं मिल जाएगा वे काम शुरू नहीं होने देंगे। शासन और प्रशासन भी दोशियान कंपनी पर काम शुरू करने के लिए दबाव डालने में फिलहाल तो असमर्थ नजर आ रहा है।
दो दिन पहले भोपाल में नगरीय प्रशासन समिति की बैठक में प्रमुख सचिव एसएन मिश्रा ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि शिवपुरी में जलावर्धन योजना का काम तकनीकी बाधा हटने के बाद शुरू क्यों नहीं किया गया। श्री मिश्रा ने दोशियान कंपनी के डायरेक्टर रक्षित जोशी को शीघ्र ही काम शुरू करने के निर्देश दिए। औपचारिक रूप से श्री जोशी ने काम शुरू करने में सहमति दिखाई, लेकिन सूत्र बताते हैं कि कंपनी दो कारणों से काम शुरू नहीं करना चाहती। एक तो वह सरकार से देरी होने के कारण बढ़ी हुई दर बसूलना चाहती है।
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि उसे लगभग 10 करोड़ रूपये अतिरिक्त दिए जाएं। जबकि शासन ने उसकी शर्त को मानने से इनकार कर दिया। कंपनी का तर्क है कि उसे ठेकेदारों को बकाया राशि का भुगतान करना है और अतिरिक्त राशि मिलेगी तो वह उससे ठेकेदारों का भुगतान करेगी। ठेकेदार भी भुगतान न मिलने के कारण कंपनी के काम शुरू करने में बाधक बने हुए हैं।

सूत्र बताते हैं कि कंपनी की साख भी अच्छी नहीं है और कई जगह से वह ब्लैक लिस्टेड हो चुकी है। ऐसे में शासन और प्रशासन कितना दबाव कंपनी पर बना पाते हैं उससे ही सिंध परियोजना का भविष्य तय होगा। काम शुरू करने के लिए स्थानीय विधायक  और प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया भी संबंधितों की बैठक 29 मई को ले रही हैं ऐसा सूत्रों का कथन है। कंपनी को निर्देश दे दिए गए हैं कि बैठक से पूर्व काम शुरू कर दिया जाए, लेकिन सूत्र यह भी जानकारी दे रहे हैं कि जलावर्धन योजना के प्रोजेक्ट मैनेजर हीरेन मकवाना तब तक शिवपुरी आने के लिए तैयार नहीं हैं जब तक कंपनी द्वारा ठेकेदारों का भुगतान न कर दिया जाए। उनके अनुसार पिटने के लिए कौन शिवपुरी जाएगा। कुल मिलाकर सिंध परियोजना में अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है और सिंध का पानी शिवपुरी आने में लंबा वक्त लगने का पूरा अंदेशा है, वह भी उस स्थिति में जबकि काम शुरू हो जाए।

योजना के तहत बहुत काम होना शेष है
वन संरक्षक ने नेशनल पार्क क्षेत्र में खुदाई और पाईप लाइन डालने पर लगभग 1 वर्ष पहले रोक लगाई थी, लेकिन कंपनी ने उसकी आड़ में नेशनल पार्क से बाहर के कार्यों को भी रोक दिया था, इससे कंपनी की बदनियति का साफ पता चलता है। प्रोजेक्ट के तहत शहर में लगभग 150 किमी डिस्टीब्यूशन लाइन डाली जानी है। दो पानी की नवीन टंकियों का निर्माण किया जाना है तथा दो अधूरी बनी टंकियों को पूर्ण किया जाना है। अतिरिक्त 100 किमी से अधिक की पाईप लाइन की राशि को लेकर भी कंपनी और सरकार के बीच विवाद की स्थिति है।