शिवपुरी। मार्च तक शिवपुरी में सिंध का पानी लाने का वादा कर वोट हड़पने वाले नेता मोदी के नाम पर फिर वोट मांगने आ गए हैं, लेकिन पानी लेकर नहीं आए। इस मुद्दे पर शिवपुरी के मतदाता खासे नाराज हैं एवं इस बार 'राइट टू रिजेक्ट' का उपयोग करने का मन बना रहे हैं।
वर्षों से पेयजल संकट से जूझ रहे शहर को पानी उपलब्ध कराने की हर कोशिश नाकाम रहीं। यहां तक कि मार्च तक मड़ीखेड़ा से पानी लाने के जनप्रतिनिधियों के वायदे भी झूठे करार हो गए और गर्मियां शुरू होते ही पानी की किल्लत शुरू हो गई।
वहीं नगरपालिका द्वारा पानी सप्लाई के लिए 2 करोड़ के टेण्डर पास कर दिए और ठेकेदारों को सप्लाई का ठेका भी दे दिया, लेकिन अप्रैल माह का आधा महीना बीतने को है।
इसके बावजूद भी जल सप्लाई नहीं की जा रही है और शहर की जनता पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर उठी है। लोग रात्रि के समय दो-दो किमी दूर से पानी भरकर अपने कण्ठ की प्यास को बुझा रहे हैं। इसके बावजूद भी नगरपालिका प्रशासन सोया हुआ है और शहर में पानी सप्लाई के लिए स्वीकृत की गई 2 करोड़ रूपये की राशि को खुर्दबुर्द करने की योजना नगरपालिका अधिकारी और ठेकेदार मिलकर बना रहे हैं।
विदित हो कि शिवपुरी शहर में पानी लाने के लिए सिंध परियोजना को लाया गया, लेकिन श्रेय की राजनीति के कारण यह योजना पिछले 6 वर्षों से अधर में लटकी है और आज तक इस योजना का कार्य पूर्ण नहीं हो सका। जबकि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में जनप्रतिनिधियों द्वारा योजना को पूर्ण करने का वायदा कर जीत सुनिश्चित की गई और अब लोकसभा चुनाव में सिंध परियोजना को फिर से मुद्दा बनाकर प्रत्याशी वोट बटोरने की राजनीति कर रहे हैं। लेकिन यह योजना कब पूर्ण होगी यह अभी भी प्रश्र बना हुआ है।
फिलहाल जल संकट से निपटने के लिए नगरपालिका प्रशासन ने गर्मियों के तीन महीनों में पेयजल सप्लाई के लिए दो करोड़ रूपये के टेण्डर स्वीकृत कर दिए और तीन ठेकेदारों को ठेका भी दे दिया। लेकिन अप्रैल माह आधा बीतने को है और जनता पानी के लिए भटक रही है फिर भी आज तक टेंकर शुरू नहीं किए गए हैं। वहीं बिजली विभाग ने नगरपालिका द्वारा ट्यूबबैलों के बिल जमा न करने के बाद बोरों के कनेक्शन काट दिए हैं। जिससे जल संकट और गहरा गया है। स्थिति यह हो गई है कि लोग पानी के लिए रात-रातभर जागकर कट्टियां लेकर इधर-उधर घूमकर पानी की व्यवस्था में लगे हुए हैं।
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