हम्माल और व्यापारियों की मनमानी से मण्डी में जारी है टैक्स चोरी

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शिवपुरी। जिला मुख्यालय स्थित कृषि उपज मण्डी शिवपुरी इन दिनों प्रशासन की शिथिलता, हम्मालों की मनमानी और कतिपय व्यापारियों की बेईमान प्रवृत्ति से कृषि उपज मण्डी शिवपुरी में फसल बेचने आ रहे किसान शोषण के शिकार हो रहे हैं।

मण्डी में जहां उनकी फसल की खुलेआम चोरी की जा रही है। वहीं उनके लिए मण्डी प्रशासन द्वारा कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई जा रही। मण्डी के अधिकारियों का ध्यान राजस्व बढ़ाने की ओर न होकर अपनी जेब भरने की ओर है। यही कारण है कि मण्डी टेक्स की चोरी धड़ल्ले से हो रही है।

शिवपुरी मण्डी हमेशा ही विवादों के घेरे में रहती है। हाल ही में मण्डी सचिव श्याम बिहारी शर्मा द्वारा आचार संहिता उल्लंघन का मामला भी उजागर हुआ था। जिसमें मण्डी सचिव ने हम्मालों को भाजपा के पक्ष में वोट देने के लिए दबाव बनाया, लेकिन मामले में इससे पहले भी कई बार मण्डी सचिव की मनमानी के कारण हम्माल और किसान लामबद्ध हुए हैं और कई बार हंगामे भी हुए हैं। वहीं अब मण्डी सचिव और व्यापारियों के बीच हुई सांठगांठ से मण्डी टेक्स की चोरी हो रही है। साथ ही मण्डी अधिनियम के विपरीत व्यापारी खरीदी कर रहे हैं। प्रतिदिन खरीदी में हो रही गड़बड़ी से शासन को लाखों रूपये की चपत लग रही है।

यहां उल्लेखनीय है कि शिवपुरी मण्डी में इन दिनों किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए भारी समस्याएं उठानी पड़ रही हैं। इन समस्याओं से परेशान होकर किसान मण्डी में फसल बेचने की जगह पर व्यापारियों को ऊंची कीमत पर फसल बेच रहे हैं और इस धंधे में मण्डी सचिव से लेकर कृषि उपज मण्डी के कर्मचारी तक संलिप्त हैं। इस वर्ष बंपर आवक होने के बाद भी पिछले चार-पांच दिनों से किसान अपनी फसल बेचने के लिए गांधी पार्क में डटे हुए हैं, लेकिन किसी तरह किसानों को मण्डी प्रशासन परेशान करता है। जिससे किसान सीधे मण्डी में माल न तुलवाते हुए व्यापारियों को फड़ों पर माल बेच रहे हैं। जिससे मण्डी को बड़े स्तर पर टेक्स का नुकसान हो रहा है।

सूत्र बताते हैं कि मण्डी प्रशासन व्यापारियों से 30 रूपये प्रति बोरी के हिसाब से खरीदे गए माल पर बसूली करते हैं जबकि मण्डी में हो रही तुलाई पर एक बोरी पर 60 रूपये मण्डी टेक्स के रूप में चुकान पड़ते हैं। लेकिन सीधे व्यापारियों के घरों पर माल तुलने से मण्डी को 60 रूपये प्रति बोरी का नुकसान हा रहा है। यहां तक मण्डी प्रांगण से पांच किमी दूर तक कोई भी व्यापारी अपना फड़ नहीं लगा सकता, लेकिन मण्डी अधिनियम को ताक पर रखकर मण्डी प्रशासन ने व्यापारियों के फड़ लगवा रखे हैं। जहां क्विंटलों से वह व्यापारी मण्डी के बाहर माल खरीद रहे हैं। जिसमें से कुछ हिस्सा मण्डी प्रशासन को जाता है। हम्माल भी किसानों को चूना लगाने में लगे हुए हैं।

अव्यवस्थित मण्डी से किसानों की बढ़ी समस्याऐं

मण्डी में इतनी अव्यवस्थाएं फैली हुई हैं कि किसानों अपनी फसल बेचने के लिए चार से पांच दिन पहले आना पड़ रहा है और भीषण गर्मी में अपना दिन गुजार रहे हैं। जहां न तो उन्हें पीने के लिए पानी की व्यवस्था की जा रही है और न ही उन्हें मण्डी में स्थित केंटीन पर भोजन की व्यवस्था है।

ये ग्रामीणजन बता रहे अपनी व्यथा

ग्राम बीलारा से आए किसान जसवंत जाटव बताते हैं कि उनकी 30 क्विंटल की फसल है और वह उसने बेचने के लिए पिछले चार दिनों से शिवपुरी के गांधी पार्क में रूके हुए हैं, लेकिन उनका नंबर आज तक नहीं आया। जिससे वह इतने परेशान हैं कि वह वापिस अपने गांव रवाना होने की सोच रहे हैं।

वहीं रौनीखेड़ी के नरेश जाटव बताते हैं कि वह दो दिन पहले शिवपुरी आए और उनका ट्रेक्टर गांधी पार्क में खड़ा हुआ है कई बार वे मण्डी प्रशासन को अपनी परेशानी से अवगत करा चुके हैं, लेकिन उनकी फसल की तुलाई अभी तक नहीं हुई है। जिससे वह किसी भी दाम पर व्यापारी को अपनी बेचने के लिए तैयार हैं, क्योंकि उन्हें रूपयों की स त जरूरत है। एक ओर तो उनकी फसल ओलावृष्टि के कारण नष्ट हो चुकी है। वही थोड़ी बहुत बची फसल से वह अपने परिवार का भरण-पोषण करेंगे। लेकिन मण्डी में अव्यवस्थाएं इतनी हैं कि उन्हें थोड़ी बची फसल बेचना भी मुश्किल हो रहा है।

वहीं ग्राम ईटमा के रहने वाले बादाम रावत, तानपुर के तंतु कनेरे, सोबरन जाटव बताते हैं कि वे शिवपुरी में तीन दिन से डेरा डाले हुए हैं। जहां न तो उन्हें मण्डी में स्थित केंटीन से पांच रूपये में भरपेट खाना मिल रहा है और न ही पीने के लिए पानी। वहीं कुछ कर्मचारी उन पर व्यापारियों को सीधे माल बेचने की बात भी कह रहे हैं। साथ ही सलाह दे रहे हैं कि मण्डी में अगर फसल बेचनी है तो उन्हें दस दिन तक भी इंतजार करना पड़ेगा।

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