गूजर तालाब की जमीन पर निर्माण,क्रय और विक्रय प्रतिबंधित

शिवपुरी। शासन के द्वारा फरमान के आदेश पर अब गूजर तालाब में कोई शासकीय-अशासकीय निर्माण कार्य नहीं होंगें। इस संबंध में आदेश जारी करते हुए एसडीएम ने संबंधितों को आादेशित किया है कि वह इस भूमि क्षेत्रांतर्गत क्रय-विक्रय भी ना करें। जिससे यहां लगभग 80 लोग इस भूमि में क्रय-विक्रय व निर्माण कार्य ना कर पाने के कारण प्रभावित होंगें। हालांकि यह सभी वर्तमान समय में कार्यवाही की गाज गिरने से बच गए लेकिन आगामी समय में इनके विरूद्ध कार्यवाही किया जाना भी तय है।

जानकारी के अनुसार गूजर तालाब के संरक्षण की दिशा में अनुविभागीय दण्डाधिकारी के  न्यायालय ने एक बड़ा फैसला करते हुए तालाब की कथित विवादित जमीन पर निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया है। तालाब की जमीन का क्रय-विक्रय भी नहीं हो सकेगा और शिवपुरी टुकड़ा नंबर 2 सर्वे नं. 88 रकवा 2.2 हेक्टेयर एवं सर्वे नं. 89 रकवा 2.216 हेक्टेयर को मछलीपालन एवं अन्य जल अधिकार के उद्देश्य से बाजिब उल अर्ज के रूप में भू राजस्व संहिता की धारा 242 के तहत दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। उक्त सर्वे नं. 88 की भूमि में अभी भी तालाब बना हुआ है। जबकि सर्वे नं. 89 की जमीन में लॉज, मकान, प्लॉट और आम रास्ता वर्तमान में है। तालाब की पार सर्वे क्रमांक 90 में है। जिस पर भी अस्थाई अतिक्रमण है। इस फैसले से 80 क्रेता प्रभावित हुए हैं।

विदित हो कि माननीय उच्च न्यायालय ने तालाबों को संरक्षण करने के लिए निर्देश जारी किए थे। शिवपुरी में भी तालाबों की जमीन पर शासकीय कागजातों में हेराफेरी कर प्लॉट काट दिए गए हैं। शिवपुरी टुकड़ा नं. 2 में स्थित गूजर तालाब को भुजरिया तालाब भी कहा जाता है। इस तालाब की 2.350 हेक्टेयर भूमि में अभी भी तालाब है जबकि शेष 2.162 हेक्टेयर भूमि में पक्के मकान, होटल एवं रास्ता बना हुआ है। उक्त तालाब को संरक्षित करने की दृष्टि से तहसीलदार ने इसका निरीक्षण किया और स्थल और अभिलेख का अवलोकन कर बताया कि तालाब की भूमि पर प्लॉट काट दिए गए हैं। यदि उक्त प्लॉट का निस्तार के प्रयोजन के लिए सुरक्षित नहीं किया गया तो तालाब नष्ट हो सकता है। उक्त तालाब के संरक्षण के उपाय आवश्यक हैं। अत: भू राजस्व संहिता की धारा 242 के तहत सर्वे क्रमांक 88 और 89 को नियमानुसार बाजिब उल अर्ज के रूप में दर्ज किया जाए।

भू राजस्व संहिता की धारा विचारण न्यायालय को यह अधिकार देती है कि वह बाजिब उल अर्ज में दर्ज प्रवष्टि को संशोधित कर सकता है या नवीन प्रवष्टि कर सकता है। इसके बाद अनुविभागीय दण्डाधिकारी डीके जैन ने तालाब की जमीन पर काबिज क्रेताओं को 31 जनवरी 2014 को कारण बताओ नोटिस जारी किए। जिसका जवाब क्रेताओं ने 17 फरवरी को दिया। जिसमें उन्होंने विक्रय अभिलेख और नामांतरण की कॉपी पेश कर उक्त जमीन पर अपना स्वामित्व दर्शाया। लेकिन न्यायालय ने उनके स्वामित्व संबंधी दस्तावेजों को अहमियत न देते हुए गूजर तालाब को निस्तार प्रयोजन के लिए सुरक्षित रखने के आदेश दे दिए। लेकिन तालाब की जमीन पर हुए निर्माण कार्यों तथा अतिक्रमण को हटाने के विषय में फैसले में कुछ नहीं कहा गया है।

एसडीएम भी अचंभित, कैसे हो गया शासकीय भूमि का विक्रय

अनुविभागीय दण्डाधिकारी डीके जैन मानते हैं कि सर्वे क्रमांक 88 और 89 की जमीन सरकारी है और इस जमीन पर गूजर तालाब बना हुआ है, लेकिन इनमें से सर्वे क्रमांक 89 की 2.162 हेक्टेयर भूमि निजी स्वामित्व की कैसे हो गई। क्या इसके लिए सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर किया गया? क्या इसके लिए तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी जि मेदार हैं। इसका जवाब फैसले में नहीं दिया गया। लेकिन फैसले से उन निर्दोष के्रताओं के हित प्रभावित हुए हैं जिन्होंने निजी स्वामित्व की जमीन सरकारी कागजात में देखकर जमीन को क्रय किया है।