भैंसोरा के दो युवकों के अपहरण का प्रयास, ग्रामीणो की एकता के कारण भागा अज्ञात गिरोह

शिवपुरी-एक ओर तो शुक्रवार को अपने शिवपुरी प्रवास के दौरान जहां आई.जी.आदर्श कटियार शिवपुरी पुलिस की कार्यप्रणाली का अवलोकन करने आए तो वहीं दूसरी ओर जिले के सुभाषपुरा थाना क्षेत्र में देर रात्रि दो युवकों के अपहरण का प्रयास अज्ञात गिरोह द्वारा करने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा कि ग्रामीणो की एकता के कारण यह अप्रिय घटना नही हो सकी है। हालंाकि इस घटना की पुलिस ने पुष्टि नहीं की है।

लेकिन सूत्रों द्वारा बताया गया है कि सुभाषपुरा के ग्राम भैंसोरा से दो किसानों के अपहरण करने का प्रयास एक अज्ञात गिरोह ने किया लेकिन किसानों पर भी हथियार होने और उन्होंने हो-हल्ला किया तो यह अज्ञात बदमाश मौके से अंधेरा का फायदा उठाकर भाग खड़े हुए। घटना के बाद पुलिस इस गिरोह की तलाश में है।

जानकारी के अनुसार सुभाषपुरा थाने से महज 5-7 किलोमीटर दूर ग्राम भैंसोरा निवासी महेन्द्र धाकड़ और उसका चचेरा भाई अजय धाकड़ अपने खेत पर फसल को देखने के लिए रूके हुए थे। जब यह खेत से अपने घर की ओर जा रहे थे कि तभी खेत पर अज्ञात छ: सदस्यीय दल आ धमका और उसने महेन्द्र व अजय को अपने कब्जे में लेने का प्रयास किया लेकिन महेन्द्र और अजय दोनों भी हथियारों से लैस थे ऐसे में गिरोह और इनके बीच मुंहवाद व झूमाझटकी हुई,।

पास ही खेतो पर और भी किसान अपनी फसल की रखवाली कर रहे थे, उन्होने तत्काल इस घटना की जानकारी मोबाईल द्वारा और ग्रामीणो को दी। इस सुचना को पाते ही और गॉव के ग्रामीण एक जूट होकर खेतो की ओर बढ लिए, अज्ञात गिरोह ने देखा की पूरा का पूरा गॉव हथियारो सहित खेतो की ओर बढ़ रहा है कि तभी यह छ: सदस्यीय अज्ञात गिरोह मौके से अंधेरे का फायदा उठाकर भाग खड़े हुए।  इसके बाद ग्रामीणों व महेन्द्र और अजय ने मिलकर इस गिरोह का काफी दूर तक पीछा भी किया लेकिन वह जंगल की ओर समा गए ।
                    घटना के संदर्भ में सुभाषपुरा पुलिस भी अंजान बनी रही और इस प्रकरण सूचना मिलने के बाद भी उनका मुखबिर तंत्र नहीं चेता यही कारण रहा है कि घटना के बारे में मीडियाकर्मियों द्वारा जानकारी देने के बाद भी सुभाषपुरा थाना प्रभारी ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। हालंाकि ग्रामीणो की एक जुटता के कारण अपहरण का प्रयास असफल हो गया लेकिन यदि यह घटना घट जाती तो पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी ऐसे में इस प्रकार का असंवेदनशील रवैया सुभाषपुरा पुलिस का सामना आया।

इनका कहना है
हमने तो आचार संहिता के बाद ग्रामीणों को उनके हथियार वापिस करने शुरू कर दिए है ऐसे में वह स्वयं अपने हथियारों से रक्षा कर सकते है फिलहाल अपहरण की ऐसी कोई सूचना हमारे पास नहीं है फिर भी हमने कुछ पुलिसकर्मी यहां-वहां लगा दिए जानकारी लेने के लिए।
 तोडी सदियो पुरानी पर परा, पिता की चिता को बेटी ने दी मुखाग्रि
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शिवपुरी। आज शहर की दो बेटियो ने समाज  द्वारा बनाई गई सदियो पुरानी पर परा को तोड़तेे हुए अपने पिता की चिता को मुखाग्रि दी। सीबी बूट हाउस के संचालक विमलजीत सिंह की मृत्यु हुई तो समस्या थी कि उनका अंतिम संस्कार कौन करे? क्योंकि उनके कोई पुत्र नहीं था और दो पुत्रियां अवश्य थीं।
                      ऐसे क्षण में रोती बिलखती दोनों पुत्रियां सामने आईं और उन्होंने समाज के समक्ष कहा कि हम क्या पुत्रों से कम हैं। हम देंगे अपने पिता को मुखाग्नि और पुत्र होने के फर्ज का करेंगे निर्वहन। इसके बाद उनकी दोनों पुत्रियों ने स्वयं मुखाग्नि देकर इस दायित्व का निर्वाह कर एक सराहनीय और अनुकरणीय पहल की है। जिसकी सर्वत्र सराहना की जा रही है।
गुरूद्वारा समिति के सचिव रविन्द्र वर्मा और अनुपेंद्र सिंह माटा ने संयुक्त रूप से जानकारी देते हुए बताया कि विमलजीत सिंह बहुत ही अच्छे विचारों वाले और सहृदय व्यक्तित्व के थे और वह कोर्ट रोड पर सीबी बूट हाउस की दुकान का संचालन कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। कल हृदयाघात के कारण अचानक उनका निधन हो गया। उनके कोई पुत्र नहीं था। एक भाई अवश्य था, लेकिन उनके यहां भी पुत्रियां थीं। समस्या थी कि विमलजीत सिंह को मुखाग्नि कौन दे? इसी विषय में जब सोचा जा रहा था तो विमलजीत सिंह की दोनों पुत्रियां रूपदीप कौर उम्र 20 वर्ष और लवलीन कौर पहुंची और उन्होंने कहा कि हम निभाएंगे अपने पिता के प्रति अपने उत्तरदायित्व को। हम देंगे उन्हें मुखाग्रि। हम क्यों नहीं जा सकते श्मशान घाट? वह काम क्यों नहीं कर सकते जो हमारा भाई यदि होता तो करता।
                                        थोड़ी बहुत झिझक के बाद समाज के लोगों ने इस पहल को स्वीकार किया और मन ही मन दोनों पुत्रियों के सराहनीय कदम की प्रशंसा भी की। अंत में निष्कर्ष निकाला कि विमलजीत सिंह का अंतिम संस्कार उनकी दोनों पुत्रियां रूपदीप कौर उम्र 20 वर्ष और लवलीन कौर उम्र 18 वर्ष करंगेी और रात्रि के समय उनकी शव यात्रा निकाली गई और श्मशान भूमि पर पूरे रीतिरिवाज के साथ रूपदीप और लवलीन ने पिता का अंतिम संस्कार किया। अंतिम संस्कार के समय दोनों पुत्रियां बिलख-बिलख कर रो रही थीं।