चरणम शरणम से लेकर हरिबल्लभ की ,अजब विरोध की गजब काहानी

चुनाव विशेष: ललित मुदगल/शिवपुरी। शिवपुरी की राजनीति की धुरी महल से ही है। या तो महल से चरणम शरणम रहो तो आपकी राजनीति शुरू, महल से विरोध तो सत्य मानिए आपकी राजनैतिक मौत। खासकर कांग्रेस का तो हाल यही है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया तो अपने विरोधियो को कांग्रेस में सांस तक नही लेने देते। लेकिन हरिबल्लभ शुक्ला को पोहरी से टिकिट की अनुशंसा करना महाराज को घर में ही अपने प्रभाव को कम करने जैसी चर्चा पूरे शिवपुरी जिले में चल रही है। जनचर्चा के अनुसार पूरे प्रदेश में महाराज का जलवा कायम हैं, लेकिन अपने गढ में हरिबल्लभ से इतना क्यों डरे हुये है।

पाठकों को यह बता दें हरिबल्लभ शुक्ला ने कै.माधवराव सिंधिया से ही राजनीति का क, ख, ग सीखा था। बड़े महाराज की उंगली पकड हरिबल्लभ शुक्ला ने सन 1980 के विधान सभा चुनावों में कांग्रेस से पहली बार विधायक पद की शपथ ली थी। जब प्रदेश में शुक्ल बंधुओ का जलवा कायम था। हरिबल्लभ की आस्था साजातीय शुक्ल बन्धुओ की ओर अधिक हो गई और राजनीति में आगे बढ़ने की महत्वाकांक्षा से शुक्ल बंधुओ से नजदीकीया बड़ रही थी, और बड़े महराज से दूरियां।

सन् 1993 के विधानसभा चुनावों में हरिबल्लभ शुक्ला ने कांग्रेस से टिकिट पाने के लिए एडी चोटी का जोर लगाया लेकिन टिकिट मिलता ना देख अपने बड़े भ्राता स्व. रंजीत शुक्ला को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पोहरी विधानसभा से खड़ा किया लेकिन उन्हें यहां हार का मुंह देखना पड़ा,  इस चुनाव में बैजंती वर्मा जो कांग्रेस की उम्मीदवार थी उन्हें विजयश्री प्राप्त हुई।

लगातार महल विरोध कर सुर्खियों में रहने वाले हरिबल्लभ शुक्ला को सन् 1998 में कांग्रेस से टिकिट तो मिला पोहरी का नहीं बल्कि शिवपुरी विधानसभा से यशोधरा राजे के खिलाफ। यह चुनाव ऐतिहासिक चुनाव था पूरे प्रदेश की नजर इस चुनाव पर थीं। हरिबल्लभ के शब्दवाण लगातार महल के खिलाफ चल रहे थे। इस चुनाव में भी हरिबल्लभ शुक्ला लगभग 5 हजार वोटों से पराजित हुए। लेकिन इस चुनाव में वे यशोधरा राजे से कहीं भी कमतर नहीं दिखे। हारने के बावजूद केपी सिंह से लेकर दिग्विजय सिंह तक सब हरिबल्लभ को कंधो पर बिठाए घूमते रहे।

सन् 2003 के चुनाव में फिर पुन: पोहरी विधानसभा से कांग्रेस का टिकिट ना मिलता देख व ज्योतिरादित्य सिंधिया से मनमुटाव के चलते शुक्ला ने कांग्रेस का साथ छोड़ समानता दल का हाथ थाम समानता दल से उम्मीदवार के रूप में पोहरी विधानसभा से चुनाव लडऩे का मन बनाया। जब शुक्ला ने कांग्रेस छोड़ दी अपनी बयानबाजी से महल का विरोध करना नहीं छोड़ा और लगातार कांग्रेस और ज्योतिरादित्य सिंधिया पर अपने शब्दों के बाण चलाते रहे। आखिरकार इस चुनाव में हरिबल्लभ शुक्ला को सफलता मिल ही गई और वह दूसरी बार विधानसभा भवन भोपाल पहुंच ही गए। इस चुनाव को जीतते ही हरिबल्लभ शुक्ला ने सीधे-सीधे ज्योतिरादित्य पर हमला करते हुए एक नारा 'श्रीमंत को कर दो तार, बैजंती की हो गई हार' देते हुए महल विरोध का कोपीराईट करा लिया।

लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया पर मौखिक हमले कर रहे हरिबल्लभ शुक्ला के इस प्रदर्शन को भाजपा ने बड़ी ही चतुराई से भुनाने का प्रयास किया। भाजपा ने सन् 2004 में लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से शिवपुरी-गुना संसदीय क्षेत्र का प्रत्याशी बनाया। भाजपा के प्रत्याशी बनते ही हरिबल्लभ शुक्ला ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ शब्दों के बाणों का फुल पैकेज लेकर बन बैठे। इस चुनाव में हरिबल्लभ शुक्ला को हार का सामना करना पड़ा लेकिन इस चुनाव में सबसे बड़ी बात यह देखने को आई कि सन् 2004 में भाजपा की सत्ता थी और कई जगह बूथ कैप्चरिंग का आरोप कांग्रेस ने लगाया। इस आरोप-प्रत्यारोप के चलते श्रीमंत को पहली बार शिवपुरी स्थित कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठना पड़ा।

2008 में पोहरी से भाजपा का टिकिट मांगा पर नहीं मिला तो हरिबल्लभ ने बसपा का दामन थामकर चुनाव लड़ा लेकिन यहां से जनता ने इन्हें पूरी तरह नकार दिया और यहां से भाजपा के प्रहलाद को विजय मिली। इस चुनाव के बाद जैसे हरिबल्लभ के तेवर कुछ ढीले हो गए मगर अब 2013 के चुनाव फिर से हरिबल्लभ को प्रस्तुत करने की चर्चाऐं है जिससे यहां कांग्रेसियों में भी मन-मुटाव है तो वहीं दूसरी ओर मप्र चुनाव अभियान समिति प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी यह मजबूरी है। हालांकि दोनों के बीच हुए वाकयुद्ध के बाद यह पहला अवसर होगा जहां सिंधिया ने मजबूरन हरिबल्लभ को आगे बढ़ानें में महाराज की मजबूरी बन गई है।

जनचर्चा में यह भी हैं कि अगर महाराज की कृपा हरिबल्लभ शुक्ला पर हो जाती हैं और वह विधायक भी बन जाते हैं। ऐसे में महल विरोध की राजनीति को हवा मिलेगी। जो महाराज से बरसों से जुड़े है और टिकिट की चाहत में भी है वे भी इस महल सक्सेज राजनीति के चलते बागी हो सकते हैं। और वे कांग्रेस के कार्यकर्ता जो पिछले चुनाव में एनपी शर्मा के लिए हरिबल्लभ मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए वोट मांग रहे थे, वे हरिवल्ल्भ जिंदावाद करते जनता से किस मुह से वोट मांगगे।

इस मुद्दे पर भाजपा भी चुप नही बैठेगी, वह परोक्ष या अपरोक्ष रूप से इस बात से कहेगी कि जो महाराज अपने घर के एक बागी से डर गए वे शिवराज को डरायेगें।