औपचारिकता में निपटा कृषि मेला भूखे भटकते रहे लोग

शिवपुरी-कृषि विज्ञान मेला का उद्देश्य होता है कि कृषकों को कृषि की आधुनिक तकनीकियों से अवगत कराया जाए। प्रतिवर्ष लाखों रूपये की बजट राशि इस मेले के लिए स्वीकृत होती है लेकिन संबंधित विभाग का अलीला का परिणाम यह है कि यहां ना तो किसानों को कृषि विज्ञान मेले के बारे में कोई जानकारी दे रहा और ना ही यहां आने वाले कृषकों को भोजन की व्यवस्था है।
मेले के तीसरे दिन आज लगभग एक सैकड़ा किसानों भूखों भोजन के लिए इधर-उधर भटकते नजर आए। देखा जाए तो एक तरह से पूरे मेले में अव्यवस्थाओं का ही बोलबाला रहा। इस ओर जिला प्रशासन को यदि हकीकत से रूबरू होना है तो उन किसानों की आवाज सुने जो इस मेले में ख्ेाती के बारे में जानकारियां लेकर ज्ञान बढ़ाने आए थे लेकिन यहां इन किसानों को अव्यवस्थाओं के अलावा कुछ नहीं मिल सका।

स्थानीय पिपरसमां रोड पर लगने वाले कृषि विज्ञान केन्द्र पर आयोजित कृषि मेले का आयोजन एक तरह से पूरे सरकारी बजट को जैसे सेंध लगाने की योजना प्रतिवर्ष की जाती है इसी प्रकार इस बार भी कृषि विज्ञान मेला औपचारिकताओं की भेंट चढ़ा। मेले में जिले भर से हजारों किसानों को बुलाने का दंभ भरने वाला कृषि विभाग यहां सैकड़ों लोगों के लिए पर्याप्त व्यवस्थाऐं ही नहीं जमा पाया। तो कल्पना की जा सकती है कि मेले में किसानों का ना केवल शोषण किया गया बल्कि उनके हिस्से की मिलने वाली राशि को भी विभाग के अधिकारियों ने ही सांठगांठ कर खुर्दबुर्द किया। 

ऐेस में वे किसान जो आधुनिक कृषि को अपने तरीके से करना चाहते थे उनके हाथ निराशा ही लगी। ऐसा नहीं है कि विभाग द्वारा यहां किसानों के लिए धूप से बचने छांव की व्यवस्था के रूप में टैंट, प्यास लगे तो पर्याप्त पेजयल, भूख लगे तो भरपेट भोजन लेकिन यहां ऐसा कुछ भी देखने को मिला। सैकड़ों किसान यहां भूखों देखे गए और पानी की प्यास के लिए किसान इधर-उधर भटकते रहे। धूप से बचने छांव के रूप में लगाए गए टैंट को भी ऐसी जगह से जुगाड़ तुगाड़ कर लगाया गया कि यहां किसानों को छांव तो नसीब है लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं। ऐसे में सभी अव्यवस्थाओं का बोलबाला यहां देखने को मिला। विभाग के ही अधिकारी-कर्मचारियों ने मिलकर लाखों रूपये की राशि का बंटाढार कर स्वयं के बारे-न्यारे करने में कोई कसर नहीं रखी।

इन किसानों ने उठाई आपत्ति

यहां कृषि विज्ञान मेले में आए कृषकों धर्मदास, पर्वतसिंह, हरविलास, सिरनाम, रामहेत सहित महिला कृषक रामसखी, पार्वती, हंसा आदि ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि ऐसा कृषि मेला किस काम का, जिसमें केवल अधिकारी अपनी ही सुनते है और कृषकों की कोई नहीं सुनता। तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले में कृषकों को कोई फायदा नहीं बल्कि वे अपना किराया देकर मेले में खेती की तकनीकि जानने आए परन्तु यह पता नहीं था कि यहां आने पर केवल दिखावा ही देखने को मिलेगा और वास्तविकता से तो जैसे कोई वास्ता नहीं। ऐसे में इन सभी कृषकों ने जिला प्रशासन से इस ओर कार्यवाही की गुहार लगाई है कि लाखों रूपये के बजट वाले कृषि मेले में कृषकों को ही योजनाओं से वंचित रखा गया ना तो उन्हें भोजन मिला और ना ही पीने का पानी। ऐसे में कैसे यहां कृषक मेले में आऐं, इसलिए भविष्य में इस तरह की गलतियां ना हो इसलिए संबंधित दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही भी आवश्यक है।

ग्राम सेवक ने सुनाया अपना दु:खड़ा, अनुदान की राशि डकार गए विभाग के अधिकारी

करैरा के एक ग्राम सेवक श्री शर्मा ने अपनी पीढ़ा बताते हुए कहा कि मेला पूरी तरह से दिखावा के रूप में साबित होता है प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी यही हाल रहा। शिवपुरी से 8 किमी दूर होने के कारण यहां किसानों को एक ओर जहां विभाग ने भोजन व पानी के लिए तरसा दिया तो वहीं दूसरी ओर कृषक स्वयं के व्यय से भी यह सामग्री नहीं ले सके, क्योंकि यहां आसपास कोई दुकान नहीं थी जिससे यहां किसान काफी परेशान रहे। ग्राम सेवक श्री शर्मा ने आरोप लगाया है कि गत वर्ष कृषि विभाग द्वारा कृषकों के लिए 1 क्विंटल गेहॅंू का बीज खरीदने पर 500 रूपये के अनुदान की व्यवस्था की थी लेकिन वह वर्ष पूरा बीत गया परन्तु आज दिनांक तक ना तो कृषकों को अनुदान की राशि मिला और ना ही विभाग द्वारा दिए गए बीज का लाभ कृषक ले सके। 

यहां लगभग 350 क्विंटल गेहॅंू के बीच को कृषकों ने अनुदान के रूप में मिलने वाली राशि के चलते खरीदा था लेकिन अनुदान राशि ना मिलने से कृषकों के सपने अधूरे रह गए और विभाग ने स्वयं के बारे न्यारे कर लगभग 350 क्विंटल से अधिक बीज यहां कृषकों में खपा दिया। इस बारे में जब भी कोई कृषक मुझसे शिकायत करता है तो विभाग के अधिकारी श्री गौतम व धाकड़ से बात करने की कहते है लेकिन यह दोनों अधिकारी भी कोई जबाब नहीं देते, ऐसे में कृषकों को मैं कहां से अनुदान की राशि दिलवाऊं।